शरबती गेहूं में एक से 2 सिंचाई से चल जाएगा काम, कम पानी में इस तरह बेहतर पैदावार निकाले किसान

पानी की उपलब्धता के आधार पर फसल की वैरायटी तय करें। कम पानी में गेहूं (Wheat Irrigation) से बेहतर पैदावार के लिए इन विकल्पों को अपनाएं…

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Wheat Irrigation | रबी सीजन की फसलों का सीधा संबंध पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वह अपने क्षेत्र में पानी की उपलब्धता के आधार पर फसल की वैरायटी तय करें और प्रशासन को भी चाहिए कि उसी के आधार पर नहरों में पानी छोड़ने की कार्ययोजना बनाए। रबी की मुख्य फसल गेहूं में शरबती वैरायटी में कम पानी लगता है। 25 से 30 दिन के अंतराल में दो पानी में भी ये वैरायटी बेहतर पैदावार देती है।

गेहूं की अन्य किस्में जो खाने योग्य नहीं मानी जाती, उनमें चार से पांच बार पानी (Wheat Irrigation) देना पड़ता है। जिन क्षेत्रों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है, वहां किसानों को कम पानी वाली वैरायटी की फसलों को बोना चाहिए। कम पानी वाले क्षेत्रों में चना किसानों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। समय पर और जरूरत के अनुसार पानी मिलने से गेहूं और चने जैसी प्रमुख रबी फसलों की उपज में 10-15% तक बढ़ोतरी होती है।

पानी देर से मिला तो बीज सूखने का खतरा | Wheat Irrigation

बुवाई शुरू करने से पहले किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि डेमो से पानी कब छोड़ा जाएगा। सिंचाई की तारीख का फसल की सफलता पर सीधा असर पड़ता है। अगर पानी देर से पहुंचा तो खेतों की ऊपरी नमी खत्म हो जाएगी और बीज सूख सकते हैं, अंकुरण कम होने का खतरा रहता है।

वहीं बहुत जल्दी पानी (Wheat Irrigation) मिलने पर मिट्टी में अतिरिक्त नमी से बीज सड़ सकता है एवं अंकुरण प्रभावित होता है। इसलिए बुवाई से पहले किसान अपने इलाके की सिंचाई शेड्यूल की जानकारी जरूर लें, ताकि फसल सही नमी में तैयार हो सके और पौधे को शुरुआती बढ़वार बेहतर मिले।

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ज्यादा पानी देने से ज्यादा उपज की धारणा गलत

Wheat Irrigation | गेहूं में दो पानी सिंचाई हेतु होने की दशा में पहला 21 से 25 दिन में एवं दूसरा पानी 40 से 45 दिन के अंदर देना चाहिए। ज्यादा पानी देने से ज्यादा उपज मिलेगी यह धारणा भी बिल्कुल गलत है, पौधे को उसकी क्रांतिक अवस्था के आधार पर आवश्यकता अनुसार ही पानी देना चाहिए।

अंतिम छोर (टेलएरिया) में पहले करें बुवाई

Wheat Irrigation | प्रशासन टेल एंड में पहले पानी देने की योजना बनाता है, पर अक्सर नहरों के टेल क्षेत्र में पानी देरी से पहुंचता है, जिससे कई खेतों में नमी जल्दी खत्म हो जाती है। ऐसे किसान बुवाई में देरी न करें, बल्कि नमी बचाने पर ध्यान दें। पहली हल्की सिंचाई के बाद खेत को तुरंत समतल कर दें ताकि पानी रुक सके। फसल चयन में गेहूं की बजाय चना, मसूर या सरसों जैसी कम पानी वाली फसलें अपनाएं।

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