मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (Lakhpati Didi) द्वारा महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मिले कड़कनाथ चूजे। देखें योजना की डिटेल..
Lakhpati Didi | मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण और “लखपति दीदी” बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सीहोर जिले में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है।
मिशन अंतर्गत गठित 110 महिला स्व–सहायता समूह सदस्यों को पशुपालन विभाग के अभिसरण से 30 अक्टूबर एवं 5 नवम्बर को बैकयार्ड पोल्ट्री योजना के तहत कड़कनाथ एवं देशी रंगीन नस्ल के चूजे वितरित किए गए, जिससे महिलाओं को स्थायी आय का स्रोत मिलने की दिशा में बड़ा अवसर प्राप्त हुआ है।
देशी मुर्गी उच्च प्रोटीन व कम वसा के कारण बाजार में अत्यधिक मांग रखती है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आय में कई गुना वृद्धि की संभावना है। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (NIHSAD) भोपाल के सहयोग से 45 महिलाओं को कड़कनाथ चूजों की पूर्ण इकाई – उच्च गुणवत्ता का मुर्गी आहार, देखरेख सामग्री तथा आगामी तीन माह तक तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। Lakhpati Didi
आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक ने बताया कि जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा महिलाओं को लखपति दीदी बनाने हेतु पोल्ट्री क्लस्टर विकसित करने के निर्देश दिए गए थे। उन्हीं के मार्गदर्शन में पशुपालन विभाग के साथ अभिसरण कर महिलाओं को कड़कनाथ इकाइयाँ उपलब्ध कराई गई हैं।
हर पंचायत में तैयार होंगी 10 लखपति दीदी
आजीविका मिशन का लक्ष्य है कि आने वाले समय में प्रत्येक ग्राम पंचायत में 8 से 10 लखपति दीदी तैयार की जाएं, ताकि महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हों, बल्कि गांवों में स्थानीय भूमिका मॉडल भी बनें। Lakhpati Didi
इस योजना से न सिर्फ आजीविका के नए अवसर सृजित हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाएँ आत्मनिर्भरता, उद्यमिता और नेतृत्व की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। कड़कनाथ आधारित पोल्ट्री क्लस्टर जिले में महिला उद्यमिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
सालभर में घर बैठे कामएंगी 1.5 लाख रुपए
पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के उप संचालक राजेन्द्र गौतम ने बताया कि आजीविका मिशन के अभिसरण से पिछले दो वर्षों से बैकयार्ड पोल्ट्री योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। Lakhpati Didi
इसके उत्कृष्ट परिणाम सामने आए हैं। महिलाएं संगठित होकर घर–आधारित स्वरोजगार स्थापित कर रही हैं। पशुपालन सखियों के मार्गदर्शन, टीकाकरण व दवाइयों की उपलब्धता से मुर्गी पालन में मृत्यु दर काफी कम हुई है और उत्पादन बढ़ा है।
इसी कड़ी में 300 समूह सदस्यों को आगामी तिमाही में मुर्गी इकाइयों का वितरण किया जाएगा। एक इकाई के सही संचालन से एक महिला प्रति वर्ष 1 से 1.5 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर सकती है। Lakhpati Didi
इस पहल से लाभान्वित महिलाओं ने विश्वास जताया कि उन्हें मुर्गी पालन से नियमित आय मिलेगी, घर के नजदीक ही रोजगार उपलब्ध होगा, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और घर की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगी, समूह में जुड़कर सामूहिक सीखने और विपणन के अवसर बढ़ेंगे। Lakhpati Didi
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