ICAR से अनुमति मिलते ही जल्द मिलेगी जौ की 5 नई किस्में, 13 % तक प्रोटीन, शुगर कम करने में मिलेगी मदद, देखें डिटेल..

कृषि वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के बाद अब बिना छिलके वाली जौ की खेती (Barley Farming) होगी, 5 किस्मों पर परीक्षण हो चुका है देखिए सभी के बारे में..

Barley Farming | देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश पंजाब और हरियाणा में जौ की खेती होती है। राजस्थान में सबसे ज्यादा जौ उत्पादन होता है। यहां देश का 60 से 70 प्रतिशत जौ उत्पन्न होता है।

राजस्थान के बाद एमपी, यूपी, पंजाब और हरियाणा का नंबर आता है। देश में कम एरिया में जौ की बुवाई होने से आज विदेशों से आयात करनी पड़ रही है।

जौ की खेती करने वाले किसानों को जौ की पांच नई किस्में मिलने वाली है। कृषि वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम एवं गहन रिसर्च का परिणाम है कि लंबे समय के बाद यह किस्में विकसित हो गई है, अंतिम परीक्षण हो रहा है। Barley Farming

यह किस्में आईसीएआर के द्वारा अनुमोदित होने के पश्चात किसानों को जल्द उपलब्ध होगी। इन नवीन किस्मों की उत्पादन क्षमता से लेकर अन्य सभी विशेषताओं एवं अवधि के बारे में आइए जानते हैं..

बिना छिलके वाली रहेगी यह किस्में

कृषि वैज्ञानिकों के बरसों के शोध और मेहनत से जौ की ऐसी किस्म तैयार हो रही है, जिसके छिलके नहीं होंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आने वाले समय में लोग इसे गेहूं-बाजरा की तरह खाने में काम ले सकेंगे। इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा। यह कम पानी में पक जाएगी। दूसरी फसलों के मुकाबले में इसका उत्पादन भी ज्यादा होगा। साथ ही भाव भी अच्छे मिलेंगे। Barley Farming

इन किस्मों का चारा भी पौष्टिक होगा

राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के कृषि फॉर्म पर वर्ष 2016 से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके तहत आरडी 3088 से 3092 नाम की किस्में विकसित की जा रही हैं। अब अग्रिम परीक्षण के लिए आईसीआर में एंट्री को भेजी गई है। बिना छिलके जौ को नेक्ड बार्ले, हल लैस एवं फूड बालें कहा जाता है। इसका चारा भी पौष्टिक होगा। इन किस्मों को अलग-अलग जलवायु व मिट्टी में उगाने के लिए कई प्रयोग किए जा रहे हैं। Barley Farming

आईसीआर से अनुमोदन का इंतजार

कृषि संस्थान के अलावा खेतों में भी इन किस्मों का परीक्षण किया जा रहा है। इसके सकारात्मक रिजल्ट मिले हैं। प्रारंभिक परीक्षण के स्टेज को पूरा किया जो होने के बाद किसानों तक पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा। आईसीआर से अनुमोदित होने में एक से दो साल का समय लगेगा। Barley Farming

इन किस्मों में यह विशेषताएं होगी

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नवीन किस्में बिना छिलके वाली जौ हाई प्रोटीन युक्त होगी। इसमें 10 से 13 प्रतिशत तक प्रोटीन होगा। वहीं बीटा ग्लूकॉन की मात्रा 5 से 6 प्रतिशत होगी। यह हार्ट के लिए अच्छी रहेगी। इससे बेड कॉलेस्ट्रोल घटेगा। नर्वस सिस्टम को सुधारने में भी सहायक होगी। Barley Farming

इसमें कई प्रकार के सूक्ष्म तत्व भी होंगे। जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होंगे। जौ का ग्लाइसिम इंडेक्स 25-30 के बीच है, जबकि गेहूं-चावल में यह 60 से ऊपर रहता है। ऐसे में शुगर के मरीजों के लिए जौ की ये किस्में काफी फायदेमंद साबित होंगी। इसके सेवन से शुगर की बीमारी को कम करने में मदद मिलेगी।

4 माह से कम समय में पकेगी

गेंहू के मुकाबले, जौ की फसल कम पानी एवं खारे पानी में भी होगी। 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होगी। कहीं उपयुक्त मिटी – जलवायु पर उत्पादन इससे ज्यादा भी संभव है। यह 120 दिन से भी कम में पक जाएगी। इससे पहले राजस्थान में जौ का औसत उत्पादन 36 क्विंटल माना गया है। वहीं, देश का औसत लगभग 30 क्विंटल निर्धारित है। प्रदेश में अब 4 लाख से ज्यादा हेक्टेयर में जौ की फसल ली जा रही है। Barley Farming

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