गेहूं की अधिक उपज देने वाली चार प्रमुख नई वैरायटियों (High Yielding Wheat Varieties) की जानकारी एक साथ यहां देखें..
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High Yielding Wheat Varieties | इस वर्ष गेहूं बुवाई का रकबा शत-प्रतिशत रहने वाला है। प्याज-लहसुन में नुकसान मिलने से 50% किसान इसे छोड़कर गेहूं उपज को ही पसंद कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि हस्त नक्षत्र अर्थात हथिया में बारिश गेहूं, चना उपज के लिए लाभकारी होती है, क्योंकि यह रबी की फसल विशेष कर गेहूं, चना और अन्य की बोवनी के समय नमी प्रदान करती है, जिससे अच्छी पैदावार मिलती है। यह पौधों के विकास और स्वस्थ्य होने में सहायक होती है।
विशेषकर मध्य क्षेत्र में अधिक पैदावार वाला पूसा तेजस, पूसा मंगल एवं पोषण अर्थात पोषक गेहूं 15 से 18 क्विंटल प्रति बीघा गेहूं पैदावार होते हैं, जबकि लोकवन, पूर्णा, पूसा अहिल्या, GW 513 की 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघा की पैदावार होती है। : High Yielding Wheat Varieties
इसके अलावा शौकिया तौर पर शरबती की बुवाई वालों को 4 से 5 क्विंटल की पैदावार ही मिलती है। गेहूं की इन परंपरागत एवं पुरानी वैरायटियों की तुलना में नई वैरायटी रोग प्रतिरोधी एवं अधिक उपज देने वाली साबित हो रही है ऐसी ही चार प्रमुख वैरियटयों के विषय में आईए जानते हैं..
गेहूं की नई किस्म एच डी 3410
High Yielding Wheat Varieties | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा देश में मध्य क्षेत्र, म. प्र. राजस्थान एवं समीपस्थ प्रदेशों के लिए चपाती हेतु उपयुक्त गेहूं की यह नई किस्म एच डी 3410 हाल ही में विशेष रूप से जल्दी बोने हेतु सिंचित क्षेत्र के लिए जारी की है।
यह किस्म लगभग 130 से 135 दिन की अवधि और कम सिंचाई में अधिकतम उत्पादन देने की क्षमता रखती है। इसका दाना आकर्षक चमकदार इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 100 से. मि. है जो कि कम होने से आड़ा (लॉजिंग ) पड़ने की समस्या नहीं।
गेहूं की इस किस्म (High Yielding Wheat Varieties) में सूखा सहन करने की क्षमता अधिक होने से होने से यह 3 से 5 सिंचाई में ही आदर्श परिस्थितियों में इसका उत्पादन औसत रूप से लगभग 67 से 70 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पाया गया है। गेहूं की यह किस्म ब्लैक, भूरा व पिला रतुआ (rust) के लिए प्रतिरोधकता साथ ही तीनों रस्ट रोगों स्टेम,लीफ,स्ट्रिप रस्ट के लिए व करनाल बंट, फ्लैग स्मट, फूस रॉट व अन्य रोगों के लिए उत्कृष्ट प्रतिरोधकता वाली किस्म है। इस किस्म ने अपने समकक्ष पारंपरिक गेहूं किस्मों WH1270, 3086, DBW-303 से लगभग 24% से अधिक रिकॉर्ड उत्पादन ट्रायल में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिया गया है।
गेहूँ एच.आई.-1650 (पूसा ओजस्वी)
High Yielding Wheat Varieties | गेहूँ की बॉयो फोर्टीफाईड किस्म एच.आई. – 1650 (पूसा ओजस्वी) देश के मध्यक्षेत्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड क्षेत्र हेतु समय पर बोनी हेतु चपाती, ब्रेड, बिस्किट के लिये उपयुक्त हाल ही में जारी की है।
