सोयाबीन की बुवाई Soybean ki buvae शुरू हो गई है सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है यहां जानिए…
Soybean ki buvae : खरीफ की प्रमुख फसल में शुमार सोयाबीन की बुवाई मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं राजस्थान में अधिक होती है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा होती है। वर्तमान में धीरे-धीरे मानसून पूरे देश में सक्रिय हो रहा है कई क्षेत्रों में सोयाबीन की बुवाई का काम शुरू हो चुका है। सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है आइए विशेषज्ञों से जानते हैं …
सोयाबीन का बीजोपचार जरूरी
सोयाबीन Soybean ki buvae अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए बीजोपचार के लिए सलाह दी हैं कि किसान सोयाबीन फसल की प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा कीटो से बचाव के साथ-साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक है।
इसके लिए अनुशंसा है कि बीज Soybean ki buvae को अनुशंसित पूर्वमिश्रित फफूंदनाशक एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 2.5%+ थायोफिनेट मिथाईल 11.25%+ थायामिथोक्साम 25% एफ. एस. (10 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) अथवा पेनफ्लूफेऩ़ +ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबीन 38 एफ.एस. (1 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) अथवा कार्बोक्सिन 37.5%+थाइरम 37.5% (3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) अथवा कार्बेन्डाजिम 25%+ मेन्कोजेब 50% डब्ल्यू.एस. (3 ग्रा./कि.ग्रा. बीज) से उपचारित कर थोड़ी देर छाया में सुखाएं।
तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायामिथोक्सम 30 एफ.एस.10 मि.ली मि.ली./कि.ग्रा. बीज) अथवा इमिडाक्लोप्रिड) 1.25 मि.ली./कि.ग्रा. बीज Soybean ki buvae से भी उपचारित करें।
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जैव उर्वरकों का ध्यान रखें
- बीज को राइजोबियम कल्चर (बे्रडी जापोनिकम) 5 ग्राम एवं पी.एस.बी.(स्फुर घोलक) 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज Soybean ki buvae की दर से बोने से कुछ घंटे पूर्व टीकाकरण करें ।
- पी.एस.बी. 2.50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाने से स्फुर को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर पौधों को उपलब्ध कराने में सहायक होता है।
- सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए यह 10 टिप्स फॉलो करें
- फसल में आयरन होगा तो इल्ली नही आएगी।
- फसल में सल्फर होगा तो फंगस नही लगेगा। सल्फर की कमी को दूर करने के लिए किसान बंधु प्रति एकड़ 100 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग कर सकते हैं।
- फसल में जिंक होगा तो कोई भी वायरस का प्रकोप नही होगा।
- फसल में तांम्बा, मैगनीज होगा तो बैक्टीरियल ब्लास्ट जैसी बीमारी नही आएगी।
- फसल में कैल्सियम होगा तो रसचुसक कीट नही आएंगे।
- वर्तमान में मिट्टी की ऊपरी सतह में उक्त खनिज तत्व नही है इसीलिए फसलों में बीमारियाँ आ रही है। खनिज तत्वों की कमी नहीं रहेगी तो फसल की उपज बढ़ेगी।
- फसल में बोरान कैल्सियम नही होगा तो नई कोपलें नही आती और फूल नही आते है, फल फटते है।
- फसल Soybean ki buvae में फॉस्फोरस नही होगा तो पत्ते टेढ़े-मेढ़े हो जाते है,फसल की ऊँचाई नही आती है।
- फसल में पोटास नही होगा तो फसल में कंसे नही आते,फल कम लगते है,फल छोटे रह जाते है।
- 10)फसल में जिंक सल्फर नही होगा तो फलो में स्वाद नही आता।
सोयाबीन फसल में जैविक टीकाकरण करें
सोयाबीन अनुसंधान Soybean ki buvae संस्थान इंदौर द्वारा सोयाबीन के किसानों को जौविक टीकाकरण की सलाह दी गई है।सोयाबीन की बोवनी करते समय बीज को जैविक कल्चर ब्रेडीरायबियम + पी.एस.एम् प्रत्येकी 5 ग्राम/किग्रा. बीज कि दर से करे। किसान रासायनिक फफूंद नाशक के स्थान पर जैविक फफूंद नाशक ट्रायकोडर्मा ( 10 ग्राम/किग्रा बीज) का भी उपयोग कर सकते हैं जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलकर प्रयोग किया जा सकता है।
सोयाबीन के लिए अनुशंसित फर्टीलाइजर की मात्रा
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा सोयाबीन उत्पादक किसानों Soybean ki buvae के लिए सोयाबीन की फसल में अनुशंसित आवश्यक पोषक तत्व (25:40:60:20 कि.ग्रा/हे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय करें। इसके लिए इनमें से कोई भी एक उर्वरकों के स्रोत का चयन किया जा सकता है –
- डी.ए.पी 125 किग्रा. + 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश+ 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर या
- यूरिया 56 कि.ग्रा. + 375-400 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट व 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश या
- मिश्रित उर्वरक 12:32:16 @200 किग्रा + 25 किग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर।
सोयाबीन की बुआई करते समय पौधे और कतारों के बीच दूरी कितनी होनी चाहिए?
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान Soybean ki buvae ने जून की अवधि में सोयाबीन की बुबाई करने से पहले कृषकों को सलाह में बताया गया है कि सोयाबीन की बोवनी हेतु किसान अनुशंसित 45 सें.मी. कतारों की दूरी का अनुपालन करें। इसके साथ ही बीज को 2-3 सें. मी. की गहराई पर बोवनी करते हुए पौधे से पौधे की दूरी 5-10 से.मी. रखें। न्यूनतम 70% अंकुरण के आधार पर सोयाबीन का बीज दर 65-70 किग्रा/हे. की दर से उपयोग करें।
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सोयाबीन के साथ कौन-सी अंतरवर्तीय फसल लगानी चहिए?
किसान मानसून की अनिश्चितता के जोखिम से बचने के लिए सोयाबीन Soybean ki buvae आधारित अंतरवर्तीय फसल लगाए। सोयबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा सोयाबीन उत्पादक किसानों को जून की अवधि के लिए साप्ताहिक (19 से 25 जून) सलाह दी गई हैं कि किसान असिंचित क्षेत्रों में जहां रबी की फसल लेना संभव नहीं हो वहां सोयाबीन के साथ अरहर की अंर्तवर्तीय फसल उगाना अधिक लाभकारी है।
जबकि सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार, कपास, बाजरा, आदि अंर्तवर्तीय फसलों Soybean ki buvae की काश्त करें जिससे रबी फसल की बोवनी पर प्रभाव न पड़़े। इसी प्रकार फल बागों (आम, पपीता , कटहल, अमरुद आदि) के बीच की खाली जगह में भी सोयाबीन की खेती की जा सकती है।
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