अमरूद की बागवानी कैसे करें, जानें अमरूद के पौधे लगाने से लेकर फल बेचकर लाभ कमाने का पूरा गणित

अमरूद की बागवानी (Amrud ki bagvani 2023) करके किसान करोड़पति बन सकते हैं आइए जानते हैं अमरूद की खेती / बागवानी की पूरी प्रोसेस

Amrud ki bagvani 2023 | अमरूद उद्यानिकी फसलों में प्रमुख रूप से शुमार है। अमरूद की मांग अच्छी रहती है इसलिए अमरूद की खेती / बागवानी करके किसान करोड़पति बन सकते हैं। भारत में अमरुद की खेती का आरम्भ 17वीं शताब्दी से हुआ।

अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) भारत की जलवायु में इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है। वर्तमान समय में बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू के अलावा इसकी खेती पंजाब और हरियाणा में भी की जा रही है।

पंजाब में 8022 हेक्टेयर के क्षेत्र पर अमरूद की खेती की जाती है और औसतन पैदावार 160463 मैट्रिक टन है। इसके साथ ही भारत (Amrud ki bagvani 2023) की जलवायु में उगाये गए अमरूदों की मांग विदेशों में बढ़ती जा रही है, जिस वजह से इसकी खेती व्यापारिक रूप से पूरे भारत में भी होने लगी है। किसान भाई अमरुद की एक बार बागवानी कर लगभग 30 वर्ष तक पैदावार ले सकते हैं। किसान एक एकड़ में अमरूद की बागवानी से 10 से 12 लाख रूपए सालाना कमाई आसानी से कर सकते हैं।

अमरूद के फायदे देखे (Amrud ki bagvani 2023)

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अमरुद खाने के कई फायदे है जो की इस प्रकार है –

  • बागवानी में अमरूद का अपना एक अलग महत्व है। अमरूद फायदेमंद, सस्ता और हर जगह मिलने के कारण इसे गरीबों का सेब भी कहा जाता है।
  • यह विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस से समृद्ध होता है।
  • अमरूद का स्वाद खाने में अधिक स्वादिष्ट और मीठा होता है।
  • अमरुद (Amrud ki bagvani 2023) में कई औषधीय गुण भी होते है। जिस वजह से इसका उपयोग दातों से संबंधी रोगों को दूर करने में किया जाता है।
  • अमरुद से जूस, जैम, जेली और बर्फी भी बनायीं जाती है। अमरुद के फल की ठीक से देख-रेख कर अधिक समय भंडारित कर सकते हैं।

अमरूद की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु / मिट्टी

भारतीय जलवायु में अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) इस कदर घुल मिल गया है कि इसकी खेती भारत के किसी भी क्षेत्र में अत्यंत सफलतापूर्वक आसानी से की जा सकती है। इसका पौधा अधिक सहिष्णु होने के कारण इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी एवं जलवायु में बड़ी ही आसानी से की जा सकती है। अमरुद का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला होता है।

इसलिए इसकी खेती सबसे अधिक शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है। अमरुद के पौधे सर्द और गर्म दोनों ही जलवायु (Amrud ki bagvani 2023) को आसानी से सहन कर लेते है। किन्तु सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला इसके छोटे पौधों को हानि पहुंचाता है। इसके पौधे अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है, तथा पूर्ण विकसित पौधा 44 डिग्री तक के तापमान को भी सहन कर सकता है।

अमरूद का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा हैं। भारतीय जलवायु के अनुसार इसकी खेती हल्की से भारी और कम जल निकासी वाली किसी भी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन इसकी अच्छी व्यापारिक खेती के लिए बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है।