इस किस्म का दाना सुडोल, चमकदार, आकर्षक, लम्बाकार रंग अम्बर (सुनहरा), 1000 दानो का वजन लगभग 50 ग्राम, बाली में दाने खिरने की समस्या नहीं, बॉयो फोर्टिफाईड किस्म होने से इसमें जिंक (42.7), आयरन (39.5) पी.पी.एम. एवं प्रोटीन (11.4%) होने के कारण इस किस्म में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में है।
इस किस्म (High Yielding Wheat Varieties) की चपाती क्वालिटी एवं बिस्किट क्वालिटी इन्डेक्स लगभग 7.9 है तथा इस किस्म की सेडीमेटेशन वल्यू (39.00ML) है। इस किस्म की बाली सफेद, पत्तियाँ चौड़ी, सतह मोमी, मजबूत पर्ण झूके हुए तथा पौधा मध्यमऊँचाई का लगभग 90-92 से. मी. पौधा कम ऊँचाई का होने से आड़ा (लाजिंग) पड़ने की समस्या नहीं होती है।
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इस किस्म की बीज दर 100 किलो हेक्टेयर या 40 किलो एकड़, लाईन से लाईन की दूरी 20 से.मी. 1 नवम्बर से 25 नवम्बर तक समय पर बोवनी करने पर तथा संतुलित मात्रा में उवर्रक एन.पी. के. 120:60:40 तथा अनुशंसित मात्रा में जिंक तथा समय-समय पर 4-5 सिंचाई देने पर आदर्श परिस्थिति में लगभग 73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। : High Yielding Wheat Varieties
कुछ किसानों द्वारा इस किस्म का चमत्कारी उत्पादन 17 क्विंटल बीघा तक भी लिया गया है। यह एक अर्ली किस्म अवधि लगभग 115 से 120 दिन होने से 2-3 सिंचाई में भी अच्छे मजबूत जड़ तंत्र होने के कारण इस किस्म ने अच्छा उत्पादन दिया है।
यह किस्म लगभग 23 सभी मुख्य स्टेम रस्ट एवं लीफ रस्ट के लिये प्रतिरोधक किस्म है तथा पाला अवरोधक किस्म होने पाला व बिमारियों से नुकसान की संभावना भी कम रहती है।
यह किस्म (High Yielding Wheat Varieties) कम बीज दर, कम सिंचाई व कम दिवस में आने के कारण कम लागत पर अधिकतम उत्पादन व अच्छे बाजार भाव मिलने के कारण किसानों के बीच जल्द ही लोकप्रिय हो गई है।
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गेहूँ-एच. आई. 8830 (पूसा कीर्ति)
High Yielding Wheat Varieties | पूसा के सहयोगी संस्थान, गेहूँ अनुसंधान केन्द्र, इंदौर द्वारा देश के मध्यक्षेत्र म.प्र. दक्षिण राजस्थान, बुंदेलखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़ के लिये समय पर बोनी हेतु थुली, रवा, पास्ता हेतु अनुशंसित गेहूँ की यह नवीनतम् बॉयो फोर्टिफाईड किस्म हाल ही में जारी की है।
गेहूं की यह नई कठिया किस्म एच. आई. 8830 (पूसा कीर्ति) अति विशिष्ट श्रेणी की यह ड्यूरम किस्म है। इस किस्म का दाना आकर्षक, चमकदार, बोल्ड, रंग अम्बर (सुनहरा), थोड़ा कड़क, आकार दीर्घ वृत्ताकार (इलेप्टीकल), 1000 दानों का वजन लगभग 50 ग्राम बालियों में आरेकल ठोस (काम्पेक्ट) होने से खिरने की समस्या नहीं होती है।
इस किस्म (High Yielding Wheat Varieties) का पौधा मध्यम ऊँचाई का ऊँचाई लगभग 90 से.मी. पत्तियाँ चौड़ी, पर्ण कोण, सीधी सतह मोमी, मजबूत बालियाँ सफेद, बालियों पर रूए नहीं, काड़ी कड़क, ऊँचाई अधिक नहीं व जबरदस्त टिलरिंग होने के कारण इसके आड़ा पड़ने (लाजिंग) की समस्या नहीं।
