मूंग में खरपतवार से पड़ेगा पैदावार पर असर, खरपतवार निदान के लिए यह दवाई डालें किसान

जानें मूंग की फसल में खरपतवार को रोकने के लिए कौन सी दवाई/खरपतवार नाशक (Moong herbicide) डालनी चाहिए।

Moong herbicide | दलहनी फसलों में मूंग एक महत्वपूर्ण फसल है। इसके दानों में लगभग 23-24 प्रतिशत प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन और विटामिन की प्रचुर मात्रा होती है इसका उपयोग दाल के अलावा नमकीन, पापड़ एवं मिठाइयाँ बनाने में भी होता है। मूंग को सभी मौसमों में बोया जा सकता है लेकिन वर्तमान समय में किसानों का रुझान मूंग की ग्रीष्मकालीन खेती के प्रति बढ़ा रहा है।

भाकृअनुप- भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के अनुसार वर्ष 2022 में इसकी खेती लगभग 5.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गई जिससे 3.17 मिलियन टन उपज एवं 570 किलोग्राम / हेक्टेयर उत्पादकता प्राप्त हुई। मूंग में कीट-व्याधियों, रोगों व खरपतवारों आदि से उपज में काफी हानि होती है जिसमे सबसे ज्यादा हानि खरपतवार Moong herbicide पहुंचाते हैं। इनके कारण फसलों और खरपतवारों के मध्य पोषक तत्वों, पानी, स्थान, प्रकाश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।

मूंग में खरपतवारों से होने वाली हानियां

फसल बीज के साथ खरपतवार Moong herbicide बीज मिलकर उनकी गुणवत्ता एवं बाजार मूल्य/भाव को कम कर देते है।

मूंग में खरपतवारों से बहुत अधिक नुकसान होता है। ये भूमि में उपस्थित पोषक तत्वों को ग्रहण करने के साथ-साथ अन्य फसल वृद्धि कारकों जैसे पानी, हवा, जगह, प्रकाश आदि के लिए फसल से प्रतिस्पर्धा भी करता है जिससे फसल वृद्धि और उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होती है।

फसलों में लगने वाले रोगों के कारक और कीट – व्याधियों आदि को प्रतिकूल तथा अनुकूल परिस्थितियों में खरपतवार आश्रय देते है। जिससे फसलों में रोग व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है जो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करता है।

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खरपतवार नियंत्रण का उचित समय

फसल व खरपतवार Moong herbicide की प्रतिस्पर्धा की क्रान्तिक अवस्था मूंग में बुवाई के 30 से 35 दिनों तक रहती है। यदि इस समय खरपतवार प्रबंधन नही किया जाएउस स्थिति में फसल उपज में 40-60 प्रतिशत तक की कमी आंकी गई है।

इसलिए अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए मूंग को इस अवधि तक खरपतवार Moong herbicide मुक्त रखना चाहिए, इसके लिए खरपतवार नियंत्रण की विभिन्न विधियों में से किसी भी विधि का प्रयोग कर खरपतवार नियंत्रित किये जा सकते है। इसलिए खरपतवार नियंत्रण की प्रभावी विधियों की जानकारी होना बहुत जरुरी है।

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मूंग में उगने वाले मुख्य खरपतवार

मूंग में सकरी पत्ती वाले खरपतवार Moong herbicide जैसेः इकाइनोक्लोआ कोलोना ( संवा), डायकैथियम एनुलैटम (मार्वल घास), पास्पेलिडीयम फ्लेविडम (येलो वाटरक्राउन घास), डाईनेब्रा रेट्रोफ्लेक्सा (वाईपर घास), इलुसिन इंडिका (इंडियन गूस ग्रास), डिजीटेरिया सैन्ग्युनेलिस (क्रेब ग्रास) एवं चौड़ी वाले अल्टरनेनथेरा सेसिलिस (रेशमकांटा), युफोर्बिया जेनीकुलाटा (दूधी), कान्वोल्वुलस असिस (हिरनखुरी), फाईसेलिस मिनिमा (ग्राउंड चेरी) तथा साइप्रस रोटंडस (मोथा) आदि वर्ग के खरपतवार बहुतायत में उगते है।

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण

Moong herbicide मूंग की फसल में निंदई नियंत्रण सही समय पर नही करने से फसल की उपज में 40-60 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। फसल व खरपतवार की प्रतिस्पर्धा की क्रान्तिक अवस्था मूंग में प्रथम 30 से 35 दिनों तक रहती है। इसलिये प्रथम निदाई-गुडाई 15-20 दिनों पर तथा द्वितीय 35-40 दिन पर करना चाहियें। कतारों में बोई गई फसल में व्हील नामक यंत्र द्वारा यह कार्य आसानी से किया जा सकता है।

