Alsi ki kheti kaise Karen 2023: सूखे क्षेत्रों में अलसी की खेती से मिलेगा बढ़िया उत्पादन, देखें खेती की संपूर्ण जानकारी.
Alsi ki kheti kaise Karen 2023 | हमारे देश में अधिकतर किसान गेंहू, सोयाबीन, चना एवं रायड़ा की खेती करते है ओर आपको बता दे की, गेंहू एवं चना जैसी फसलों की खेती के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता रहती है। अधिकतर किसानों के पास पानी का संकट रहता है। जिसके चलते कई किसानों को बेहतर उपज नहीं मिल पाती है। ज्यादा से ज्यादा किसान यह चाहते है की, उन्हें कम पानी में बेहतर उपज मिले। अलसी के खेती करने के लिए किसानों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
तो ऐसे में आज हम आपके लिए चौपाल समाचार की इस पोस्ट के माध्यम से Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के बारे में संपूर्ण जानकारी लेकर आए है। तो आइए जानें…
अलसी के लाभ एवं गुण क्या है (What are the benefits and properties of linseed
अलसी के बीज स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है, जिसका सेवन कैंसर जैसी घातक बीमारी को नियंत्रण करने में भी किया जाता है। साथ ही अलसी Alsi ki kheti kaise Karen 2023 से पाचन, ब्लड शुगर को नियंत्रित, पेट सम्बंधित समस्याएं, कब्ज आदि को ठीक करने में सहायक है। अब इसका इस्तेमाल इतना स्वास्थ्यवर्धक है
तो बाजार में इसकी मांग हमेशा ही बनी रहती है। ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अलसी की खेती की एक और खास बात यह है कि इसे कम पानी में आसानी से उगाया जा सकता है।
हमारे देश में एवं मध्यप्रदेश में कहा होती है अलसी की खेती ?
हमारे देश में अलसी की खेती Alsi ki kheti kaise Karen 2023 लगभग 2.96 लाख हैक्टर क्षेत्र में होती है जो विश्व के कुल क्षेत्रफल का 15 प्रतिशत है। अलसी क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में द्वतीय स्थान है, उत्पादन में तीसरा तथा उपज प्रति हेक्टेयर में आठवाँ स्थान रखता है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान व उड़ीसा अलसी के प्रमुख उत्पादक राज्य है।
मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश दोनों प्रदेशों में देश की अलसी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 60 प्रतिशत भाग आच्छादित है। मध्यप्रदेश में अलसी का आच्छादित क्षेत्रफल 1.09 लाख हेक्टेयर, उत्पादन 57400 टन और उत्पादकता 523 किलोग्राम/हेक्टेयर है जबकि राष्ट्रीय औसत उपज 502 कि.ग्रा./हे. है। मध्यप्रदेश के सागर, दमोह, टीकमगढ़, बालाघाट एवं सिवनी प्रमुख अलसी उत्पादक जिले हैं।
Alsi ki kheti kaise Karen 2023
प्रदेश में अलसी के खेती Alsi ki kheti kaise Karen 2023 विभिन्न परिस्थितियों में असिंचित (वर्षा आधारित) कम उपजाऊ भूमियों पर की जाती है। अलसी को शुद्ध फसल मिश्रित फसल, सह फसल, पैरा या उतेरा फसल के रूप में उगाया जाता है। देश में हुये अनुसंधान कार्य से यह सिद्ध करते हैं कि अलसी की खेती उचित प्रबन्धन के साथ की जाय तो उपज में लगभग 2 से 2.5 गुनी वृद्धि की संभव है ।
कम पानी के कारण राजस्थान के किसानों की बढ़ेगी आय
कम पानी में होती है अलसी की खेती – आपको बता दे की, अलसी की खेती Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के लिए बहुत ही कम पानी की आवश्यकता रहती है। इसकी खेती में 2 से 2 सिंचाई काफी होती है। ऐसे में राजस्थान के किसानों को इसकी खेती से ज्यादा लाभ मिलेगा।
राजस्थान के झालावार में अलसी की खेती काफी अधिक मात्रा में की जा रही है। ये वहां के लिए नई खेती है जिसके लिए बाजार में इसका भाव भी काफी अच्छा मिल रहा है। अलसी की खेती के लिए अब झालावार के युवा भी रूचि दिखा रहे हैं।
Alsi ki kheti kaise Karen 2023 जलवायु
अलसी की फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 को ठंडे व शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है। अतः अलसी भारत वर्ष में अधिकतर रबी मौसम में जहां वार्षिक वर्षा 45-50 सेंटीमीटर प्राप्त होती है वहां इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।
