खेती से किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ, कृषि निर्यात को लेकर सरकार बना रही नई नीति, कैसे मिलेगा फायदा जानिए..

किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने वाली है, सरकार ने बनाई यह नीति Agri Export Policy कैसे मिलेगा इसका फायदा जानिए..

Agri Export Policy | सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा परंपरागत खेती को लेकर आ रही है भारत में सबसे अधिक परंपरागत खेती होती है परंपरागत खेती से उत्पादन कम हो रहा है वहीं लागत अधिक। खेती किसानी की देश में स्थिति क्या है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार एग्रीकल्चर निर्यात कम होता जा रहा है।

यही कारण है कि किसानों को खेती से अधिक फायदा नहीं हो रहा है। सरकार इसके लिए नई पॉलिसी Agri Export Policy तैयार कर रही है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने इस पॉलिसी की ड्राफ्टिंग शुरू कर दी है किसानों को इससे अच्छा फायदा मिलेगा, आईए जानते हैं पूरी डिटेल..

कृषि निर्यात में कमी से सरकार हुई चिंतित

भारत से होने वाले कृषि निर्यात में गत कुछ वर्षों से कमी आई है। वैश्विक व्यापार में विशेष रूप से निर्यात कारोबार में भारत की भागीदारी नगण्य हो है। देश का कृषि निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-फरवरी के दौरान 8.8 प्रतिशत घटकर 43.7 अरब डालर रहा। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का कृषि निर्यात 50.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुँच गया था। Agri Export Policy

कृषि निर्यात में बढ़ोतरी से किसानों की आमदनी भी बढती है और उनकी आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कृषि निर्यात में लगातार कमी से सरकार अब चिंतित नजर आने लगी है। बताया जा रहा है कि उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय में इसके समाधान के लिए नई पॉलिसी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के पश्चात इस पर अमल लाया जाएगा। Agri Export Policy

कृषि निर्यात में कमी से जीडीपी में आई तगड़ी गिरावट

पिछले एक साल में भारत के कृषि निर्यात Agri Export Policy में तगड़ी गिरावट देखने को मिली है। जिसका असर एग्रीकल्चर जीडीपी पर भी पड़ा है। कृषि निर्यात 8.8 प्रतिशत घटकर 43.7 बिलियन डॉलर रह गया है। सरकार ने कहा कि देश की कृषि जीडीपी में भी महत्वपूर्ण मंदी देखी गई, 2023-24 में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2022-23 में 4.7 प्रतिशत थी।

अप्रैल-फरवरी 2023-24 में एपीडा की टोकरी में 719 कृषि उत्पादों के निर्यात में गिरावट 6.85 प्रतिशत कम होकर 22.4 बिलियन डॉलर थी। एपीडा की टोकरी में 24 प्रमुख वस्तुओं में से 17 ने इस अवधि के दौरान वृद्धि दर्ज की है। इनमें ताजे फल, भैंस का मांस, प्रसंस्कृत सब्जियां, बासमती चावल और केला शामिल हैं। Agri Export Policy

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गिरते कृषि निर्यात को थामने सरकार बनाएगी नीति

Agri Export Policy केंद्रीय सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने बासमती चावल, आम, केला आलू, बेबी कार्न सहित अन्य उच्च संभावना वाले 20 कृषि उत्पादों का एक्सपोर्ट बढ़ने की नीति पर जोरों से काम कर रही है| संभवतः नई सरकार के केंद्र में आते ही इस आशय की कार्य योजना तैयार कर राज्य सरकारों को भी भेज दी जाएगी।

वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए नोडल एजेंसी एपीडा राज्यों समेत सभी स्टैक होल्डर्स से योजना पर मंथन कर रही है। वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने बताया कि जिन 20 उत्पादों की लिस्टिंग की गई है, उनका 2022 में वैश्विक व्यापार 405.24 अरब डालर था, जिसमें भारत का निर्यात 9.03 अरब डालर था।

वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, 20 से अधिक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत योजनाएं बनाने की योजना है, जो नियामक ढांचे से बाहर हैं, जिनमें ताजे फल, सब्जियां, बासमती चावल, कुछ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और काजू शामिल हैं। Agri Export Policy

चावल, गेहूं और प्याज निर्यात प्रतिबंध से यह स्थिति बनी

Agri Export Policy वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारीयों ने बताया कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) इस योजना पर काम कर रहा है। अधिकारी ने बताया कि निर्यात प्रतिबंध और चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसी वस्तुओं पर प्रतिबंध से पिछले वित्त वर्ष में कृषि निर्यात लगभग 5-6 अरब डॉलर प्रभावित हुआ है। यह प्रतिबंध देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण थे। अधिकारियों ने कहा कि हम इन वस्तुओं का निर्यात तभी कर सकते हैं जब अधिशेष हो।

गौरतलब है कि चुनावी वर्ष के साये में केंद्र सरकार ने देश की बहुसंख्य आबादी की खाद्य सुरक्षा के लिए चावल, गेहूं, शक्कर, प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर भी प्रतिबन्ध लगा रखा है। इसके अलावा रूस – यूक्रेन लड़ाई , लाल सागर में यमन के लूटेरों के बढ़ते आतंक ने भी कृषि निर्यात को प्रभावित किया है। हालांकि, ये गिरावट मुख्य रूप से चावल,गेहूं, चीनी और प्याज जैसी विनियमित वस्तुओं में आई है।

नई पॉलिसी से किसानों को ऐसे मिलेगा लाभ

एपीडा निर्यात संगठनों के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ उनकी विकास क्षमता के आधार पर प्रचार के लिए पहचानी गई 20 वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत योजनाओं पर काम कर रहा है। इसका फायदा किसानों को मिलेगा। बताया जा रहा है कि सरकार दो प्रकार की पॉलिसी Agri Export Policy बना रही है जिसमें एक पॉलिसी के अंतर्गत एग्रीकल्चर सेक्टर में कृषि उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा।

सरकार के लिए यह पॉलिसी बनाना इसलिए भी जरूरी हो गया है कि इसके अंतर्गत सरकार को भी इससे आर्थिक लाभ होगा। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के पश्चात संभवतः ब्याज गेहूं के बफर स्टॉक में कमी लाकर कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। यह निर्यात के लिए समुद्री प्रोटोकॉल भी तैयार करेगा। पहचान की गई वस्तुओं का वैश्विक स्तर पर भारी कारोबार होता है और वर्तमान में भारत की इसमें बहुत कम हिस्सेदारी है। वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि उचित रणनीति के साथ, प्रत्येक वस्तु में निर्यात कई गुना बढ़ सकता है। Agri Export Policy 

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