विश्व स्तर पर सोयाबीन गेहूं जीरे एवं अन्य फसलों के उत्पादन Soybean wheat cumin Rate एवं भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा जानें …
Soybean wheat cumin Rate ; कृषि जिंसों के वैश्विक उत्पादन / पैदावार का असर भारत में इनके भाव पर पड़ता है। वैश्विक स्तर पर यदि किसी कृषि जींस का अधिक उत्पादन / पैदावार होता है तो ऐसी स्थिति में भारत में इनके भाव में गिरावट आना तय है। सोयाबीन गेहूं धनिया जीरा एवं अन्य कृषि जिंसों के भाव लगभग वैश्विक पैदावार पर निर्भर हैं।
कृषि अनाजों के भाव वायदा कारोबार पर भी निर्भर करते हैं, लेकिन भारत सरकार ने कई कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से बाहर कर रखा है यानी इनके वायदा कारोबार पर प्रतिबंध है। आज हम इस खबर के माध्यम से यह जानेंगे कि वैश्विक स्तर पर सोयाबीन Soybean wheat cumin Rate गेहूं लहसुन जिला एवं अन्य कृषि जिंसों की पैदावार क्या रही एवं वैश्विक पैदावार का भारत पर क्या असर पड़ने वाला है क्या इन कृषि जिंसों के भाव बढ़ेंगे या नहीं ?
वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की पैदावार
सोयाबीन को प्रमुख Soybean wheat cumin Rate नकदी फसल माना जाता है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन की खेती की जाती है मध्य प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती होती है। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की खेती अमेरिका ब्राज़ील अर्जेंटीना में प्रमुखता से की जाती है। इन देशों में होने वाली पैदावार से भारत में सोयाबीन के भाव में उतार-चढ़ाव आता है।
वर्ष 2022 के दौरान एवं 2023 के दौरान अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन औसत रहा। वहीं ब्राजील सोयाबीन की पैदावार अच्छी रही लेकिन अर्जेंटीना में सूखे की मार के चलते पैदावार घटी। औसत रूप से देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की पैदावार Soybean wheat cumin Rate सामान्य रही जिसके कारण भारत में सोयाबीन के भाव अब तक नहीं बढ़ पाए हैं। अमेरिकी कृषि मंत्रालय USDA की रिपोर्ट के अनुसार आगामी वर्ष में भी यही स्थिति रहने की संभावना है।
विश्व स्तर पर जीरे की पैदावार
वैश्विक स्तर Soybean wheat cumin Rate पर तुर्की सीरिया में जीरे की पैदावार बड़ी है। इस वर्ष यहां पर जीरे की फसल का उत्पादन जोरदार हुआ है। इसका असर घरेलू भारतीय बाजार पर अभी से दिखाई देने लगा है। घरेलू बाजार में जीरे की तेजी पर नए सिरे से ब्रेक लगने के आसार नजर आने लगे हैं। बताया जाता है कि तुर्की-सीरिया में जीरे की फसल अच्छी है। पिछले दिनों तुर्की में भूकंप की वजह से घरेलू बाजार में तेजी का वातावरण बना दिया था।
दूसरी और भारतीय जीरे के भावों में बड़ी तेजी आ गई है। इससे आगे-पीछे निर्यात प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा घरेलू बाजार में ऊंचे भावों पर ग्राहकी कमजोर पड़ने लगी है। इसके अलावा जीरे में सुआ एवं सौंफ को पालिश कर मिलावट जोरशोर से शुरू होने से मांग एवं खपत में गिरावट आना संभव लग रहा है।
घरेलू बाजार में 500-600 रुपए किलो में जीरा सामान्य से अधिक मात्रा में नहीं बिक Soybean wheat cumin Rate सकता है। आगे-पीछे मांग ठंडी ही रहेगी। ऊंझा मंडी में जीरा 7500 से 9000 सौंफ 3300 से 7000 रुपए (20 किलो) के भाव बताए गए।
वैश्विक स्तर पर मेथी की पैदावार
भारत के अलावा मेथी की खेती विश्व के चुनिंदा देशों में होती है। इस वर्ष भारत के मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात के किसानों Soybean wheat cumin Rate का रुझान धनिया एवं सरसों की ओर अधिक होने से जीरा एवं मैथी की बोवनी में गिरावट आई थी। इसके अलावा मैथी का दैनिक उपयोग के अलावा निर्यात मांग भी बढ़ी है। साथ ही आयुर्वेदिक क्षेत्र में इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है।
नया सीजन प्रारंभ होने तक मैथी के भावों में कुछ और सुधार आ सकता है। सीजन में उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना की अच्छी मात्रा में मांग रही है। भर सीजन में तेजी की आशा से स्टॉकिस्टों ने भी पकड़ बनाई है। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में मेथी के भाव में तेजी Soybean wheat cumin Rate आने की पूरी संभावना है।
विश्व स्तर पर लहसुन का उत्पादन
वैश्विक स्तर Soybean wheat cumin Rate पर लहसुन में चीन की भागीदारी सबसे अधिक 75 प्रतिशत है। चीन में लहसुन का वार्षिक उत्पादन 2 से 2.50 करोड़ टन होता है। रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार चीन में इस वर्ष लहसुन क उत्पादन में कमी आई है। वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग और चीन में उत्पादन में कमी से इस वर्ष लहसुन के भावों में अधिक गिरावट नहीं आ सकी। लहसुन का भाव वर्तमान में सुपर बोल्ड 7000 से 7500 बोल्ड 5000 से 5500 एवरेज बोल्ड 4000 से 4500 एवरेज 3000 से 3500 बारीक 2000 से 2500 रुपए (क्विंटल) है।
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आने वाले दिनों में लहसुन के भाव क्या रहेंगे जानिए
चीन के ताइवान क्षेत्र में लहसुन की पैदावार Soybean wheat cumin Rate कम होने के कारण भारत में लहसुन के भाव अब धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं। व्यापारी वर्ग ऐसा अनुमान जताते हैं कि इस वर्ष लहसुन 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव को पार कर लेगी। फिलहाल मंडियों में लहसुन औसत भाव 7000 से 8000 रुपए प्रति क्विंटल तक के बने हुए हैं।
यही कारण है कि लहसुन का स्टॉक Soybean wheat cumin Rate किया जाने लगा है स्टॉकिस्ट सक्रिय हो गए हैं। 15 हजार भाव की आशा में स्टॉक भी किया जा रहा है। इस साल ताइवान की लहसुन नहीं आने सेक्षदेश की लहसुन के भाव ऊंचे रह सकते हैं। 2-3 साल बाद लहसुन में किसानों को अच्छे भाव मिल पा रहे हैं। गत वर्ष तो पानी में बहाना पड़ी थी, भाड़ा भी जेब से भरना पड़ा था।
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विश्व स्तर पर गेहूं का उत्पादन
फरवरी 2022 में रूस यूक्रेन के मध्य युद्ध की शुरुआत हुई थी जिसके कारण दोनों देशों में फसलें Soybean wheat cumin Rate चौपट हुई रूस एवं यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं के उत्पादन में अच्छा स्थान रखते हैं। दोनों देशों में इस वर्ष भी यही स्थिति है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की पैदावार घटी है।
हालांकि इसके इसके चलते भारत में गेहूं के भाव ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। यह प्रतिबंध इस वर्ष भी बरकरार रहा जिसके कारण गेहूं के भावों में सुधार के साथ मैदा- आटा के भावों में तेजी का दौर शुरू हो गया है। आटा- मैदा में 20 रुपए प्रति कट्टे की और भाव वृद्धि की गई है।
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