क्षारीय मिट्टी में इसके पौधों (Amrud ki bagvani 2023) पर उकठा रोग लगने का खतरा होता हैं। इसलिए इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 6.5 के मध्य होना चाहिए। इसकी अच्छी उपज लेने के लिए इसी प्रकार की मिट्टी के खेत का ही प्रयोग करें। अमरूद की बागवानी गर्म और शुष्क दोनों जलवायु में की जा सकती है। जिन क्षेत्रों में एक वर्ष में 100 से 200 सेमी वर्षा होती है, वहां इसकी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती हैं।

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अमरूद की व्यापारिक उन्नत किस्में 

पंजाब पिंक : इस किस्म के फल बड़े आकार और आकर्षक सुनहरी पीला रंग के होते हैं। इसका गुद्दा लाल रंग का होता है जिसमें से अच्छी खुशबू आती है। इसके एक पौधा (Amrud ki bagvani 2023) की पैदावार सालाना तकरीबन 155 किलोग्राम तक होता है।

इलाहाबाद सफेदा : इसका फल नर्म और गोल आकार का होता है। इसके गुद्दे का रंग सफेद होता है जिस में से आकर्षक खुशबू आती है। एक पौधा से तकरीबन सालाना पैदावार 80 से 100 किलोग्राम हो सकती है।

ओर्क्स मृदुला : इसके फल बड़े आकार के, नर्म, गोल और सफेद गुद्दे (Amrud ki bagvani 2023) वाले होते हैं। इसके एक पौधे से सालाना 144 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो जाता है।

सरदार : इसे एल 49 के नाम से भी जाना जाता है। इसका फल बड़े आकार और बाहर से खुरदुरा जैसा होता है। इसका गुद्दा क्रीम रंग का होता है। इसकी प्रति पौधा सालाना पैदावार 130 से 155 किलोग्राम तक होती है।

श्वेता : इस किस्म के फल (Amrud ki bagvani 2023) का गुद्दा क्रीमी सफेद रंग का होता है। फल में सुक्रॉस की मात्रा 10.5 से 11.0 प्रतिशत होती है। इसकी औसतन उपज 151 किलो प्रति वृक्ष होती है।

पंजाब सफेदा : इस किस्म के फल का गुद्दा क्रीमी और सफेद होता है। फल में शूगर की मात्रा 13.4 प्रतिशत होती है और खट्टेपन की मात्रा 0.62 प्रतिशत होती है।

अन्य उन्नत किस्में : इलाहाबाद सुरखा, सेब अमरूद, चित्तीदार, पंत प्रभात, ललित इत्यादि अमरूद की उन्नत व्यापारिक किस्में है। इन सभी किस्मों (Amrud ki bagvani 2023) में टीएसएस की मात्रा इलाहबाद सफेदा और एल 49 किस्म से ज्यादा होती है।

अमरूद के बीजों की बुवाई कैसे करें, जानिए

अमरूद की खेती के लिए बीजों की बुवाई फरवरी से मार्च या अगस्त से सितंबर के महीने में करना सही है। अमरुद के पौधों की रोपाई बीज (Amrud ki bagvani 2023) और पौध दोनों ही तरीकों से की जाती है। खेत में बीजों की बुवाई के अलावा पौध रोपाई से जल्द पैदावार प्राप्त की जा सकती हैं। अगर अमरुद के खेत में पौध रोपाई करते हैं, तो इसके पौध लगाते समय 6 x 5 मीटर का फासला रखें।

यदि पौध को वर्गाकार तरीके से लगाया गया है, तो इसके पौध का फासला 15 से 20 फीट की दूरी रखें। पौध को 25 से.मी. की गहराई पर रोपाई करें। इससे पौधों और उसकी शाखाओ को फैलने के लिए अच्छी जगह मिल जायेगी। अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) के एक एकड़ खेत वाली भूमि में लगभग 132 पौध लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा अगर इसकी खेती की बुवाई बीजों के माध्यम से कर रहे हैं, तो फासला पौध रोपाई के अनुसार ही होगा एवं बीजों को सामान्य गहराई में बोना चाहिए।

