गेहूं में जिंक की कमी (Zinc deficiency in wheat crop) के कारण फसल की बढ़वार एक समान नहीं रहती है और पौधे छोटे रह जाते है, जानें इस समस्या का समाधान।
Zinc deficiency in wheat crop | फसलों से अच्छा उत्पादन देने के लिए सबसे जरूरी है पौषक तत्वों का जरूरी होना। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, जिंक एवं कई प्रकार के पौषक तत्व पौधे के लिए baht आवश्यक है। यदि जिस पौधे में पोषक तत्व की कमी हो जाए तो, उसकी बड़वार पर या फिर फसलों के उत्पादन पर असर देखने को मिलता है। ऐसे में आज हम किसान भाइयों के लिए लेकर आए है.. जिंक की कमी Zinc deficiency in wheat crop के कारण किस तरह गेंहू को पैदावार पर असर पड़ता है एवं अगर पौधे में जिंक की कमी हो जाए तो किस तरह उसकी आपूर्ति करनी चाहिए।
गेंहू की फसल में जिंक की कमी के लक्षण
गेहूं में जिंक की कमी Zinc deficiency in wheat crop के कारण फसल की बढ़वार एक समान नहीं रहती, पौधे छोटे रह जाते हैं और पत्तियाँ पीले हरे रंग की रहती हैं। अधिक चूने वाली रेतीली तथा क्षारीय चिकनी मिट्टी इससे अधिक प्रभावित होती है। अधिक पी.एच. की दशा में जिंक की कमी अधिक मिलती है। नई व मध्य की पत्तियों में मध्य शिरा व किनारों के बीच पीले धब्बे दिखाई देते हैं जो लंबाई में फैलते हैं। अंत में ये पीले भूरे या भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
गेंहू में जिंक की कमी होने पर यह करें..
जिंक की कमी Zinc deficiency in wheat crop के कारण फसल पकने में अधिक समय लेती है। जिन खेतों में जिंक की कमी हो वहां 20 किलो जिंक प्रति हेक्टर के मान से पहली जुताई के समय दे देना चाहिये। यह 3-4 वर्ष के लिये इसकी आपूर्ति कर देगा। यदि खड़ी फसल में जिंक की कमी दिखे तो अंकुरण के 3 व 5 सप्ताह बाद 1 किलो जिंक सल्फेट (हेप्टाहाईड्रेट)+1 किलो यूरिया का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें, इसमें चिपकने वाला पदार्थ अवश्य मिलाये।
ये भी पढ़ें 👉 कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की 10 प्रतिशत अधिक उपज देने वाली गेहूं की उन्नत किस्म एमपी 1378, जानें डिटेल
गेंहू के लिए कम पानी की स्थिति में ऐसे सिंचाई करे
Zinc deficiency in wheat crop | यदि आपके पास चार बार सिंचाई देने के लिये ही पानी उपलब्ध है तो आप पहला पानी- बीज बोने के 20 से 25 दिन बाद, दूसरा पानी- पहली सिंचाई के 30 दिन बाद, तीसरा पानी- दूसरी सिंचाई के 30 दिन बाद, चौथा पानी – तीसरी सिंचाई के 20-25 दिन बाद दें।
कम पानी होने की स्थिति में यह ध्यान रखें कि शीर्ष जड़ निकलने की अवस्था जो 20-25 दिन के अंदर आ जाती है इस समय सिंचाई देना आवश्यक है। यदि दो सिंचाई ही उपलब्ध हो तो शीर्ष जड़ निकलते व पुष्प अवस्था के समय सिंचाई दें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध हो तो शीर्ष अवस्था, गभोट अवस्था तथा दूधिया अवस्था Zinc deficiency in wheat crop के समय सिंचाई दें।
👉ऐसी खबरों के लिए व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
यह भी पढ़िए….👉 जिन किसानों में अब तक सोयाबीन नहीं बेची उनके लिए भाव को लेकर बड़ी अच्छी खबर, अब क्या भाव रहेंगे जानें..
👉 सरसों की बोवनी 4 लाख हेक्टेयर में हुई, बंपर पैदावार के लिए अभी यह काम करें..
👉 बाजार में महिंद्रा के इन टॉप 5 ट्रैक्टरों की भारी डिमांड, जानें टॉप 5 मॉडल की कीमत एवं खासियत
👉 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली प्याज की सबसे अच्छी टॉप 8 किस्में
प्रिय पाठको…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.