कपास की बुवाई शुरू हो चुकी है, किसान साथियों को किन किस्मों (BT Cotton Varieties) की बुवाई करना उचित रहेगा आइए जानते हैं..
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BT Cotton Varieties | रबी सीजन की फसलें कटने के पश्चात खेत अब खाली हो चुके हैं, इस दौरान खरीफ सीजन में सोयाबीन एवं अन्य दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसान मूंग की खेती करते हैं, वहीं कपास की खेती करने वाले किसान कपास की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं।
देश के कई राज्यों में कपास की खेती की जाती है। ऐसे में कपास की बुवाई की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। किसान को कम लागत पर अधिक पैदावार मिले, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों द्वारा समय–समय पर सलाह जारी की जाती है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि किसान बीटी कपास का बीज (BT Cotton Varieties) प्रमाणित संस्था या अधिकृत विक्रेता से ही लें और इसका पुष्टिकृत यानी पक्का बिल जरूर लें। किसान भाई खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं, ताकि मिट्टी की जांच का आधार पर ही पोषक तत्वों की मात्रा का प्रयोग किया जा सकें।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान खरीफ-2025 हेतु बीटी संकर कपास BG II की अनुमोदित किस्मों (BT Cotton Varieties) की बुवाई करें एवं बीज खरीद का पक्का बिल अवश्य लेवें। बीटी संकर कपास हेतु उन्नत उत्पादन तकनीकी एवं रासी, अंकुर सहित अन्य सभी कंपनियों की उन्नत वैरायटियां कौन-कौन सी है, आईए जानते हैं..
वैरायटी एवं उत्पादक कंपनियों का नाम
1 RCH-650, 653, 314, 791, 776, 773, 605, 938, 951, 846, 926, 960, 1101, 1103 रासी सीड्स।
2 MRC-7365, 7361, 7301, 7041 VICH-309, 310, C-9313 महिको सीड्स।
3 KCH-999, 307, 172 कावेरी सीड्स।(BT Cotton Varieties)
4 MH-5408, 5302, 5304 टाटा रैलिस इंडिया सीड्स।
5 ACH-33-2, 133-2, 177-2, 155-2, 902-2, 999-2, 559-2, 955-2 अजीत सीड्स।
6 Ankur-3228, 3224, 3244, 5642, Jassi, 555, 101, Raghuvir अंकुर सीड्स।
7 Super-544, 721, 965, 971 सुपर सीड्स।
8 KSCH-207, 212 कोहिनूर सीड्स।
9 NCS-459, 855, 9002, 4455, 857, 558, 495 जीवे सीड्स।
10 PCH-225, 879 प्रभात एपो सीड्स।(BT Cotton Varieties)
11 PRCH-333 प्रवर्धन सौरा सीड्स।
12 Solar-75, 77 सोलर एग्रो सीड्स।
13 SWCH-4735, 4744, 4755 तीस वर्षा इंटर सीड्स।
14 KDCHH-441 कृधिन सीड्स।
15 25D33 धनलक्ष्मी कोप सीड्स।
16 507H878 एलबोराबो एग्री सीड्स।(BT Cotton Varieties)
बुवाई का समय व बीज दर
बीटी कपास की बुवाई का उपयुक्त समय 1 मई से 20 मई है। साधारणतया मई माह बुवाई कर सकते हैं। बीटी कपास की बीज दर 450 ग्राम प्रति बीघा रखें।
बुवाई विधि
बीटी कपास की बुवाई कतार से कतार की दूरी 108 सेंटीमीटर (42 इंच) व पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर (24 इंच) पर बीज रोपकर करें अथवा 67.5 x 90 सेंटीमीटर (27 x 35 इंच ) की दूरी पर बुवाई करें।(BT Cotton Varieties)
किसान कैसे करें कपास की बिजाई
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से कपास की खेत के लिए जारी किए गए सुझावों के अनुसार किसान नरमा की बिजाई अप्रैल में शुरू कर मध्य मई तक करें। जून के महीने में नरमा की बिजाई नहीं करनी चाहिए। किसान बिजाई से पहले गहरा पलेवा लगाएं। बिजाई का काम सुबह या शाम के समय ही किया जाना चाहिए।