अलसी के उचित अंकुरण हेतु 25-30 डिग्री से.ग्रे. तापमान तथा बीज बनते समय तापमान 15-20 डिग्री से.ग्रे. होना चाहिए। अलसी के वृद्धि काल में भारी वर्षा व बादल छाये रहना बहुत ही हानिकारक साबित होते हैं। परिपक्वन अवस्था पर उच्च तापमान, कम नमी तथा शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है ।
अलसी की फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के लिये काली भारी एवं दोमट (मटियार) मिट्टियाँ उपयुक्त होती हैं। अधिक उपजाऊ मृदाओं की अपेक्षा मध्यम उपजाऊ मृदायें अच्छी समझी जाती हैं। भूमि में उचित जल निकास का प्रबंध होना चाहिए। आधुनिक संकल्पना के अनुसार उचित जल एवं उर्वरक व्यवस्था करने पर किसी भी प्रकार की मिट्टी में अलसी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।
अलसी के लिए खेत की तैयारी
अलसी की अच्छी फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 प्राप्त करने के लिये खेत भुरभुरा एवं खरपतवार रहित होना चाहिये। अतः खेत को 2-3 बार हैरो चलाकर पाटा लगाना आवश्यक है जिससे नमी संरक्षित रह सके। अलसी का दाना छोटा एवं महीन होता है, अतः अच्छे अंकुरण हेतु खेत का भुरभुरा होना अतिआवश्यक है।
अलसी की उन्नत किस्में
Alsi ki kheti kaise Karen 2023
सिंचित क्षेत्रों के लिये :- सुयोग, जे.एल.एस.- 23, टी-397, पूसा 2, पीकेडीएल 41 2, पीकेडीएल 41.
असिंचित क्षेत्रों के लिये :- जे.एल.एस.-67, जे. एल.एस.-66, जे. एल.एस.-73, शीतल, रश्मि, शारदा, ईदिरा अलसी 32.
उतेरा विधि के लिये :- जवाहर अलसी-552, जवाहर अलसी-7, एलसी 185, सुरभि. बेनर।
अलसी की बुवाई का उचित समय
अलसी असिंचित क्षेत्रो में अक्टूबर के प्रथम पखवाडे़ में तथा सिचिंत क्षेत्रो में नवम्बर के प्रथम पखवाडे़ में बुवाई करना चाहिये। उतेरा खेती Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के लिये धान कटने के 7 दिन पूर्व बुवाई की जानी चाहिये। जल्दी बोनी करने पर अलसी की फसल को फली मक्खी एवं पाउडरी मिल्डयू आदि से बचाया जा सकता है ।
अलसी की बुवाई के लिए बीजदर एवं बुवाई का तरीका
अलसी की बुवाई 25-30 किग्रा Alsi ki kheti kaise Karen 2023 प्रति हेक्टेयर की दर से करनी चाहिए। कतार से कतार के बीच की दूरी 30 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 5-7 सेमी रखनी चाहिये। बीज को भूमि में 2-3 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए।
अलसी में भी एजोटोवेक्टर/एजोस्पाईरिलम और स्फुर घोलक जीवाणु आदि जैव उर्वरक उपयोग किये जा सकते हैं। बीज उपचार हेतु 10 ग्राम जैव उर्वरक प्रति किलो ग्राम बीज के हिसाब से अथवा मृदा उपचार हेतु 5 किलोग्राम/ हेक्टेयर जैव उर्वरकों की मात्रा को 50 कि.ग्रा. भुरभुरे गोबर की खाद के साथ मिला कर अंतिम जुताई के पहले खेत में बराबर बिखेर देना चाहिये।
अलसी की फसल में खरपतवार नियंत्रण
अलसी की खेती Alsi ki kheti kaise Karen 2023 में खरपतवार प्रबंधन के लिये वुवाई के 20 से 25 दिन पश्चात पहली निदाई-गुड़ाई एवं 40-45 दिन पश्चात दूसरी निदाई-गुड़ाई करनी चाहिये। अलसी की फसल में रासायनिक विधि से खरपतवार प्रबंधन हेतु पेन्डामेथिलिन 1 किलोग्राम सक्रिय तत्व को बुवाई के पश्चात एवं अंकुरण पूर्व 500-600 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिडकाव करें।
अलसी में जल प्रबंधन या सिंचाई
अलसी के अच्छे उत्पादन Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के लिये विभिन्न क्रांतिक अवस्थाओं पर 2 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।यदि दो सिंचाई उपलब्ध हो तो प्रथम सिंचाई बुवाई के एक माह बाद एवं द्वितीय सिंचाई फल आने से पहले करना चाहिये। सिंचाई के साथ-साथ प्रक्षेत्र में जल निकास का भी उचित प्रबंध होना चाहिये। प्रथम एवं द्वतीय सिचाई क्रमशः 30-35 व 60 से 65 दिन की फसल अवस्था पर करें।
पौध संरक्षण
