किसानों एवं व्यापारियों के लिए गेहूं भाव को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है, आईए जानते हैं Gehun bhav report रिपोर्ट..
Gehun bhav report | मंडियों में गेहूं की आवक कम हो गई है। मध्य प्रदेश जैसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य में गेहूं का उत्पादन कम हुआ है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश एवं पंजाब जैसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीदी अब तक कम मात्रा में हुई है। गेहूं की खरीदी का यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना बहुत कम है। इधर गेहूं के हाजिर एवं विदेशी वायदा बाजार में तेजी आने लगी है।
इसका असर दिखाई देने लगा है गेहूं के बड़े खरीददार अब गेहूं को स्टॉक करने लगे हैं। मालूम हो कि भारत में गेहूं के वायदा बाजार पर रोक है। लेकिन विदेशी बाजार में वादा कारोबार तेज रहने से मंडी में गेहूं के भाव Gehun bhav report पर इसका क्या असर पड़ेगा, आईए जानते हैं पूरी जानकारी..
गेहूं की सरकारी खरीदी पिछड़ी
एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीदी Gehun bhav report के आंकड़े सरकार के लिए संतोषप्रद नहीं है। सरकार ने करंट मार्केटिंग ईयर 2024-25 में अब तक 196 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम समेत सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए इसकी सालाना जरूरत 186 लाख टन है।
खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) अब बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए 2024-25 सत्र में 310-320 लाख टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास कर रही है। हालांकि रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं (Wheat) की खरीद पिछले साल की समान अवधि के 219.5 लाख टन से अब तक 11% कम हुई है। इसका मुख्य कारण मध्य प्रदेश और पंजाब में कम खरीद का होना है।
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मंडियों में गेहूं के भाव तेज
Gehun bhav report मंडियों में भी गेहूं के दाम मजबूत बने हुए हैं। इससे भी किसान मंडी में माल बेच रहे हैं। अच्छी क्वालिटी के गेहूं की मांग अच्छी है और दाम बढ़ाकर दिए जा रहे हैं। गुरुवार को इंदौर की दोनों मंडियों में गेहूं की आवक करीब 18 हजार बोरी रही। मंडी में गेहूं मिल क्वालिटी 2550-2600, पूर्णा 2850-2900, मालवराज 2550-2600, लोकवन 2850-2900 और मक्का 2250-2250 रुपये क्विंटल बिकी।
गेहूं के हाजिर भाव में तेजी
सरकारी एजेंसियों के जरिये अभी गेहूं की खरीद Gehun bhav report धीमी पड़ गई है। इसकी वजह बताई जा रही है क किसानों को मंडी की तुलना में गेहूं का भाव खुले बाजारों में अधिक मिल रहा है, इसलिए सरकारी गोदामों में गेहूं कम पहुंच रहा है। इसका असर सरकारी गोदामों के भरने पर देखा जा सकता है। अगर गेहूं का सरकारी भंडारण पर्याप्त नहीं होगा तो गोदामों में गेहूं की मात्रा कम पड़ सकती है। इसके दूरगामी परिणामों में गेहूं की महंगाई और स्कीमों में गेहूं की कमी दर्ज की जा सकती है।
इधर दूसरी ओर मंडी कारोबारी तो इस साल का सीजन देखकर आश्चर्यचकित हैं। गेहूं की पैदावार कम हो अथवा अधिक दो-तीन माह का सीजन तो बंपर रहता है। इस वर्ष एक दिन भी बंपर आवक नहीं रही। मंडी प्रशासन सीजन में अलर्ट मोड पर रहता आया है लेकिन मंडियों में व्यवस्था दुरुस्त पर आवक सुस्त होने से इस वर्ष का गेहूं सीजन पिटा हुआ ही चला, जबकि गेहूं 3250 रुपए से अधिक भाव पर बिका।
सरकार चिंता में, यह उपाय करने की तैयारी
Gehun bhav report कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जरूरत पड़ने पर खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) लाने के लिए अतिरिक्त स्टॉक रखने के बारे में सोचा जा रहा है। पिछले साल इस योजना के तहत 100 लाख टन से अधिक गेहूं आटा मिलों और अन्य गेहूं आधारित उद्योगों को भेजा गया था।
