बैंगन की खेती Baingan ki kheti दोनों सीजन में होती है गर्मी के लिए उपयुक्त किस्म के बारे में यहां जानिए..
Baingan ki kheti | गर्मी के सीजन में सिंचाई की उपलब्धता कम होने के कारण सब्जियों की कमी हो जाती है। ऐसी अवस्था मैं जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी है वह अपने खेतों में मूंग एवं सब्जियों की खेती करते हैं। सब्जियों की खेती में बैंगन की खेती Baingan ki kheti किसानों को गर्मी में अच्छा लाभ दे सकती है। अप्रैल माह में बैंगन की खेती करके मई एवं जून महीने में अच्छी कमाई हो सकती है। गर्मी के सीजन के लिए सबसे उपयुक्त बैंगन की उन्नत किस्मों के बारे में आईए जानते हैं
बैंगन के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी
बैंगन की खेती Baingan ki kheti खरीफ और रबी, दोनों सीजन में की जाती है। यह एक नकदी फसल है। बैंगन की खेती मिश्रित फसल के रूप में भी की जाती है। बैंगन शुष्क और गर्म जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। ग्रीष्मकालीन बैंगन की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर है। मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच अच्छी है। ग्रीष्मकालीन बैंगन के लिए नर्सरी में बीज की बुवाई करें। इससे अच्छा फायदा मिलेगा।
कब करें बैंगन की खेती
Baingan ki kheti | बैंगन वैसे तो वर्ष में तीन बार लगाया जा सकता है। जायद में बैंगन लगाने का उपयुक्त समय फरवरी मार्च माह होता है। लेकिन 15 अप्रैल तक भी लगा सकते हैं। तैयार नर्सरी से पौधे लाकर लगाने से समय की बचत हो जायेगी। आप निम्न उपाय करें करें। 400-500 ग्राम बीज की नर्सरी एक हेक्टर के लिये पर्याप्त होगी। संकर किस्म का 200 ग्राम बीज लगेगा। कतार से कतार दूरी 75 से.मी. तथा पौध से पौध 60 से.मी. रखना चाहिए। Baingan ki kheti ग्रीष्मकाल में सिंचाई 5-7 दिनों के अंतराल में की जाये।
गर्मी के लिए उपयुक्त बैंगन की उन्नत किस्में
गर्मी के सीजन में बैंगन की खेती Baingan ki kheti से मोटा मुनाफा कमाने के लिए बैंगन की बेहतरीन उन्नत किस्म का चयन करना अति आवश्यक है। बैंगन की उन्नत किस्मों में पूसा हाइब्रिड-5, पूसा हाइब्रिड-9, विजय हाइब्रिड, पूसा पर्पिल लौंग, पूसा क्लस्टर, पूसा क्रांति, पंजाब जामुनी गोला, नरेंद्र बागन-1, आजाद क्रांति, पंत ऋतुराज, पंत सम्राट, टी-3 आदि प्रमुख हैं।
खेत की तैयारी एवं पौध रोपण कैसे करें
ग्रीष्मकालीन Baingan ki kheti बैंगन की अच्छी फसल के लिए 15-20 टन सड़ी गोबर की खाद खेत को तैयार करते समय और पोषक तत्वों के रूप में रोपाई से पहले 60 किग्रा फॉस्फोरस, 60 किग्रा पोटाश और 150 किग्रा नाइट्रोजन की आधी मात्रा अंतिम जुलाई के समय मिट्टी में मिला दें और बाकी आधी नाइट्रोजन की मात्रा को फूल आने के समय प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें। क्यारियों में लंबे फल वाली प्रजातियों के लिए 70-75 सेमी और गोल फल वाली प्रजातियों के लिए 90 सेमी की दूरी पर पौध रोपण करें। एक हेक्टेयर में फसल रोपण के लिए 250-300 ग्राम बीज की जरूरत होती है।
बैंगन की खेती में खरपतवार नियंत्रण
Baingan ki kheti कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमिथालिन या स्टाम्प नामक खरपतवारनाशी की 3 लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से पौध रोपाई से पहले इस्तेमाल करें। इस बात का ध्यान रखें कि छिड़काव से पहले जमीन में नमी होनी चाहिए. निराई और गुड़ाई द्वारा भी खेत में खरपतवार नियंत्रण करना संभव है। फसल की जरूरत के अनुसार खेत में सिंचाई का प्रबंध करें।
बैंगन की खेती में लगने वाले प्रमुख कीट एवं नियंत्रण
बैंगन की Baingan ki kheti अच्छी पैदावार के लिए कीट रोग सुरक्षा अति आवश्यक है। आईए जानते हैं इसके प्रमुख रोग एवं उनका नियंत्रण कैसे करें..
तनाछेदक- इस कीट की सूंडी पौधों के प्ररोह को नुकसान करती है और बाद में मुख्य तने में घुस जाती है। छोटे ग्रसित पौधे मुरझाकर सूख जाते हैं। बड़े पौधे मनरते नहीं, ये बौने रह जाते हैं और इनमें फल कम लगते हैं।
प्ररोह व फलछेदक- इस कीट की सूंडी पौधे के प्ररोह व फल को नुकसान पहुंचाती है। ग्रसित प्ररोह मुरझाकर सूख जाते हैं। फलों में सूंडियां टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगे बनाती हैं। फल का ग्रसित भाग काला पड़ जाता है या लगते ही नहीं। तनाछेदक, प्ररोह व फलछेदक के नियंत्रण के लिए रेटून फसल न लें, इसमें फलछेजक का प्रकोप अधिक होता है।
इस रोग से ग्रसित प्ररोहों व फलों को निकालकर मिट्टी में दबा दें। फलछेजक की निगरानी के लिए 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। नीम बीज अर्क (5 फीसदी) या बी.टी. 1 ग्राम प्रति लीटर या स्पिनोसेड 45 एस.सी 1 मिली प्रति 4 लीटर या कार्बेरिल, 50 डब्ल्यू.पी 2 ग्राम प्रति लीटर या डेल्टमेथ्रिन 1 मिली प्रति लीटर का फूल आने से पहले इस्तेमाल करें। Baingan ki kheti
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