अलसी के विभिन्न प्रकार Alsi ki kheti kaise Karen 2023 के रोग जैसे गेरूआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुचाई जाती है। इनका प्रबंधन निम्नानुसार किया जा सकता है।
परंपरागत विधि से अलसी में रोग नियंत्रण
- प्रक्षेत्र की जुताई से पहले फसल अवशेषों को इकट्ठाकर जला देना चाहिये।
- मिट्टी में रोग जनकों के निवेश को कम करने के लिये 2-3 वर्ष का फसल चक्र अपनाना चाहिये।
- अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवम्बर के मध्य तक बुवाई कर देना चाहिये।
- बीजों को बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम या थायोंफिनिट-मिथाइल की 3 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिये।
- फसलों Alsi ki kheti kaise Karen 2023 पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही आइप्रोडियोन की 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम/ली.पानी) अथवा मैन्कोजेब की 0.25 प्रतिशत (2.5 ग्राम/ली. पानी) अथवा कार्बेन्डाजिम 12:मेकोंजेब 63: की 2 ग्राम/ली. मात्रा का पर्णिय छिड़काव करना चाहिये।
- चूर्णिल आसिता रोग के प्रबंधन के सल्फेक्स अथवा कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति ली. पानी में घोल की के जलीय घोल का पर्णिय छिडकाव लाभप्रद होता है।
- रोग के प्रति सहनशील अथवा प्रतिरोधी प्रजातियों का चयन कर उगाना चाहिये।
अलसी की कटाई- गहाई एवं भण्डारण
जब फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 की पत्तियाँ सूखने लगें, केप्सूल भूरे रंग के हो जाए और बीज चमकदार बन जाय तब फसल की कटाई करनी चाहिये। बीज में 70 प्रतिशत तक सापेक्ष आद्रता तथा 8 प्रतिशत नमी की मात्रा भंडारण के लिये सर्वोत्तम है।
सूखे तने से रेशा प्राप्त करने की विधि
Alsi ki kheti kaise Karen 2023
- फसल की कटाई भूमि स्तर से करें।
- बीजों की मड़ाई करके अलग कर लें तत्पश्चात तने को जहाँ से शाखाओं फूटी हों, काटकर अलग करें फिर कटे तने को छोटे-छोटे बण्डल बनाकर रख लें।
- अब सूखे कटे तने बण्डल को सड़ाने के लिये अलग रखें।
तनों को सड़ाने के लिये निम्न लिखित विधि अपनायें… अ. सूखे तने के बण्डलों को पानी से भरे टैंक में डालकर 2-3 दिन तक छोड़ दें। ब. सड़े तने के बण्डल को 8-10 बार टैंक के पानी से धोकर खुली हवा में सूखने दें। स. अब तना रेशा निकालने योग्य हो गया है।
रेशा निम्न प्रकार से निकाला जा सकता है :– अ. हाथ से रेशा निकालने की विधि अच्छी तरह सूखे सड़े तने की लकड़ी की मुंगरी से पीटिए-कूटिए । इस प्रकार तने की लकड़ी टूटकर भूसा हो जावेगी जिसे झाड़कर व साफ कर रेशा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
कम खर्च में मिलता है अच्छा उत्पादन
बता दे कि, अलसी की फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 में निराई-गुड़ाई की भी जरूरत नहीं पड़ती है, साथ ही खरपतवार भी ना के बराबर ही पनपता है, क्योंकि उससे पहले ही वह गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए जिस दवा का इस्तेमाल करते हैं वही दवा अलसी की खेती के लिए उपयोग में लाते हैं। युवा किसान बताते हैं कि जब पौधा बड़ा हो जाता है तो उसमें यूरिया छिड़क देते हैं फिर उसमें एक ही बार सिंचाई करते हैं।
अलसी की उत्पादन क्षमता एवं कमाई
किसान का कहना है कि अलसी की यह फसल Alsi ki kheti kaise Karen 2023 महज 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही उनकी एक बीघा जमीन से 4 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ है। इसके अलावा बीते साल प्रति क्विंटल अलसी के 6000 रुपए मिल रहे थे, हालांकि इस बार भाव थोड़ा कम है।
वह बताते हैं कि तना भारी होने के चलते फसल को बारिश, ओले और आंधी का अधिक नुकसान नहीं झेलना पड़ता है। साथ ही वह अन्य युवा किसानों को सलाह देते हैं कि अलसी की खेती कम पानी और कम खर्चे में हो जाती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा प्राप्त हो सकता है।
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