FCI ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है। यह भी बताया जा रहा है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में खरीद में गिरावट सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकती है। क्योंकि इसने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 810 मिलियन (80 करोड़ से अधिक) से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त राशन देने की योजना को 1 जनवरी, 2024 से पांच साल के लिए बढ़ा दिया है।
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गेहूं आयात करने की योजना
Gehun bhav report सरकार अपने खरीद के लक्ष्य से पीछे रह जाती है, तो उसे घरेलू स्तर पर गेहूं की सप्लाई दुरुस्त करने के लिए गेहूं आयात करना पड़ सकता है या अनाज पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की जरूरत पड़ सकती है। अगर गेहूं का उठान पर्याप्त नहीं रहा तो सरकार गेहूं पर निर्यात प्रतिबंधों को मार्च 2025 तक बढ़ा सकती है।
उत्पादन में गिरावट के बीच घरेलू सप्लाई कम होने के बाद भारत ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में, भारत ने लगभग 10 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं निर्यात करने की योजना बनाई थी, लेकिन लगभग 5 मिलियन मीट्रिक टन का निर्यात किया गया।
सरकार MSP पर खरीद बढ़ने की उम्मीद में
एफसीआई (FCI) ने अलग-अलग राज्यों के करीब 16 लाख किसानों से 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 45,000 करोड़ रुपये का गेहूं खरीदा है। पंजाब और हरियाणा में इस समय गेहूं की फसल की आवक अच्छी है। एफसीआई को पंजाब से 130 लाख टन और हरियाणा से 70 लाख टन की खरीद की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि एफसीआई मई में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में खरीद अभियान तेज कर सकता है क्योंकि उसे यहां की मंडियों में फसलों के देर से आने की उम्मीद है।
Gehun bhav report मध्य प्रदेश में अब तक गेहूं की खरीद 34.66 लाख टन ही हुई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 55.59 लाख टन थी। बफर स्टॉक के संबंध में केंद्र के पास एक अप्रैल तक केंद्रीय पूल में 75.02 लाख टन गेहूं था। जबकि उस तारीख को बफर मानक 74.6 लाख टन था. 1 जुलाई के लिए बफर मानक 275.8 लाख टन है।
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1,120.19 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान
केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) के अनुमानों के मुताबिक, गेहूं का उत्पादन फसल वर्ष 2023-24 में 1,120.19 लाख टन होगा, जबकि पिछले वर्ष में Gehun bhav report यह 1,105.54 लाख टन था. कुछ राज्यों में उम्मीद से अधिक पैदावार होने पर उत्पादन लगभग 1,150 लाख (115 मिलियन) टन तक भी पहुंच सकता है।
सरकार के लिए गेहूं भाव नियंत्रित करना मुश्किल रहेगा
Gehun bhav report जिस प्रकार की स्थिति वर्तमान में बनी है उसको देखते हुए गेहूं के बड़े कारोबारी अनुमान जता रहे हैं कि इस वर्ष सरकार गेहूं के भाव को नियंत्रित नहीं कर पाएगी, क्योंकि सरकार यदि विदेशों से गेहूं आयात करने की दिशा में कदम उठाती है तो वहां पर भी सरकार को सकारात्मक स्थिति नहीं मिलेगी। इसके संदर्भ में कहा जा रहा है कि वर्तमान में रूस यूक्रेन के मध्य संघर्ष लगातार चल रहा है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की डिमांड तेज वाली ही बनी हुई है।
इधर दूसरी ओर भारत में गेहूं के बफर स्टॉक में कमी आने के साथ-साथ विदेश में भी गेहूं की पैदावार इस वर्ष अनुमान के मुताबिक नहीं हो पाई है। रूस एवं यूक्रेन में बड़ी मात्रा में गेहूं की खेती युद्ध के कारण प्रभावित हुई है, जिसके कारण जहां स्थानीय बाजार में गेहूं की डिमांड अधिक है। यही कारण है कि ग्लोबल मार्केट में गेहूं के वायदा बाजार में लगातार तेजी आ रही है। व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले एक वर्ष के दौरान गेहूं के भाव में तेजी का रूख बना रहेगा। भारत में गेहूं के भाव 3500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचाने की संभावना है।
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