गेंहू की पत्तियां पीली पड़ी? अच्छी उपज के लिए कृषि वैज्ञानिकों से जानें इसकी वजह और प्रबंधन के 10 तरीके…

गेंहू की निचली पत्तियां (Wheat Cultivation) पीली पढ़ने पर पौधे की बढ़वार रुकेगी। जानें गेंहू की पत्तियां क्यों पीली पड़ जाती है एवं इसके प्रबंधन के उपाय।

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Wheat Cultivation | सर्दियों में खेतों में उगाई जाने वाली फसलों में से गेहूं किसानों की प्रमुख पसंद है। हर साल नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर तक गेहूं की बुवाई शुरू होती है। लेकिन, जैसे ही तापमान 5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होने लगता है।

किसानों को एक सामान्य लेकिन चिंताजनक समस्या का सामना करना पड़ता है। गेहूं की निचली पत्तियों का पीला पड़ना।

यह समस्या न केवल पौधों की वृद्धि पर नकारात्मक असर डालती है, बल्कि प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे उत्पादन घटने का खतरा बढ़ जाता है। : Wheat Cultivation

इस समस्या को समझने और इसका समाधान तलाशने के लिए हमने डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार सिंह से बात की।

उन्होंने गेहूं के पीले पड़ती पत्तियों की समस्या के कारण और बचाव के तरीके विस्तार से समझाए। आइए जानते है क्यों पीली पड़ जाती हैं गेहूं की पत्तियां (Wheat Cultivation) ? एवं किसान भाई इसके प्रबंधन के लिए क्या करें…

क्यों पीली पड़ जाती हैं गेहूं की पत्तियां?

Wheat Cultivation | डॉ. सिंह ने बताया कि सर्दियों में मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। इसके कारण मिट्टी में पौधों को पोषण देने वाले तत्वों की कमी हो जाती है।

ठंड के दौरान नाइट्रोजन की उपलब्धता घटती है, और पौधे निचली पत्तियों से नाइट्रोजन को ऊपरी हिस्सों की ओर ले जाते हैं। नतीजतन, निचली पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। इसके अलावा, निम्नलिखित कारण भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं :-

अत्यधिक ठंड और पाला : ठंड के कारण कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे पत्तियों का रंग बदल जाता है। : Wheat Cultivation

पीली कुंगी और लीफ ब्लाइट जैसी बीमारियां : ये फफूंदजनित रोग भी पत्तियों के पीले होने का बड़ा कारण बनते हैं।

जलजमाव : खेत में पानी के ठहराव के कारण जड़ों का विकास प्रभावित होता है, जिससे पौधों को पोषण नहीं मिल पाता।

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Wheat Cultivation | किसानों के लिए बचाव के उपाय

डॉ. सिंह ने किसानों को गेहूं की फसल को इस समस्या से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं :-

ठंड से बचाव करें : पाले के प्रभाव को कम करने के लिए खेत में धुआं करें और ठंडी रातों में हल्की सिंचाई करें।

दलहनी फसलों का चक्र अपनाएं : दलहनी फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को दूर करती हैं। : Wheat Cultivation

उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें : बुवाई के समय नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश सही मात्रा में डालें। साथ ही, जिंक और सल्फर का भी उपयोग करें।

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जैविक खाद का उपयोग करें : गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट और ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उपाय फसल को पोषण देने के साथ मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधारते हैं।

खेत में जलजमाव रोकें : पानी का ठहराव फसल के लिए नुकसानदेह है। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों के बाद करें। : Wheat Cultivation

पराली न जलाएं : पराली जलाने से मिट्टी के सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते हैं। इसे डीकंपोजर से सड़ाकर खेत में मिलाएं।

पत्तियों पर छिड़काव करें : यदि पत्तियां पीली हो रही हों, तो यूरिया और मैग्नीशियम सल्फेट का घोल बनाकर छिड़काव करें।

सर्दियों में पौधों की देखभाल जरूरी..

Wheat Cultivation | ठंड के मौसम में फसलों की उचित देखभाल करना इसलिए जरूरी है क्योंकि तापमान कम होने पर फसलों की वृद्धि धीमी हो जाती है। नाइट्रोजन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से उत्पादन क्षमता में गिरावट हो सकती है।

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों पर नियमित रूप से ध्यान दें और किसी भी समस्या के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें। पौधों की निचली पत्तियों का पीला पड़ना भले ही एक सामान्य समस्या हो, लेकिन समय पर उचित उपाय करने से इसे रोका जा सकता है।

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