गेंहू की फसल में येलो रस्ट (Yellow Rust in Wheat) से बचने के लिए किसानों को क्या करना होगा, जानें..
Yellow Rust in Wheat | गेंहू की फसल में इस समय कुछ इलाकों में कही कही येलो रस्ट रोग लग रहा है। ऐसे में किसानों को सावधान होने की जरूरत है। पूसा संस्थान (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में किसानों को गेहूं में लगने वाले येलो रस्ट रोग के बारे में भी बताया गया है। एडवाइजरी के अनुसार येलो रस्ट Yellow Rust in Wheat खतरनाक बीमारी है। इससे फसल में 70 प्रतिशत तक भारी नुकसान हो सकता है। किसानों को येलो रस्ट से बचाव के लिए क्या करना होगा, जानें आर्टिकल में पूरी जानकारी..
गेंहू में येलो रस्ट की पहचान
Yellow Rust in Wheat | येलो रस्ट रोग की शुरू की अवस्था में गेहूं के पौधे की पत्तियों पर आलपिन के सिरे जैसे छोटे-छोटे चमकीले रंग के उभरे हुए धब्बे धारियों में दिखाई देते हैं। ये बाद में पीसी हुई हल्दी जैसे पीले चूर्ण में बदल जाते हैं। पत्तियों को अंगुली से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। आमतौर पर वह धब्बे पत्तियों के दोनों तरफ बनते हैं। रात में 7 से 13 डिग्री सेल्सियस तापक्रम तथा 85 से 100 प्रतिशत आर्द्रता व दिन में 15 से 24 डिग्री सेल्सियम तापक्रम रोग Yellow Rust in Wheat की शुरूआत तथा फैलने के लिए अनुकूल है।
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गेंहू की फसल में येलो रस्ट रोग के लिए यह दवाई डालें
Yellow Rust in Wheat | गेंहू के तने, बालियों तथा दानों पर भी अटैक कर सकता है। इसके कारण फसल को भारी नुकसान होता है। किसानों को पोषक तत्वों की कमी और येलो रस्ट के लक्षणों की पहचान कर ही उपाय करने की अपील की गई है।
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किसान भाई गेंहू की फसल में येलो रस्ट Yellow Rust in Wheat नामक बीमारी के प्रकोप के आसार दिखते हैं, वहां लक्षणों के देखते ही गेहूं की फसल में टिलट प्रापिकोनाजोल, 25 ईसी का 0.1 प्रतिशत घोल यानि 30 मिली रसायन 30 लीटर पानी में घोलकर स्टिकर डालकर प्रति कनाल की दर से छिड़काव करें। 15 दिन के अंतराल पर इसे फिर से दोहराएं।
गेंहू में बालियां आने पर होता है चूहों का प्रकोप
Yellow Rust in Wheat | अधिकतर देखा जाता है की, खेतों में गेहूं की बालियाँ निकलकर दाना बनने वाली स्थिति में चूहों का प्रकोप शुरू हो जाता है। जहरीला चारा बनाकर उसके उपयोग से लाभ मिल जाता है। खेतों में जगह-जगह चूहों के बिलों का सर्वेक्षण करें। जहरीले चारे के लिये 1 किलो आटा अथवा फूले हुए गेहूं के दाने 25 मि.ली. खाने का तेल, 25 ग्राम जिंक फास्फाईड को मिलाकर लकड़ी के चम्मच से चलाकर अच्छी तरह से मिलाये और पानी डालकर गोलियां तैयार कर लें।
सर्वप्रथम सादे आटे की गोलियां बनाकर सक्रिय बिलों के पास रखें एक या दो दिनों में अधिक चूहे सक्रिय हो जायेंगे। तीसरे दिन जहरीली गोलियों का प्रयोग करें तथा फसल के दुश्मन चूहों को निपटा दें। मरे हुए चूहों को खेत में गाड़ दें ताकि पालतू कुत्ता या बिल्ली उसे ना खा सकें।
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