किसान जहां तक हो पूर्व से पश्चिम दिशा में ही कपास की बिजाई करें, इससे अधिक लाभ होता है। किसान खेत की तैयारी सुबह या शाम को ही करें। खरपतवार के लिए स्टॉम्प दो लीटर प्रति एकड़ का छिड़काव बिजाई के बाद या जमाव से पहले करें। कृषि विश्वविद्यालय के अनुसार वर्तमान में गुलाबी सुंडी के प्रति बीटी का प्रतिरोधक बीज उपलब्ध नहीं है, ऐसे में किसान 3 जी, 4जी और 5 जी के नाम से आने वाले बीजों से सावधान रहें और इनकी खरीद नहीं करें।(BT Cotton Varieties)
कहां मिलेगा बीटी कपास का उन्नत बीज
बीटी कपास के उन्नत बीज कृषि विभाग की ओर से अधिकृत कृषि आदान विक्रेताओं से प्राप्त किया जा सकता है। किसान अपने जिले के कृषि विभाग द्वारा अधिकृत कृषि आदान विक्रेताओं की सूची प्राप्त कर सकते हैं। (BT Cotton Varieties)
खाद एवं उर्वरक
बीटी कपास में नाईट्रोजन की पूर्ति के लिए कुल 80 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा देने की आवश्यकता होती है। इसे तीन हिस्सों में दें एक तिहाई मात्रा बुवाई के समय एक तिहाई मात्रा प्रथम सिंचाई के साथ विरलीकरण के समय एक तिहाई मात्रा कलियां बनते समय सिंचाई के साथ दें। (BT Cotton Varieties)
बीटी कपास में फास्फोरस की पूर्ति के लिए डीएपी 22 किलोग्राम प्रति बीघा अथवा 62.5 किलोग्राम प्रति बीघा मात्रा सिंगल सुपर फास्फेट बुवाई के समय दे। बीटी कपास में पोटाश एमओपी 60% की 15 किलो मात्रा बुवाई के समय दें।
सूक्ष्म तत्व सिफारिश- मृदा जांच के आधार पर जिंक तत्व। कपास में 33% जिंक की 4 किलोग्राम मात्रा प्रति बीघा अथवा 21% जिंक कि 6 किलो मात्रा प्रति बीघा का मिट्टी में छिड़काव कर मिला देवें।(BT Cotton Varieties)
गुलाबी सुण्डी की नरमा फसल में निगरानी व स्प्रे करने का समय :–
फसल की बिजाई के 40 से 50 दिन के पश्चात् दो फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं तथा इनमें 5-8 पंत प्रति ट्रेप लगातार तीन दिन तक आने पर।
बीटी नरमा के पौधे पर लगे हुए 100 फूलों में से 5-10 फूल गुलाब तक बंद ( रोजेटी फूल) दिखाई देने पर।
20 हरे टिण्डों ( 10-15 दिन पुराने बड़े आकार के टिण्डे) को खोलने पर 1-2 टिण्डों में सफेद या गुलाबी लार्वा (सुण्डी) दिखाई देने पर।(BT Cotton Varieties)
गुलाबी सुण्डी के नियंत्रण के लिए सुझाये गये कीटनाशक
कपास की फसल 60 दिन की होने पर निम्नानुसार किसी भी कीटनाशक का छिड़काव करें :–
1. नीम का तेल (5 मि.ली.) या एन.एस.के. ई. 5 प्रतिशत (50 मि.ली.) को 1 ग्राम कपड़े धोने का पाउडर के साथ प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
2. नीम आधारित कीटनाशक 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।(BT Cotton Varieties)
कपास की फसल 61-120 दिन की होने पर निम्नानुसार किसी भी कीटनाशक को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति बीघा में छिड़काव करें :–
1. ईमामेक्टिन बेंजोएट 5 % एस. जी. 50 ग्राम
2. प्रोफेनोफास 50 % ई.सी. 200 मि.ली.
3. क्लोरोपाइरीफॉस 20% ई.सी. 400 मि.ली.
4. क्यूनालफॉस 25 % ई.सी. 200 मि.ली..
5. थायोडीकार्ब 75 % डब्ल्यू पी. 160 ग्राम
6. इण्डोक्साकार्ब 14.5% ई.सी. 100 मि.ली..
