हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विभाग (Mustard Crop Advisory) ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी..
Mustard Crop Advisory | सरसों का भारतवर्ष में तिलहन फसलों में प्रमुख स्थान है। देखा जाए तो ये देश के ज्यादातर राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात समेत अन्य राज्यों में सरसों की खेती की जाती है। वहीं, भारत के कुछ राज्य के किसानों के लिए ये फसलें मुख्य फसलों में से एक है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विभाग ने सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी सुझाव जारी किए गए हैं, ताकि वह अपनी फसल से बंपर पैदावार ले सकते है।
सरसों की फसल के लिए रोग प्रबंधन (Mustard Crop Advisory)
सरसों की फसल में तना गलन रोग, झुलसा रोग सफेद रोली रोग औऱ तुलासिता रोग का प्रभाव अधिक होता है। फसल में ये रोग लगने से फसल के उत्पादन में कमी आती है। इसलिए किसान को इनके बचाव के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।
किसान अपने खेतों में निगरानी रखें और सफेद रतुआ बीमारी के लक्षण नजर आते ही 600-800 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करें।
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किसान Mustard Crop Advisory पाले का आंदेशा होने पर हल्की सिंचाई (पतला पानी) करें। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग द्वारा समय पर जारी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही फफूंदीनाशक का प्रयोग करें।
इसके अलावा इन फसलों में आरा मक्खी, माहू आदि प्रमुख कीट का प्रभाव भी देखने को मिलता है। इनके बचाव के लिए किसान को अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करना चाहिए। ताकि वह इसके लिए सही उपचार कर इन रोगों व कीटों पर नियंत्रण पा सके।
वहीं, किसान को इन रोगों व कीटों से फसलों को सुरक्षित रखने के लिए रोग रोधी किस्में Mustard Crop Advisory का इस्तेमाल करना चाहिए। खेत में स्वस्थ बीज का इस्तेमाल करने से बीज के साथ लगे कवक रोगजनकों की संभावना दूर होती है।
सरसों की फसल में रासायनिक उर्वरकों की मात्रा
Mustard Crop Advisory | सरसों से भरपूर पैदावार लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करने से उपज पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना अधिक उपयोगी होगा। राई-सरसों को नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश जैसे प्राथमिक तत्वों के अलावा गंधव तत्व की आवश्यकता अन्य फसलों की तुलना में अधिक होती है।
सामान्य सरसों में उर्वरकों का प्रयोग सिंचित क्षेत्रों में नाइट्रोजन 120 किग्रा, फास्फोरस 60 किग्रा। तथा पोटाश 60 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से अच्छी उपज प्राप्त होती है। फास्फोरस का प्रयोग सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में अधिक लाभदायक होता है।
क्योंकि इससे सल्फर Mustard Crop Advisory की उपलब्धता भी हो जाती है। यदि सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग न किया जाए तो सल्फर की उपलब्धता करने के लिए 40 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से गंधक का प्रयोग करना चाहिए तथा असिंचित क्षेत्रों में उपयुक्त उर्वरकों की आधी मात्रा बेसल ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग की जाए। यदि डी.ए.पी. का प्रयोग किया जाता है तो इसके साथ बुआई के समय 200 किग्रा।
जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना फसल के लिए लाभदायक होता है तथा अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 60 कुन्तल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फेट एवं पोटाश Mustard Crop Advisory की पूरी मात्रा बुआई के समय कूड़ों में बीज से 2-3 सेमी. नीचे नाई या चोगों से दिया जाए। नाइट्रोजन की शेष मात्रा पहली सिंचाई (बुवाई के 25-30 दिन बाद) के बाद टाप ड्रेसिंग द्वारा दी जाए।
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सरसों फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सल्फर की भूमिका
Mustard Crop Advisory | गंधक का प्रयोग सरसों का दाना चमकदार, मोटा एवं इसमें तेल की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। फसल में सल्फर की मात्रा की पूर्ति के लिए, आप किसान बेंटोनाइट सल्फर या सल्फर का इस्तेमाल कर सकते हैं। गंधक बीजों में तेल की मात्रा बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए सरसों सहित सभी तिलहनी फसलों में इसका उपयोग आवश्यक है।
यदि भूमि में गंधक की मात्रा कम है तो आप इसे उर्वरक के रूप में दे। यदि फास्फोरस की आपूर्ति सुपर फास्फेट द्वारा कर रहे हैं तो आप 12 प्रतिशत गंधक इससे प्राप्त कर लेंगे। नत्रजन के लिए अमोनियम सल्फेट का उपयोग करने पर 24 प्रतिशत गंधक भी मिल जाता है जो पानी में अति घुलनशील रहता है। गंधक, गंधक युक्त अमीनो अम्ल के निर्माण का अनिवार्य तत्व है।
बायोटिन व थायमिन में जो पौधों की वृद्धि Mustard Crop Advisory को नियंत्रित करते हैं, गंधक तत्व पाया जाता है। अधिकतर तेलों के अन्दर भी गंधक का अंश होता है। पौधों में सुगंध तेल बनाने के लिये भी गंधक का होना आवश्यक है, तिलहन फसलों में तेल की 4-9% मात्रा बढ़ाता है। पौधों में अमीनो एसिड प्रोटीन बनाने के लिये भी आवश्यक है। साथ में पौधों के हरे पदार्थ क्लोरोफिल के निर्माण के लिये भी यह आवश्यक तत्व है। यदि आपके खेत में गंधक की कमी है तो पौधा नत्रजन का अवशोषण भी नहीं कर पाता है।
केंचुआ, गोबर एवं कम्पोस्ट खाद का उपयोग जरूरी
Mustard Crop Advisory | भरपूर उत्पादन प्राप्त करने हेतु रासायनिक उर्वरकों के साथ केंचुए की खाद, गोबर या कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्रों के लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर या कम्पोस्ट खाद 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अथवा केंचुआ की खाद 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बुवाई के पूर्व खेत में डालकर जुताई के समय खेत में अच्छी तरह मिला दें। बारानी क्षेत्रों में देसी खाद (गोबर या कम्पोस्ट) 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से वर्षा के पूर्व खेत में डालें Mustard Crop Advisory और वर्षा के मौसम मे खेत की तैयारी के समय खेत में मिला दें।
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