करनाल ने लॉन्च की गेंहू की अत्यधिक रोगप्रतिरोधी किस्म, DBW 222 एवं 187 किस्म से 10% ज्यादा देगी पैदावार

आइए जानते है कौन सी है वह करनाल की नई किस्म (Karnal New Wheat Variety) एवं इसकी खासियत, अवधि और पैदावार के बार में।

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Karnal New Wheat Variety | खरीफ की फसल कटाई के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई करने में जुट जाएंगे। रबी फसलों में गेहूं की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।

देश के लाखों किसान गेहूं की खेती करते हैं। ऐसे में गेहूं की उन्नत किस्म की बुवाई की जाए तो किसान गेहूं की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

आज कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई नई किस्में विकसित की है जो अधिक उत्पादन देने के साथ रोग प्रतिरोधी भी हैं।

इन्हीं किस्मों में से एक गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म भी है, जिसे हाल ही में करनाल गेंहू एवं जौ अनुसंधान Karnal New Wheat Variety द्वारा विकसित किया गया है।

आइए जानते है गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की खासियत, अवधि एवं पैदावार सहित अन्य जानकारी…

गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की जानकारी

Karnal New Wheat Variety | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई.) मुख्यालय की ओर से ईजाद की गई गेहूं की नई उन्नत प्रजाति एचडी- 3385 का प्रसार पूरे भारत के गेहूं उत्पादक राज्यों में किया जाएगा। उत्पादकता व अन्य गुणों में यह किस्म लाजवाब है।

जलवायु प्रतिरोधी, रतुआ रोधी और रोगरोधी गुणों के चलते इस किस्म की अनुशंसा सभी गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए की गई है।

परीक्षणों में इसकी उत्पादन क्षमता करीब 75 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पाई गई है। गेहूं में लगने वाले करनाल बंट रोग के प्रति भी इसमें प्रतिरोधिता है। : Karnal New Wheat Variety

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इस किस्म की अगेती बिजाई करने पर मार्च के अंत में यदि तापमान बढ़ेगा तो इसके पकते समय दानों पर असर नहीं पड़ेगा।

जैसे कि सत्र 2021-22 में अचानक तापमान में वृद्धि होने से गेहूं की कच्ची बालियों में दूधिया दानों पर असर हुआ था। इस प्रजाति में तापमान के प्रति सहनशीलता है।

पिछले समय में प्रक्रिया के तहत इस किस्म को कृषि मंत्रालय के प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट अथॉरिटी (पी.पी.वी. एंड एफ. आर.ए.) दिल्ली मुख्यालय की ओर से पंजीकृत करवाया जा चुका है। : Karnal New Wheat Variety

इस एक्ट के तहत भी अनुसंधान संस्थान कई नई किस्मों के बीज प्रसार के लिए एम.ओ.यू. साइन करते हैं।

आई.ए.आर.आई. की ओर से 70 बीज उत्पादक संस्थाओं के साथ एचडी-3385 के बीज का उत्पादन करने के लिए अनुबंध करार हो चुका है।

बीज संस्थाओं को इस प्रजाति का बीज दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा बीज उत्पादित करके कम समय में किसानों तक उपलब्धता की जा सके। : Karnal New Wheat Variety

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सभी परीक्षणों में खरी उतरी नई किस्म

Karnal New Wheat Variety | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन करनाल के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिवकुमार यादव ने कहा कि उत्तर भारत के राज्य पंजाब, हरियाणा, एन. सी. आर. दिल्ली क्षेत्र व पश्चिमी उत्तरप्रदेश में एचडी-3385 की बिजाई अक्तूबर अंत व नवम्बर का प्रथम सप्ताह (25 अक्तूबर से 5 नवम्बर तक ) उपयुक्त समय और तापमान की स्थिति अनुसार शुरू की जाएगी।

किसानों को बीज देते समय इसका पैकेज ऑफ प्रैक्टिस बता दिया जाएगा। 70 बीज संस्थाओं के साथ संस्थान मुख्यालय ने इस किस्म के बीज को बढ़ावा देने के लिए अनुबंध करार किया है। इस वर्ष बीज उत्पादकों को इसका बीज Karnal New Wheat Variety दिया जाएगा ताकि बीज को बढ़ावा मिल सके।

संस्थान का प्रयास रहेगा कि भविष्य में कम से कम समय में अधिक से अधिक किसानों तक इस नई किस्म का बीज पहुंचाया जा सके।

इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की अन्य सभी अनुशंसित किस्मों की बिजाई के लिए किसानों को उपयुक्त समय और तापमान का भी ध्यान रखना है।

रात का तापमान 16 से 20 डिग्री और दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सैल्सियस के आसपास होना चाहिए। : Karnal New Wheat Variety

गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की खासियत एवं पैदावार

गेंहू की एचडी 3385 किस्म की पैदावार : इस किस्म की औसतन उपज क्षमता 59.7 प्रति हेक्टेयर है। जबकि, अधिकतम उपज क्षमता 73.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

गेंहू की यह नई एचडी 3385 किस्म की पैदावार HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% ज्यादा है।

गेंहू की एचडी 3385 किस्म : गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म के पौधे की ऊंचाई 98 सेमी है। : Karnal New Wheat Variety

गेंहू की एचडी 3385 किस्म की खासियत : गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म येलो, ब्राउन और ब्लैक रस्ट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है। इस किस्म में टिलरिंग की समस्या नहीं देखी गई है।

गेंहू के मामले में आत्मनिर्भर भारत

भारत में गेहूं का क्षेत्रफल करीब 31 मिलियन हैक्टेयर तक पहुंच गया है। गेहूं का सालाना उत्पादन करीब 112.92 मिलियन टन तक के आंकड़े को छू चुका है।

गेहूं उत्पादन के मामले में भारत न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि वार्षिक घरेलू खपत पूरी करने के अलावा कुछ मात्रा में गेहूं निर्यात भी करता है। : Karnal New Wheat Variety

करीब 140 करोड़ आबादी वाले देश में गेहूं को लेकर खाद्य सुरक्षा कायम है। इसका श्रेय देश के अनुसंधान वैज्ञानिकों, कृषकों व श्रमिकों की कठोर मेहनत को जाता है।

दूसरी ओर मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों में किसानों की तमन्ना रहती है कि उन्हें क्रमवार नए-नए उच्च उत्पादकता वाले बीज उपलब्ध होते रहें।

इस दिशा में आई.सी.ए.आर. (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधान कार्य चरम पर हैं।

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