Mung ki unnat kismen MP : गर्मियों में मूंग की खेती करना चाहते है, गर्मी में मूंग की खेती के लिए कौन सी उन्नत किस्म बोए जिससे बढ़िया उत्पादन मिले, जानें लेख में..
Mung ki unnat kismen MP | दलहनी फसलों में मूंग का एक अपना विशिष्ठ स्थान है। गर्मियों में जहां पानी की अच्छी व्यवस्था हो, वहां मूंग की खेती इस समय में की जा सकती है। मूंग की खेती से किसान खरीफ एवं रबी फसलों के अलावा अतिरिक्त आय ले सकते है। इस लेख गर्मी में मूंग की बुवाई के लिए कौन सी उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है, जानें
गर्मी में मूंग की बुवाई का उचित समय
Mung ki unnat kismen MP गर्मियों में किसान साथी 25 फरवरी से 15 अप्रैल के पहले तक बोआई अवश्य कर दे, देर से बोआई करने से फूल फलिया गर्म हवा के कारण और वर्षा होने से क्षतिग्रस्त हो सकती है। इस समय बुवाई करने से बेहतर उत्पादन मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
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गर्मियों में बोई जानें वाली मूंग की उन्नत किस्में (Mung ki unnat kismen MP)
1. टॉम्बे जवाहर मूंग-3 (टी.जे. एम -3) :– इस वैरायटी को जवाहार लाल नेहरू कृषि विश्व विधालय जबलपुर ने विकसित किया था। इसकी पकने की अवधि 60 से 70 दिन एवं उपज क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाएगी। फलियाँ गुच्छो में लगती है, एक फली मे 8-11 दाने, 100 दानो का बजन 3.4-4.4 ग्राम, पीला मोजेक एवं पाउडरी मिल्डयू रोग हेतु प्रतिरोधक है।
2. जवाहर मूंग -721 :– इस वैरायटी Mung ki unnat kismen MP को कृषि महाविधालय इंदौर ने विकसित किया है। इसकी पकने की अवधि 70 से 75 दिन एवं उपज क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाएगी। यह वैरायटी पूरे मध्यप्रदेश में ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त है, पौधे की उंचाई 53-65 सेमी, 3-5 फलियाँ एक गुच्छे मे रहती है, एक फली में 10-12 दाने एवं पीला मोजेक एवं पाउडरीमिल्डयू रोग सहनशील है।
3. के – 851 (K -851) :– यह वैरायटी चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौघोगिकी विश्व विघालय, कानपुर द्वारा विकसित Mung ki unnat kismen MP की गई है। इसके पकने की अवधि 60 से 65 दिन एवं अधिकतम उत्पादन क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह वैरायटी ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त है। इसके पौधे मध्यम आकार के (60-65 सेमी.) लगभग एक पौधो मे 50-60 फलियाँ यानी एक फली मे 10-12 दाने निकलते है। इसका दाना चमकीला हरा एवं बडा एवं 100 दानो का वजन 4.0-4.5 ग्राम मापा गया है।
4. एच.यू.एम. 1 (HUM -1) :– यह किस्म बनारस हिंदू विश्वविधालय, वाराणसी द्वारा जारी की गई है। इसके पकने की अवधि 65 से 70 दिन एवं उत्पादन क्षमता 8 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर Mung ki unnat kismen MP देखी गई है। यह किस्म ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त, पौधे मध्यम आकार के (60-70 सेमी.), एक पौधे मे 40-55 फलियाँ, एक फली मे 8-12 दाने एवं इसके साथ ही पीला मोजेक एवं पर्णदाग रोग के प्रति सहनशील है।
5. पी.डी.एम – 11 (PDM – 11) :– यह वैरायटी भारतीय दलहन अनुसंधान केन्द्र, कानपुर द्वारा जारी की गई है। इसके पकने की अवधि 65 से 75 दिन एवं उत्पादन क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देखी गई है। यह किस्म ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त, पौधे मध्यम आकार के (55-65 सेमी.), मुख्य शाखये मध्यम (3-4), परिपक्व फली का आकार छोटापीला मोजेक रोग प्रतिरोधी है
6. पूसा विशाल :– यह किस्म Mung ki unnat kismen MP भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र- नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है। इसके पकने की अवधि 60 से 65 दिन एवं उत्पादन क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देखी गई है। यह किस्म ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो के लिये उपयुक्त, पौधे मध्यम आकार के (55-70 सेमी.), फली का साइज अधिक (9.5-10.5 सेमी.), दाना मध्यम चमकीला हरा एवं पीला मोजेक रोग सहनशील है।
7. जनकल्याणी मूंग की किस्म :– गर्मियों में मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। मूंग की जनकल्याणी किस्म का दाना चमकीला गोल और मोटा होता है। किसानों के लिए अच्छी बात यह है कि इस किस्म Mung ki unnat kismen MP में न तो कोई बीमारी लगती है न हीं इसकी क्वालिटी खराब होती है यह किस्म कम समय में यानी महज 55 दिनों में ही पक कर तैयार हो जाती है।
यह अति शीघ्र फल देने वाले फल है, यह रोगमुक्त प्रजाति है। इसकी बुवाई का समय फरवरी माह से 15 अप्रैल एवं जून-जुलाई तक का है। मूंग की इस प्रजाति के विषय में अधिक जानकारी के लिए प्रताप सिंह रघुवंशी के मोबाइल फोन पर 09839259374 या 9580246411 पर संपर्क किया जा सकता है।
गर्मियों के लिए मूंग की कुछ अन्य उन्नतशील किस्में (Mung ki unnat kismen MP)
मूंग की उन्नतशील किस्मों में पंत मूंग-2, नरेन्द्र मूंग-1, मालवीय जागृति सम्राट, जनप्रक्रिया, विराट, मेहा आदि खास है। ये किस्में सिंचित इलाके में गर्मियों के मौसम में उगाई जाती है, जो 60 से 70 दिनों मे पक कर तैयार हो जाती है इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4-5 क्विंटल है।
बीज की मात्रा बीज उपचार और दूरी
गर्मियों में 10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ Mung ki unnat kismen MP डालना चाहिए। कूंड़ो में 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर पर होने से जमाव ठीक होता है। मूंग के बीजजनित रोगों से बचाव के लिए उपचार हेतु प्रति किलोग्राम बीच में 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा का प्रयोग कर ले।
इसके बाद बुवाई के 8-10 घंटे पहले 100 ग्राम गुड़ को आधा लीटर पानी में घोल कर कर्म कर ले ठंडा होने के बाद मूंग के राइजोबियम कल्चर एक पैकेट को गुड़ वाले घोल में डालकर मिला लें और उसे बीजों पर छिड़क कर हाथ से अच्छी तरह से मिला दे जिससे प्रत्येक दाने पर टीका चिपक जाएगा, इसके बाद बीच को छाया में सुखा कर बोआई करना चाहिए।
मूंग की फसल में सिंचाई प्रबंधन
Mung ki unnat kismen MP भूमि के प्रकार, तापमान और हवा की तीव्रता पर सिंचाई निर्भर करती है, 3-4 सिंचाई सही होती। पहली सिंचाई बोआई तकरीबन 20 से 25 दिन के बाद करें। उस के बाद सिंचाई जरूर होने पर 10-15 दिन के अंतराल पर करें, बोआई के 50-55 दिन बाद सिंचाई ना करें।
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