फसल में खारे पानी (Salt water farming) या तेलिया पानी से किस तरह बढ़िया उत्पादन मिलेगा एवं उसके लिए अन्य सावधानी क्या रखनी चाहिए, जानें..
Salt water farming | मीठा और अच्छा पानी तो फसल उत्पादन के लिए अच्छा है ही, लेकिन खारे पानी से भी फसलों का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। यह पुष्टि कृषि विशेषज्ञों ने की है। जांच में यह दावा किया गया है की, मीठे पानी की जगह तेलिया एवं खारे पानी से बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है।
पता करें पानी खारा है या तेलिया (Salt water farming)
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, कि खारे और तेलिया पानी का थोड़ी सावधानी रखकर फसलों में उपयोग किया जा सकता है। किसान ट्यूबवेल के पानी की जांच करवा कर आसानी से पता लगा सकते हैं कि पानी खेती के लिए अच्छा है, खारा है अथवा तेलिया है।
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खारा है पानी तो लें तकनीक का सहारा
- सबसे पहले भूमि Salt water farming को समतल करा लेना चाहिए ताकि कम पानी से ज्यादा सिचाई की जा सके।
- खारे पानी वाले क्षेत्रों में नमक सहनशील फसलें जैसे जौ, सरसों, गेहूं, आलू, जवार, धान, मक्का आदि फसलों को ही मौसम के अनुसार प्राथमिकता दें।
- जहां तक हो सके सूखे खेत में फसल की बिजाई करें तथा बिजाई के बाद तुरंत सिचाई कर दें।
- बूंद-बूंद टपका सिचाई विधि अपनाकर भी फसल पर लवणों का असर कम किया जा सकता है।
- बिजाई में बीज की मात्रा 25 फीसद बढ़ा देनी चाहिए। कोशिश करें पलेवा अच्छे पानी से ही की जा सके।
- खारे पानी Salt water farming वाले खेत में भूमि में गोबर की खाद व कंपोस्ट खाद का भरपूर मात्रा में प्रयोग करना चाहिए तथा फसलों के अवशेष को भी भूमि में मिला दें ताकि भूमि में जीवांश की मात्रा बढ़ जाए।
- गेहूं ,जौ आदि रबी फसलों में रेतीली भूमियों में खारा पानी कुछ सीमा तक प्रयोग किया जा सकता है।
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कुछ मात्रा में नहरी पानी का भी करें प्रयोग
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि, जहां पानी खारा Salt water farming हो, उसमें समय-समय पर नहरी पानी का भी प्रयोग करना चाहिए। क्षारीय या तेलिया पानी में सोडियम कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट (खारी व मीठा सोड़ा) ज्यादा होते हैं। ऐसे पानी की क्षारीयता कम करने के लिए पानी की जांच रिपोर्ट के अनुसार भूमि में जिप्सम डालना चाहिए। जिप्सम के कट्टे पानी की नालियों या होदी में रख दें, जिससे थोड़ा-थोड़ा जिप्सम पानी में घुलकर पानी के क्षारीय कम करता रहे।
तेलिया पानी वाले क्षेत्रों में जिक सल्फेट की मात्रा 10 किलो के बजाय 20 किलोग्राम प्रति एकड़ बिजाई से पहले खेत की तैयारी के समय ही डाल देनी चाहिए। यदि पानी Salt water farming में खारापन अधिक है तो गेहूं, जौ आदि फसलों की बिजाई के समय डीएपी के स्थान पर सिगल सुपर फास्फेट का प्रयोग उत्तम रहेगा। इससे फास्फोरस व सल्फर पोषक तत्व भी आसानी से मिलते रहेंगे।
तेलिया पानी से सिचित गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा 25 फीसद बढ़ा देनी चाहिए। खारे पानी में नाइट्रेट भी हो सकता है, पानी परीक्षण कराने पर यदि एक मिली तुल्यांक प्रति लीटर नाइट्रेट है तो प्रति सिचाई एक एकड़ में चार किलो नाइट्रोजन मिल जाती है। ऐसे खारे पानी में यदि गेहूं बोया गया है तो पांच सिंचाईयों में 20 किलो नाइट्रोजन Salt water farming की बचत की जा सकती है।
कुछ ट्यूबवेलों का पानी ऐसा खारा होता है जिसे फसल में लगाने से फसल गहरी हरी हो जाती है तथा बढ़वार भी अच्छी होती है। एक ही स्थान पर यदि अच्छा व खारा पानी उपलब्ध हो तो उनको मिलाकर सिचाई में प्रयोग करें। अच्छा व खारा पानी बारी-बारी से लगाएं तथा ऐसी दशा में पलेवा अच्छे पानी से करना अच्छा रहता है।
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