इस किस्म का अंकुरण बहुत अच्छा होने से व टिलरिंग (कल्ले) अधिक होने से बीज दर भी कम लगती है तथा फसल की अवधि लगभग 120 दिन होने से कम सिंचाई में भी अधिकतम उत्पादन देने में यह किस्म सक्षम है।
इस किस्म की बीज दर 113 किलो हेक्टेयर या लगभग 45 किलो एकड़ तथा लाईन से लाईन की दूरी 20 से.मी. रखने व 20 अक्टूबर से 25 नवंबर से पूर्व समय पर बोवनी करने व अनुशंसित संतुलित उवर्रक एन.पी. के. व जिंक की मात्रा समय पर 100:50:25 उपयोग करने पर एवं सीमित सिंचाई 1 से 2 देने पर भी यह किस्म (High Yielding Wheat Varieties) अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है।
इस किस्म में किसानों द्वारा 3 से 4 सिंचाई में भी व्यवाहरिक रूप गतवर्ष कि विपरित मौसम एवं अधिक तापमान की परिस्थिति में भी लगभग 17 क्विंटल बीघा का उत्पादन लिया गया है जो कि आश्चर्यजनक किंतु सत्य है। इस किस्म में किसान भाई दाने में दूध भरने (जीव पड़ने) की अवस्था लगभग 85 से 90 दिन के बाद सिंचाई रोक देगें तो फसल के आड़ा पड़ने व दाने के पोट्या (धान्या) होने की संभावना नहीं के बराबर रहेगी।
गेहूँ एच.डी. 3385 | High Yielding Wheat Varieties
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं (IARI) नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई गेहूं की एचडी 3385 किस्म की एक सबसे बड़ी विशेषता या कहे कि गुण यह है कि इस किस्म में बड़े हुए तापमान के प्रति असाधारण प्रतिरोधकता देखी गई है। इस किस्म की बोवनी अक्टूबर माह में भी की जा सकती है। इस किस्म की ऊँचाई 98 से. मी. है इसकी टिलरिंग काफी अधिक होने, काड़ी कड़क होने से इस किस्म में आड़ा पड़ने (लाजिंग) की समस्या नहीं के बराबर है जिससे उत्पादन स्वभाविक रूप से अधिक प्राप्त होता है।
इस का चमकदार एवं बहुत बोल्ड होने से बाजार की पहली पसंद बनने की इस किस्म का दाना काफी आकर्षक का पूर्ण संभावना, पोल, ब्राउन एवं ब्लेक रस्ट के प्रति उच्च प्रतिरोधी क्षमता वाला होता है। : High Yielding Wheat Varieties
इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कुंचे निकले अर्थात् टिलरिंग इतना अधिक है, जिसके कारण बीज दर लगभग 35-40 प्रतिशत कम हो जाती है। इस किस्म की अधिकतम उपज लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं व्यवहारिक रूप से किसानों के द्वारा 80 क्विंटल हेक्टेयर से भी अधिक उत्पादन प्राप्त किया है।
इस किस्म की बीज दर मात्र 20-25 किलो एकड़ या लगभग 80 किलो प्रति हेक्टेयर है। गेहूं की इस किस्म में सिंचाई 4-5 देने व एन.पी.के. 100:50:25 व अनुशंसित मात्रा में जिंक देने पर आदर्श परिणाम मिलता है। : High Yielding Wheat Varieties
यहां मिलेगा गेहूं की इन सभी उन्नत किस्मों का बीज
High Yielding Wheat Varieties बीज लेने के लिए किसान साथी वसुंधरा सीड्स उज्जैन से संपर्क कर सकते हैं। पता है – वसुंधरा सीड्स उज्जैन, ऑफिस : 51, राजस्व कॉलोनी, टंकी पथ, उज्जैन – 456010 (म.प्र.) फोन : 2530547
मो. नंबर – 9301606161, 94253-32517
गोडाउन का पता : बड़ी उद्योगपुरी, मक्सी रोड, महावीर तोल काँटे के पास गोल्डन टाईल्स के सामने, उज्जैन (म.प्र.),
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