चूंकि वर्षा के मौसम में लगातार वर्षा होने पर निदाई गुडाई हेतु समय नहीं मिल पाता साथ ही साथ श्रमिक अधिक लगने से फसल की लागत बढ जाती है। इन परिस्थितियों में निंदाई नियंत्रण के लिए निम्न नींदानाशक रसायन का छिड़काव करने से भी खरपतवार का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। Moong herbicide खरपतवार नाशक दवाओ के छिडकाव के लिये हमेशा फ्लैट फेन नोजल का ही उपयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण की विधियाँ

शुद्ध बीजों का प्रयोग : बुवाई के समय शुद्ध एवं साफ बीज, जिसमे खरपतवार Moong herbicide के बीज ना हो का प्रयोग खरपतवार रोकथाम के लिए बहुत ही कारगर है।

अंतर फसल (इंटरक्रॉप) : इस विधि में मुख्य फसल के बीज खाली स्थान में अंतर फसल फसल लगाईं जाती है जिससे की खरपतवारों Moong herbicide के वृद्धि व विकास के लिए स्थान शेष नहीं रह जाता जिससे खरपतवार सघनता में कमी आ जाती है।

हाथ से निराई-गुड़ाई : सरल और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के 15-45 दिन बाद खुरपी की सहायता से हाथ से निराई-गुड़ाई की जाती है।यह फसल-खरपतवार प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से उत्तम समय माना जाता है। इस विधि से खरपतवार नियंत्रण Moong herbicide के साथ मृदा में वायु के संचार में वृद्धि होती है जिससे पौधों के वृद्धि व विकास के लिए अनुकूल दशा निर्मित होती है तथा उपज अच्छी प्राप्त होती है।

हस्त चलित हो द्वारा निराई : यह भी खरपतवार प्रबन्धन Moong herbicide की एक उत्तम विधि है, इस विधि का प्रयोग कतार में बोई गई फसलों में आसानी से किया जाता है। इसको दो कतारों के बीच में चलाया जाता है तथा कतारों के बीच उगे खरपतवार मृदा के 1-2 सेमी गहराई से काट दिए जाते हैं। इस विधि द्वारा हाथ से निदाई विधि की तुलना में कम समय व श्रम में अधिक क्षेत्र के खरपतवारों को आसानी से हटाया जा सकता है।

रासायनिक विधि : खरपतवार प्रबंधन Moong herbicide का रासायनिक तरीका अन्य तरीकों से सरल, कम लागत और प्रभावशाली तरीका है। इसी कारण से खरपतवार नियंत्रण का रासायनिक तरीका किसानों के बीच सबसे ज्यादा प्रचलित है। खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग मुख्य फसलों अथवा मिश्रित फसलों में करके न केवल खरपतवारों को नष्ट करता है अपितु समय, श्रम व धन की बचत भी करता है।

मूंग फसल में डाली जाने वाली खरपतवारनाशक दवाई

  • घासकुल एवं कुछ चैडी पत्ती वाले खरपतवार के लिए किसान भाई बुवाई के 3 दिन बाद 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर पेन्डिमिथिलीन खरपतवारनाशक दवाई का छिड़काव करें।
  • घासकुल, मोथाकुल एवं चैडी पत्ती वाले खरपतवार के लिए बुवाई के 20 दिन बाद 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर इमेजेथापायर (परस्यूट) खरपतवारनाशक दवाई का छिड़काव करें।
  • घासकुल के खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण के लिए किसान भाई बुवाई के 15 से 20 दिन बाद 40 से 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर क्यूजालोफाप ईथाइल (टरगासुपर) खरपतवारनाशक दवाई का छिड़काव करें।

दवाई का उपयोग करते समय इन बातो का ध्यान रखे

  • शाकनाशी रसायनों की अनुशंषित मात्रा का प्रयोग करें।
  • शाकनाशी रसायनों को उचित समय पर छिडकाव करें। यदि छिडकाव समय से पहले या बाद में करते है तो लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना रहती है।
  • शाकनाशी रसायनों के छिड़काव के लिए घोल तैयार करते समय रसायन व पानी की सही मात्रा का उपयोग करना चाहिये।
  • फसलों में एक ही रसायन का बार-बार छिड़काव न करें बल्कि अदल-बदल कर करें।
  • खेत में पर्याप्त नमी होने पर ही छिड़काव करना चाहिए तथा पूरे खेत में छिड़काव एक समान करें।
  • छिड़काव के समय मौसम साफ होना चाहिए। यदि बारिश को संभावना हो तो छिड़काव ना करें ।
  • खरपतवारनाशी रसायनों को ठंडे, शुष्क और अंधेरे स्थान पर रखें तथा ध्यान रखें कि बच्चे और पशु इसके सम्पर्क में न आयें।
  • प्रयोग करते समय विशेष पोशाक, दस्ताने,जूते व चश्मों का प्रयोग जरूर करें। ध्यान रखे कि रसायन शरीर पर न पड़े।
  • प्रयोग के पश्चात खाली डिब्बों को नष्ट कर मिट्टी में दबा दें। इसे साफ कर इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को रखने के लिए कतई न करें।
  • छिड़काव करने के बाद दवा छिड़कने वाले व्यक्ति को अपने हाथ और मुंह को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
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