कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए रबी सीजन हेतु समसामयिक कृषि सलाह (Farming Advice) जारी की है..
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Farming Advice | रबी फसलों की बुवाई का कार्य अब अंतिम चरण में है। अभी तक लगभग 85% रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है। इसी के साथ-साथ सरसों गेहूं एवं अन्य रबी फसलों में सिंचाई का कार्य शुरू हो चुका है। इस दौरान किसानों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है..
गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए यह करें किसान
Farming Advice | कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं की फसल वर्तमान में सीआरआई (CRI) अवस्था में है, जिसका अर्थ है क्राउन रूट इनिशिएशन (क्राउन रूट दीक्षा)। यह अवस्था बुवाई के 20-25 दिन बाद होती है। यह गेहूं की सिंचाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिक अवस्था है, क्योंकि इस दौरान मुख्य जड़ें विकसित होने लगती हैं। इस अवस्था में पानी और पोषक तत्वों की कमी से जड़ों के विकास में बाधा आती है, जिससे उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस अवस्था में सिंचाई में देरी नहीं करनी चाहिए। गेहूं की फसल के लिए इस समय पानी और पोषक तत्वों की कमी न होने दें, अन्यथा जड़ों के विकास पर बुरा असर पड़ेगा। यदि आपके पास सीमित पानी उपलब्ध है, तो सीआरआई अवस्था में सिंचाई को प्राथमिकता दें।
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अब गेहूं की इन किस्मों की करें बुवाई | Farming Advice
अभी मौसम गेहूं की बुवाई के लिए उपयुक्त है। गेहूं की बुवाई के समय अधिकतम व न्यूनतम औसत तापमान 20 डिग्री होना चाहिए। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि 25 नवंबर तक गेहूं की एच आई 1650 एवं एच आई 1634 किस्म की बुवाई किस कर सकते हैं। वहीं इसके अलावा नींबू वर्गीय पौधों में कैंकर रोग प्रबंधन के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 100 मिलीग्राम, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़कें।
जिप्सम से बढ़ेगा सरसों में तेल व चमक
Farming Advice | सरसों की फसल में पहली सिंचाई करते समय भूमि में नमी की स्थिति को ध्यान में जरूर रखें। जरूरत होने पर ही सिंचाई करें। भूमि की नमी को 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर जांचने के बाद ही सिंचाई करें। खेत को तालाब की तरह नही भरें। ऐसा करने पर फफूंद जनित बीमारियों से फसल को नुकसान हो सकता है।
सरसों में पहला पानी देते समय 200 ग्राम कार्बेडाजीम 50% डब्ल्यूपी पाउडर 1 बीघा (0.25 हैक्टेयर) में दिया जाता है। यदि दूसरा पानी देते हैं तो ये दवाई पहले वाली सिंचाई के समय काम में ना लें। दूसरी पाण के समय ही इसे काम में लें। इससे फफूंद जनित बीमारियां नहीं लगेंगी। : Farming Advice
जिप्सम यूं डालें तो सरसों में तेल व चमक दोनों बढ़ेगी अगर आपने बुवाई के समय सिंगल सुपर फॉस्फेट काम में नहीं लिया है तो 5 किलो जिप्सम प्रति बीघा (0.25 हैक्टेयर) में डालें। इससे तेल की मात्रा और दाने की चमक अच्छी मिलेगी। यदि आप जिंक 33 प्रतिशत को 3 से 5 किलो प्रति बीघा डालते हैं तो फुटान अच्छा होता है।
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जीरा व इन फसलों की बुवाई का अभी सही समय
Farming Advice | कृषि वैज्ञानिक बताते हैंकी जीरा, मैथी, अजवाइन व ईसबगोल की बुवाई का सही समय चल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जीरा की आर. एम. टी. – 305, आर.एम.टी. – 143, पूसा अर्ली बंच, आर.एम.टी.-1, मैथी जी. सी. 4, आर. जेड. 223, आर. जेड.-209, आर. एस.-1, गुजरात जीरा -2 एवं आर. जेड. 19 जीरे की उन्नत किस्में है।
जीरे की बुवाई के लिए बीज दर 12 से 15 किलो प्रति हैक्टेयर रखें। जीरे की बुवाई कतारों में करना ज्यादा फायदेमंद है। जीरे की बुवाई 22.5 सेमी से 25 सेमी दूरी के अंतराल में करना ज्यादा लाभदायक है। बुवाई से पहले जीरे के बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। बुवाई के तुरन्त बाद जीरे की फसल में हल्की सिंचाई करें।
किन्नू में रोगोपचार, फल गिरने से इस तरह बचाएं | Farming Advice
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक किन्नू के बागों में रोग व अन्य कारणों से फल गिरने से रोकने के लिए कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी (बाविस्टिन) 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या प्रोपीनेब 70 डब्ल्यूपी (ऐन्ट्रा कॉल) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें। घोल में जिब्रेलिक एसिड 20 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। : Farming Advice
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