7. फ्लूबेन्डियामाइड 480 % एस.सी. 40 मि.ली.(BT Cotton Varieties)
कपास की फसल 121-150 दिन की होने पर निम्नानुसार किसी भी कीटनाशक को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति बीघा में छिड़काव करें :–
1. इथियोन 50% ई.सी. 300 मि.ली.
2. फेनवलेरेट 20 % ई.सी. 100 मि.ली.
3. साइपरमेथ्रिन 10% ई.सी. 100 मि.ली.
4. साइपरमेथ्रिन 25 % ई.सी. 40 मि.ली.
5. फेनप्रोपेथ्रिन 10% ई.सी. 180 मि.ली.
6. डेल्टामेथ्रिन 28% ई.सी. 100 मि.ली.
7. अल्फामेथ्रिन 10% ई.सी. 50 मि.ली.
8. लैम्ब्डा साइहलोखिन 5% ई.सी. 100 मिली.
बी.टी. नरमे में गुलाबी सुण्डी का प्रबन्धन ऐसे करें
किसान साथियों के द्वारा पिछले वर्ष विभिन्न कम्पनियों की बीटी कपास बीजी- 2 (बीटी नरमा) समूह की भिन्न-भिन्न संकर किस्मों की बुवाई की गई। जिसमें कपास के सभी खेतों गुलाबी सुण्डी कीट का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर (ETL) 10 प्रतिशत से अधिक पाया गया था। इस कीट द्वारा Cry Ac व Cry 2 Ab जीन के विरूद्ध प्रतिरोधकता विकसित कर ली है।(BT Cotton Varieties)
अतः इस कीट का प्रकोप कम करने के लिए विभिन्न उन्नत कृषि तकनीक विधियों को अपनाना एक विकल्प हैं। वर्ष 2025 में किसान भाईयों को निम्न सावधानियों के साथ बी.टी. कपास की बुवाई करनी होगी ताकि कपास का उत्पादन प्रभावित न हो।
1. बी.टी. कपास की बीज दर 450 ग्राम प्रति बीघा रखें एवं बुवाई कतार से कतार की दूरी 108 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 60 से.मी. रखें।(BT Cotton Varieties)
2. समन्वित कीटनाशी प्रबन्धन अपनाते हुए गर्मी की गहरी जुताई करें, फसल चक्र अपनायें व खेत व खेत के चारों ओर उगे खरपतवार को नष्ट करें।
3. कीट के प्रकोप से बचाव हेतु खेत में रखी छट्टियो को झाड़कर अधपके टिंडों को इकट्ठा कर नष्ट करते हुए छट्टियों को खेत से दूर सुरक्षित स्थान पर रखें।
4. कम ऊंचाई वाली व कम अवधि में पकने वाली किस्मों की बुवाई कर तथा 45-60 दिवस की अवधि में नीम आधारित कीटनाशी का छिड़काव व मिश्रित कीटनाशियों की अपेक्षा एकल कीटनाशी का पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज के अनुसार छिड़काव करें व पायरेथ्राईड आधारित कीटनाशियों को उपयोग फसल की अवधि 120 दिवस की होने के उपरान्त ही उपयोग करने पर कीट के प्रकोप का नियंत्रण किया जा सकता हैं।(BT Cotton Varieties)
5. फसल की बुवाई अवधि सीमित कर नियमित निगरानी व फेरोमोन ट्रेप से मॉनिटरिंग करें।
6. जिन किसान भाईयों ने अपने खेतों में बीटी नरमा की लकड़ियों को भण्डारित करके रखा है या उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिल लगती है, उन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सुण्डी का प्रभाव अधिक होता है।
7. बी. टी. नरमे की लकडियों से निकलने वाले गुलाबी सुण्डी के पतंगो को रोकने के लिए अप्रैल महीने से भंडारित लकड़ियों को पॉलिथीन शीट / मच्छरदानी से ढकें ।
B. गुलाबी सुण्डी बीटी नरमे के बीजों (बिनौले) को जोड़कर या भण्डारित लकड़ियों में निवास करती है, इसलिए लकड़ी व बिनौलों का भण्डारण सावधानी पूर्वक करें।
9. फसल की शुरूआती अवस्था में गुलाबी सुण्डी से प्रभावित नीचे गिरें रोजेटी फूल, फूल डोडी व टिण्डों आदि को एकत्रित कर नष्ट करें।(BT Cotton Varieties)
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