बिजाई का ढंग  खेत में रोपण करके, कलम लगाकर, पनीरी लगाकर, सीधी बिजाई करके इत्यादि तरीके से बिजाई कर सकते हैं।

अमरूद के बीजों से पौध तैयार (प्रजनन) करना

चयनित प्रजनन में अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) की परम्परागत फसल का उपयोग किया जाता है। फलों की अच्छी उपज और गुणवत्ता के लिये इसे प्रयोग में ला सकते हैं। पलुमा, अर्का मिरदुला, पन्त प्रभात, लखनऊ-49, इलाहाबाद सुर्ख, आदि इसी तरह से तैयार की गई है। इसके पौधे बीज लगाकर या एयर लेयरिंग विधि द्वारा तैयार किए जाते हैं।

सरदार किस्म (Amrud ki bagvani 2023) के बीज सूखे को सहने योग्य होते हैं और इन्हें जड़ों द्वारा पनीरी तैयार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए पूरी तरह पके हुए फलों में से बीज तैयार करके उन्हें बैड या नर्म क्यारियों में अगस्त से मार्च के महीने में बिजाई करना चाहिए। क्यारियों की लंबाई 2 मीटर और चौड़ाई 1 मीटर तक होनी चाहिए।

बिजाई से 6 महीने के बाद पनीरी खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाती है। नई अंकुरित पनीरी की चौड़ाई 1 से 1.2 सेंटीमीटर और ऊंचाई 15 सेंटीमीटर तक हो जाने पर यह अंकुरन विधि के लिए प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाती है। मई से जून तक का समय कलम विधि के लिए अनुकूल होता है। नए पौधे और ताजी कटी टहनियों या कलमें अंकुरन विधि (Amrud ki bagvani 2023) के लिए प्रयोग की जा सकती है।

अमरूद की खेती / बागवानी का यह है सही तरीका

  • सबसे पहले जमीन का चुनाव करें। ध्यान रहे ज्यादा दिन तक पानी न रुकने वाली भूमि हो ।
  • इसके बाद मिट्टी का पीएच नपवा लें। ध्यान रहे अमरूद के लिए छाटीय या अम्लीय मिट्टी उपयुक्त होती है।
  • अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) वाले खेत की मिट्टी का पीएच 6.5 से लेकर 7.5 होना चाहिए।
  • गड्ढे की खुदाई 1xlxl मीटर। मतलब चौड़ाई x लंबाई x गहराई एक मीटर।
  • अमरूद में वैरायटी का चुनाव। इलाहाबादी सफेदा अमरुद
  • सफेद वैरायटी सबसे उपयुक्त होती है। बाहर के बगानों में कई किसान लखनऊ 49, चित्तीदार, सुप्रीम हाइब्रिड 555, टीवा- 72, धारीदार अमरूद, ग्वालियर – 27, सुरखी, सरदार, रेड अमरूद (एपल गुवावा) आदि पौधे लगाते हैं।

कैसे लगाएं अमरूद का पौधा, जानिए

  • 6×6 मीटर आपस में दूरी (Amrud ki bagvani 2023) पर एक एकड़ में 111 पौधे लगाए जाएंगे। एक हेक्टेयर में 277 पौधे लगाए जाएंगे।
  • सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ जुलाई, अगस्त और सितंबर माह में पौधे की रोपाई करना है। टाइम पर सिंचाई करना है।
  • गर्मी में एक सप्ताह के अंदर और ठंडी में 15 दिन के अंदर सिंचाई करना चाहिए।
  • अमरूद तीसरे साल फल देता है। फल देने वाले साल से गर्मी के समय अप्रैल और मई में पानी नहीं देना है। समय-समय में अप्रैल और मई में कटाई और छंटाई (Amrud ki bagvani 2023) का कार्य करना है।

अमरूद की अच्छी पैदावार के लिए कौन सी खाद डालें?

