गेहूं के अधिक उत्पादन के लिए ध्यान देने योग्य बातें, देखें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सलाह..

गेहूं की बंपर उपज (Wheat Advisory) के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से जानते है…

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Wheat Advisory | रबी सीजन में गेहूं की खेती सबसे अधिक की जाती है। प्रदेश के कई इलाकों में गेंहू की बुवाई कंप्लीट हो चुकी है। वहीं कुछ हिस्सों में अभी बुवाई का काम चल रहा है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा गेहूं की खेती करने वाले कृषकों के लिए खास एडवाइजरी जारी की गई है।

गेहूं की उन्नत किस्में की बुवाई..

Wheat Advisory | देरी से बुवाई के लिये एच.डी. 2932 पूसा 111 डी.एल. 788-2 विदिशा, पूसा अहिल्या एचआई 1634. जे.डब्ल्यू. 1202, जे.डब्ल्यू. 1203. एम.पी. 3336 राज 4238 इत्यादि प्रजातियों की बुवाई करें तथा बोवनी 31 दिसम्बर तक अवश्य कर दें।

बुवाई के बाद खेत में दोनों ओर से आड़ी तथा खड़ी नालियाँ प्रत्येक 15-20 मीटर पर बनायें तथा बुवाई के तुरन्त बाद इन्हीं नालियों द्वारा बारी बारी से क्यारियों में सिंचाई करें।

Wheat Advisory | उर्वरक कितना दे..

गेहूं के लिए सामान्यतः नत्रजन, स्फुर व पोटाश – 4:2:1 के अनुपात में दें। असिंचित खेती में 40:20:10 सीमित सिंचाई में 60:30:15 या 80:40:20 सिंचित खेती में 120:60:30 तथा देर से बुवाई में 100:50:25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के अनुपात में उर्वरक दें। सिंचित खेती की मालवी किस्मों को नत्रजन, स्फुर व पोटाश 140:70:35 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर दें।

देरी से बुवाई में नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर व पोटाश की पूर्ण मात्रा बुवाई से पहले मिट्टी में 3-4 इंच ओरना चाहिये। शेष नत्रजन पहली सिंचाई के साथ दें। खेत के उतने ही हिस्से में यूरिया का भुरकाव करें, जितने में उसी दिन सिंचाई दे सकें। जहाँ तक संभव हो यूरिया बराबर से फैलायें। यदि खेत पूर्ण समतल नहीं है तो यूरिया का भुरकाव सिंचाई के बाद, जब खेत में पैर धंसने बंद हो जायें तब करें। : Wheat Advisory

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सिंचाई प्रबंधन का ध्यान रखें..

सिंचाई समय पर निर्धारित मात्रा में तथा अनुशंसित अंतराल पर ही करें। गेहूं की अगेती खेती में मध्य क्षेत्र की काली मिट्टी तथा 3 सिंचाई की खेती में पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, दूसरी 35-45 दिन तथा तीसरी सिंचाई 70-80 दिन की अवस्था में करना पर्याप्त है। : Wheat Advisory

पूर्ण सिंचित समय से बुवाई में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें। देरी से बुवाई में 17-18 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें।

बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल खिर जाते हैं, झुलसा रोग हो सकता है। दानों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। : Wheat Advisory

पाले से बचाव के लिए यह प्रबंधन करें..

पाले की संभावना हो तो इससे बचाव के लिए फसलों में स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करें, थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा 0.1 प्रतिशत व्यापारिक सल्फ्यूरिक अम्ल गंधक का अम्ल का छिड़काव करें। गेहूं की फसल (Wheat Advisory) को प्रथम 35-40 दिन तक आवश्यक रूप से खरपतवार विहीन रखें।

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खरपतवार प्रबंधन

गेहूं फसल में मुख्यतः दो तरह के खरपतवार होते हैं- चौड़ी पत्ती वाले- बथुआ, सेंजी, दूधी, कासनी, जंगली पालक, जगंली मटर. कृष्ण नील, हिरनखुरी तथा संकरी पत्ती वाले जंगली जई, गेहुँसा या गेहूं का मामा आदि। : Wheat Advisory

किसान भाई अगर खरपतवार नाशक का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो डोरा, कुल्पा व हाथ से निंदाई-गुड़ाई 40 दिन से पहले दो बार करके खरपतवार खेत से निकाल सकते हैं।

श्रमिक उपलब्ध ना होने पर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए 2,4-डी की 0.65 किलोग्राम या मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम / हे. की दर से बुवाई के 30-35 दिन बाद छिड़काव करें।

संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए क्लॉडिनेफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम / हेक्टेयर की दर से 25-35 दिन की फसल में जब खरपतवार 2-4 पत्ती वाले हो छिड़काव करें। : Wheat Advisory

दोनों तरह चौड़ी पत्तियाँ व संकरी पत्तियाँ के खरपतवार के लिए खरपतवार नाशक मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम तथा क्लौडिनेफॉप प्रौपरजिल 60 ग्राम / हेक्टेयर की दर से मिलाकर टेंक मिक्स 25-35 दिन की फसल में छिड़काव करने से दोनों तरह के खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है।

किट एवं रोग से फसल को बचाए..

इन दिनों जड़ माहू कीटों रूट एफिड का प्रकोप देखा जा सकता है। यह कीट गेहूँ के पौध को जड़ से रस चूसकर पौधों को सुखा देते हैं।

जड़ माहू के नियंत्रण के लिए बीज उपचार गाऊचे रसायन से 3 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 250 मिली या थाइमौक्सेम की 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300- 400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें। : Wheat Advisory

माहू का प्रकोप गेहूं फसल में ऊपरी भाग तना व पत्तों पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिली ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें। खेत में गेहूं के पौधे के सूखने अथवा पीले पड़ने पर जो कि किसी कीट, बीमारी अथवा पोषक तत्व की कमी से हो सकता है, तुरन्त विशेषज्ञ की सलाह लेकर शीघ्र उपचार करें।

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