गेहूं (Wheat Crop) में मंडूसी होने पर उत्पादन पर पड़ता है बड़ा असर। खरपतवार एवं सिंचाई प्रबंधन का ध्यान रखें किसान।
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
Wheat Crop | गेहूं के खेत में शुरू में उगने वाले खरपतवार मंडूसी या गुल्ली डंडा की पहचान कर पाना बेहद मुश्किल है। इस तरह के खरपतवार की वजह से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गेहूं की फसल भी खराब हो जाती है। गेहूं के खेत में मंडूसी के पौधों की पहचान काफी मुश्किल होती है, लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि मंडूसी के पौधे गेहूं के मुकावले हल्के रंग के होते हैं।
मंडूसी में लैग्यूल और गेहूं (Wheat Crop) में आरिकल्ज ज्यादा विकसित होते हैं। इसके अतिरिक्त मंडूसी का तना जमीन के पास से लाल रंग का होता है। तना तोड़ने या काटने पर इसके पत्तों, तने और जड़ों से भी लाल रंग का रस निकलता है, जबकि गेहूँ के पौधे से निकलने वाला रस रंगविहीन होता है। किसान बिजाई के 21 दिन बाद फसल में पहली सिंचाई करे, जबकि बिजाई के 35 दिन के बाद फसल में खरपतवारनाशक दवा का स्प्रे प्रति एकड़ 200 लीटर पानी का घोल बनाकर साफ मौसम में दोपहर के समय करें।
गेहूं के खेतों (Wheat Crop) में बहुत से अनावश्यक पौधे उग जाते हैं, जो खरपतवार होते हैं। खरपतवार नियंत्रण समय पर करना अति आवश्यक है। यदि किसान ऐसा नहीं करते तो उनके खेतों में पैदावार कम रह जाती है। खेती पर लागत पूरी होने के बाद उपज कम मिलने पर किसान चिंतित होते हैं। ऐसे में किसानों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
ऐसे करें खरपतवार की रणनीति | Wheat Crop
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनिल खिप्पल ने कहा कि बुआई के लिए हमेशा खरपतवार रहित गेहूं के बीज का उपयोग करें।
खरपतवार नाशक को सही मात्रा, सही समय व उपयुक्त तकनीक से छिड़काव करें।
बुआई के 30 से 35 दिन की अवधि में छिड़काव अवश्य कर दें।
खरपतवारनाशी को अदल-बदल कर उपयोग में लाएं।
फसल चक्र में चारे वाली फसलें जैसे बरसीम, जई आदि का समायोजन अवश्य करें।
शाकनाशी प्रतरोधकता नियंत्रण के लिए जीरो टिलेज मशीन द्वारा बुआई करने से पहले ग्लाइफोसेट जमा फ्रेंडीमैथालीन का प्रयोग अवश्य करें। : Wheat Crop
अधिक असर के लिए सल्फासल्फ्यूरॉन, सल्फासल्फ्यूरॉन जमा मैटसल्फ्यूरान का पहली सिंचाई से पहले उपयोग करें।
पीला रतुआ से ऐसे करें बचाव
पीला रतुआ गेहूं की फसल का रोग है, जिसके उत्तर भार में गेहूं की फसल प्रभावित होती है। फसल सत्र के दौरान उच्च आर्द्रता एंव वर्षा से पीले रतुआ के संक्रमण से लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करती हैं। इस रोग का संक्रमण पौधों के विकास की प्रारंभिक अवस्थाओं में होने पर अधिक हानि हो सकती है।
गेहूं की खेती में पीला, भूरा व काला रतुआ से बचाव के लिए किसान मैन्कोजेब (एम.45) नामक दवाई का 800 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी मिलाकर स्प्रे करें। आवश्यकता पड़ने पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव करें। : Wheat Crop
ये भी पढ़ें 👉 पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से जानें रबी फसलों में खरपतवार प्रबंधन के आसान उपाय
यह रखें सावधानी
क्लोडिनफॉप/ फिनोक्साप्रॉप / फिनोक्साइडेन को 2.4 -डी के साथ न मिलाएं, 2.4डी का छिड़काव पहले छिड़काव के एक सप्ताह के बाद करें।
खरपतवारनाशी की अनुशांसित मात्रा से कम या अधिक मात्रा में छिड़काव न करें।
खेत में खरपतवार के बीज न बनने दें। : Wheat Crop
कृषि योजना खेती किसानी, मंडी, भाव लेटेस्ट बिजनेस एवं टेक की जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो कर सकते है।
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
यह भी पढ़िए…👉 मध्य क्षेत्र के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित होगी गेहूं की यह नई किस्म, किसानों ने ली 92 क्विंटल हेक्टेयर तक पैदावार..
👉जबरदस्त फुटाव और गर्मी को भी सहन करके बम्पर पैदावार देने वाली गेहूं की नई किस्म तैयार, पड़े डिटेल..
मध्य क्षेत्र के लिए गेंहू की नई किस्म पूसा अनमोल HI 8737, उपज 78 क्विंटल, बुकिंग शुरू हुई
प्रिय किसानों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.