अमरूद के पौधों में गोबर खाद के साथ-साथ उर्वरक डालकर उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। अमरूद के पौध की रोपाई करने से पहले 5 से 6 मीटर की दूरी रखते हुए इसके लिए गड्ढ़े तैयार करें। गड्ढ़े तैयार करने के बाद इसमें पौध (Amrud ki bagvani 2023) की रोपाई से पहले 200 से 300 ग्राम सड़ी गोबर की खाद डालें। साथ ही इसमें नीम की खती का भी इस्तेमाल करें और इसके साथ आप रासायनिक खाद जैसे यूरिया और पोटाश की उचित मात्रा का प्रयोग करें।

अमरूद का पौधा जब 1 से 3 वर्ष के हो जाएं तो इसमें 10 से 25 किलोग्राम देसी रूड़ी की खाद, 155 से 200 ग्राम यूरिया, 500 से 1600 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट और 100 से 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधे (Amrud ki bagvani 2023) के हिसाब से प्रयोग करें। पौधा 4 से 6 वर्ष का होने पर इसमें 25 से 40 किलोग्राम रूड़ी (देसी खाद), 300 से 600 ग्राम यूरिया, 1 से 2 किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट 600 से 800 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधे के हिसाब से डालनी चाहिए। रूड़ी (देसी खाद) की पूरी और यूरिया, सिंगल सुपर फासफेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की आधी खुराक को मई से जून और दोबारा सितंबर से अक्टूबर महीने में डालनी चाहिए।

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अमरूद के पौधों की सिंचाई की जानकारी

अमरुद का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता है, इसलिए इसकी फसल को कम सिंचाई (Amrud ki bagvani 2023) की आवश्यकता होती है। इसकी पहली सिंचाई पौधे की रोपाई के तुरंत बाद करें एवं दूसरी सिंचाई 3 से 5 दिन के बाद करें। इसके बाद मौसम और मिट्टी में नमी के हिसाब से सिंचाई की आवश्यकता को देखते हुए समय-समय पर सिंचाई करें।

यदि आप सर्दियों के मौसम में फसल प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 3 से 4 बार पानी देना होता है। सर्दियो के मौसम में इसके पौधों को 2 सिंचाई की ही आवश्यकता होती है तथा बारिश के मौसम में इसके पौधों को 2 से 3 बार ही पानी देना होता है।

अमरूद की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

अमरुद के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Amrud ki bagvani 2023) करने के लिए निराई – गुड़ाई विधि का इस्तेमाल करें। आरंभ में अमरुद के पौधों को अधिक देखरेख की जरूरत होती है। इसलिए इसकी पहली गुड़ाई को पौधों रोपाई के 25 से 30 दिन बाद करें। इसके बाद 10 से 15 दिन के अंतराल में खेत में खरपतवार दिखाई देने पर उसकी गुड़ाई करें।

खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामोक्सोन 6 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें। खरपतवार के अंकुरण के बाद गलाईफोसेट 1.6 लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर (खरपतवार को फूल पड़ने और उनकी उंचाई 15 से 20 सैं.मी. तक हो जाने से पहले) प्रति एकड़ (Amrud ki bagvani 2023) के हिसाब से स्प्रे करें। जब अमरुद का पेड़ बड़ा हो जाता है, उस दौरान पेड़ों के बीच में जुताई का दे, इससे खेत में खरपतवार जन्म नहीं लेते हैं।

अमरूद के पौधे में लगने वाले हानिकारक कीट का नियंत्रण

1. फल की मक्खी – इस कीट के नियंत्रण के लिए फैनवेलरेट 80 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर फल पकने पर सप्ताह के अंतराल (Amrud ki bagvani 2023) पर स्प्रे करें। इसके अलावा नीम की पत्तियों को उबालकर उसका छिड़काव करें।

2. मिली बग – यदि रस चूसने वाले कीटों का हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 50 ई सी 300 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

