मक्के की फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का अटैक, किसानों को सचेत कर रही कृषि विभाग की टीम

मक्के की फसल (Maize Crop) में फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप को कैसे रोका जा सकता है। कौन सी दवाई या क्या उपाय करने चाहिए? आइए जानते है…

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Maize Crop | मक्का भारत की एक प्रमुख अनाज फसल है, जिसे पशु चारा, मानव आहार और औद्योगिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी खेती कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली मानी जाती है, लेकिन इसकी उपज पर कई कीट और रोगों का खतरा बना रहता है। तना छेदक, फॉल आर्मीवर्म जैसे कीट और पत्ती धब्बा, रस्ट जैसे रोग पौधों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

यदि इनकी समय पर पहचान और नियंत्रण न किया जाए, तो पूरी फसल प्रभावित हो सकती है। इसलिए मक्के में कीट और रोगों की जानकारी एवं उनका सही प्रबंधन किसानों के लिए अत्यंत आवश्यक है। मक्के की फसल में इस समय फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।

कृषि विभाग की टीम भी किसानों को सचेत कर रही है। यह कीट मक्के की फसल (Makka Crop) को चौपट कर सकता है। आइए जानते है इसके नियंत्रण के बारे में सबकुछ…

मक्का में फॉल आर्मी वर्म नियंत्रण

फॉल आर्मी वर्म (स्पोडोप्टेरा फुजिपरडा) मक्का की फसल के लिए एक महत्वपूर्ण कीट है, जो पत्तियों और तनों को नुकसान पहुंचाता है। इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित रासायनिक विधियों का उपयोग किया जा सकता है। Maize Crop

बीज उपचार करें :- सायएन्ट्रानीलीप्रोल 19.8% + थायोमिथाक्सॉम 19.8% / 4 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके बुवाई करें। यह कीट के प्रारंभिक चरण में ही नियंत्रण करने में मदद करता है।

खड़ी फसल में नियंत्रण

निम्नलिखित में से किसी एक का प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें :-

1. साइपरमेथ्रीन 3% + क्यूनालफॉस 20% EC : 1250 मिली/हेक्टेयर

2. एसिफेट 45% + साइपरमेथ्रीन 5% DF: 1250 मिली/हेक्टेयर Maize Crop

3. इमामेक्टिन बेन्जोएट 5% SG: 200 ग्राम/हेक्टेयर

4. क्लोरेन्ट्रानीलीप्रोल 18.5 SC: 150 मिली/हेक्टेयर

5. स्पाइनोसेड 45% SC : 165 मिली/हेक्टेयर

6. स्पाइनेटोरम 11.7 एससी का उपयोग।

मक्का में फॉल आर्मीवर्म के प्रबंधन के लिए स्पाइनेटोरम 11.7 एससी का 250 मिली/हेक्टेयर की दर से 25-30 दिनों पर छिड़काव करें और दूसरा छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर ईटीएल के आधार पर दोहराएं। Maize Crop

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मक्के की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट

1. तना छेदक कीट (Stem Borer) : ये कीट पौधे के तने में छेद करके अंदर घुस जाते हैं। पौधा सूखने लगता है और दाना नहीं बनता। इसके नियंत्रण के लिए किसान फेरोमोन ट्रैप लगाना, क्लोरोपाइरीफॉस या क्विनालफॉस का छिड़काव कर सकते है। Maize Crop

2. सेमीलूपर या फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm) : सेमीलूपर या फॉल आर्मीवर्म कीट पत्तियों और मक्के के दानों को खाकर नुकसान पहुंचाता है। तेजी से फैलता है और पूरी फसल को तबाह कर सकता है। इसके नियंत्रण के लिए नीम आधारित कीटनाशी, स्पाइनोसेड या थायोमेथॉक्साम का छिड़काव करें।

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3. मक्का का थ्रिप्स (Maize Thrips) : ये छोटे कीट पत्तियों से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियाँ सिकुड़ने लगती हैं। इस कीट के रोकथाम के लिए डाईमेथोएट या इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते है। Maize Crop

मक्के की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग

1. पत्ती धब्बा रोग (Leaf Blight) : इस रोग से पत्तियों पर लंबे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। ये रोग तेजी से फैलता है और प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए किसान कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब दवाई का छिड़काव करें। Maize Crop

2. रस्ट रोग (Rust Disease) : रस्ट रोग की वजह से पत्तियों पर जंग की तरह भूरे-नारंगी रंग के दाग होते हैं। यह रोग फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर असर डालता है। इस रोग से मक्के की फसल को बचाने के लिए हेक्साकोनाज़ोल या प्रोपिकोनाज़ोल दवाई का छिड़काव करें।

3. बंद भुट्टा रोग (Cob Rot / Fusarium) : बंद भुट्टा रोग की वजह से भुट्टे की ग्रोथ रुक जाती है या वह सड़ने लगता है। यह रोग खासकर फफूंदी के कारण होता है। इसके नियंत्रण के लिए बीज का उपचार फफूंदनाशी से और खेत में जल निकासी व्यवस्था ठीक रखें। Maize Crop

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