3. अमरूद का शाख का कीट – यदि इसका हमला दिखे (Amrud ki bagvani 2023) तो क्लोरपाइरीफॉस 500 मि.ली. या क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

अमरूद के पौधे में लगने वाले रोग का नियंत्रण

1. एंथ्राक्नोस या मुरझाना – इस रोग से बचाव के लिए खेत को साफ रखें, प्रभावित पौधे के भागों और फलों को नष्ट करें। खेत में पानी जमा ना होने दें। फल बनने के बाद कप्तान 300 ग्राम को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे और 10-15 दिनों के अंतराल पर फल पकने तक स्प्रे करें। यदि इसका हमला खेत (Amrud ki bagvani 2023) में दिखे तो कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 30 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रभावित वृक्ष पर स्प्रे करें।

2. उकठा (सूखा) रोग – इस रोग का सबसे अच्छा उपचार यह है, कि खेत में जलभराव न होने दे। यदि पौधा इस रोग से ग्रसित हो चुका है, तो उसके लिए आपको एक ग्राम बेनलेट या कार्बेनडाजिम की 20 ग्राम की उचित मात्रा का छिड़काव पेड़ की जड़ो के पास की मिट्टी पर करें।

अमरूद के पौध की देखभाल

अमरूद (Amrud ki bagvani 2023) के पौध की मजबूत और सही वृद्धि के लिए कटाई और छंटाई की जरूरत होती है। कटाई -छंटाई से इसके पौध के तने मजबूत होते हैं। जितना मजबूत तना होगा, उतनी ही पैदावार अधिक एवं अच्छी गुणवत्ता से भरपूर होगी।

पौधे की उपजाऊ क्षमता क्षमता बनाए रखने के लिए फलों की पहली तुड़ाई के बाद पौधे की हल्की छंटाई करनी जरूरी है। सूख चुकी और बीमारी आदि से प्रभावित टहनियों की कटाई समय समय पर करनी चाहिए। इस तरह कटाई (Amrud ki bagvani 2023) के बाद को नई टहनियों को अंकुरण में सहायता मिलती है।

अमरूद की उपज कितनी होती है ?

तीसरे साल से सात साल तक औसत 20 से 50 किलोग्राम फल देता है। 8वें साल से 10वें साल के मध्य अमरूद प्रति पौधा एक क्विंटल। 30 रुपए किलो भाव होने पर एक पौधे से औसतन 3 हजार रुपए कमाई। अमरूद के पेड़ की औसतन उम्र 20 से 25 वर्ष। एक हेक्टेयर में 277 पौधे तो 277×3000 टोटल 831000 कमाई । ऊपर लिखी कमाई (Amrud ki bagvani 2023) के लिए एक अमरूद का औसत वजन 400 से 500 ग्राम होना चाहिए। यदि ऐसा फल नहीं आ रहा है तो कृषि सलाहकार की मदद लेना चाहिए।

अमरूद का पौधा कितने साल में फल देता है?

अमरुद के पौधें की रोपाई के दो से तीन वर्ष बाद पौधे में फल (Amrud ki bagvani 2023) लगने शुरू हो जाते है। फलो की तुड़ाई पूरी तरह से पकने के बाद करें। इसका पूर्ण विकसित पौधा वर्ष में दो से तीन बार पैदावार दे देता हैं। जब इसके पौधों पर लगे फलो का रंग हल्का पीला दिखाई देने लगे उस दौरान उनकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए।

फलों की तुड़ाई के बाद फलों को साफ करें, उन्हें आकार के आधार पर अलग करें और पैक कर लें। इसे तुड़ाई के तुरंत बाद बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए। इसे पैक (Amrud ki bagvani 2023) करने के लिए कार्टून फाइबर बॉक्स या अलग अलग आकार के गत्ते के डिब्बे या बांस की टोकरियों का प्रयोग करना चाहिए।

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