मार्च से लेकर जून-जुलाई तक करें बाजरे की इन टॉप किस्मों की बुवाई, मिलेगा जबरदस्त फायदा..

बाजरे की टॉप रोग प्रतिरोधी उन्नत किस्मों (Top Millet Varieties) एवं खेती के बारे में आइए जानते हैं..

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Top Millet Varieties | ग्रीष्मकालीन बाजरा की खेती गर्म जलवायु तथा 50-60 सें.मी. वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से की जा सकती है।

इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 32-37 डिग्री सेल्सियस है। इसके लिए अधिक उपजाऊ मृदा की आवश्यकता नहीं होती है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि बाजरे की खेती के लिए बलुई दोमट मृदा उपयुक्त होती है। इसके साथ-साथ बाजरा की फसल जल निकास वाली सभी तरह की मृदा में उगाई जा सकती है।

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में विकसित की गई बाजरे की उन्नत किस्मों (Top Millet Varieties) एवं खेती के बारे में आइए जानते हैं..

बाजरे की टॉप उन्नत रोग प्रतिरोधी किस्में | Top Millet Varieties

बाजरा की संकर किस्में जैसे- टी. जी. 37, आर. – 8808, आर. – 9251, आईसीजीएस -1, आईसीजीएस -44, डीएच – 86, एम – 52, पीबी 172, पीबी – 180, जीएचबी – 526, जीएचबी – 558, जीएचबी – 183 । संकुल प्रजातियां जैसे- पूसा कम्पोजिट – 383, राज-171, आईआईसीएमवी – 221 व सीटीपी – 8203 प्रमुख हैं।

बाजरा की बुवाई का सही समय

Top Millet Varieties | मोटे तौर पर बाजरा की बुआई का सही समय मध्य फरवरी से लेकर जून – जुलाई तक है। जहां तक बीजों की मात्रा की बात है, तो 5-7 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टर दर से सही रहते हैं। बुआई के समय पंक्तियों की आपसी दूरी 25 सें.मी. होनी चाहिए व बीजों को 2 सें.मी. से ज्यादा गहरा नहीं बोना चाहिए।

बाजरे की फसल में उर्वरकों का प्रयोग

मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाना चाहिए। सिंचित क्षेत्र के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस व 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टर एवं बारानी क्षेत्रों के लिए 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस व 30 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग किया जा सकता है। : Top Millet Varieties

बुआई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा लगभग 3-4 सें.मी. की गहराई पर डालनी चाहिए। नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा अंकुरण से 4-5 सप्ताह बाद खेत में बिखेरकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए।

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बाजरे की खेती में खरपतवार नियंत्रण

Top Millet Varieties | बाजरे की फसल से अच्छी पैदावार के लिए, समय से खरपतवार नियंत्रण अति आवश्यक है, अन्यथा उपज में 50 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। बुआई से 30 दिनों तक खेत को खरपतवारमुक्त रखना आवश्यक है।

खरपतवार नियंत्रण के लिए, पहली निराई खुरपी द्वारा बुआई के 15 दिनों बाद करनी चाहिए। इसे 15 दिनों के अंतराल पर दोहराना चाहिए। यदि फसल की बुआई मेड़ पर की गयी है तो खरपतवार नियंत्रण ट्रैक्टर एवं रिज मेकर द्वारा भी किया जा सकता है।

खरपतवारनाशक एट्राजिन 1 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हैक्टर की दर से बुआई के तुरन्त बाद अथवा 1-2 दिन बाद करने से खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। एट्राजीन 0.5 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व को 800 लीटर पानी में घोलकर भी छिड़काव किया जा सकता है। : Top Millet Varieties

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अच्छी उपज के लिए खेत में पर्याप्त नमी आवश्यक

Top Millet Varieties | कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि अच्छी उपज के लिए खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। पौधों में फुटाव होते समय, बालियां निकलते समय तथा दाना बनते समय नमी की कमी नहीं होनी चाहिए।

बालियां निकलते समय नमी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ग्रीष्मकालीन बाजरा में 8-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। इस प्रकार 9-10 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ सकती है।

बाजरे की फसल में रोग एवं बचाव के उपाय

Top Millet Varieties | डाउन मिड्यू बाजरे में फैलने वाला एक प्रमुख रोग है, जो फंगस की वजह से होता है। इस रोग में पौधे की पत्तियों और बालियों पर सफेद धब्बे बन जाते हैं और पत्तियाँ पीली होने लगती हैं। समय रहते इसका उपचार न करने पर पौधे का विकास रुक जाता है, और फसल की पैदावार में कमी आ जाती है।

इस रोग में पत्तियों पर सफेद फफूंद जैसा धब्बा दिखाई देता है। पत्तियाँ पीली और मुरझाई हुई दिखने लगती हैं। पौधे का विकास धीमा हो जाता है और अंततः मर जाता है। फसल के बाल कमज़ोर हो जाते हैं और उनका आकार असामान्य हो जाता है।

डाउन मिड्यू रोग का कारण स्यूडोपेरोनोस्पोरा क्यूबेन्सिस नामक फफूंद होता है, जो अधिक नमी और ठंडे मौसम में तेजी से फैलता है। यह रोग संक्रमित बीज या खेत में पहले से मौजूद फफूंद के कारण फैलता है। पानी के अधिक उपयोग या खेत में जल जमाव की स्थिति भी इस रोग को बढ़ावा देती है। : Top Millet Varieties

इस रोग की रोकथाम के लिए बीज बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए। इससे बीज की सुरक्षा होती है और रोग फैलने की संभावना कम होती है। फसल को अत्यधिक पानी देने से बचें और सिंचाई के सही समय का ध्यान रखें। एक ही प्रकार की फसल को बार-बार एक ही जगह पर बोने से बचें।

इसके स्थान पर फसल चक्र का पालन करें ताकि भूमि में रोगजनकों की मात्रा कम हो। बाजरे की फसल में लगने वाला स्मट एक अन्य प्रमुख रोग है, जो बाजरे की बालियों को प्रभावित करता है। इस रोग में बालों का रंग काला हो जाता है और बालियाँ पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। : Top Millet Varieties

फसल में जब यह रोग फैलता है तब बालों पर काले रंग के फफूंद का विकास होता है। बालियों का आकार असामान्य हो जाता है और उनका उत्पादन कम हो जाता है। फसल की गुणवत्ता और वजन में भारी कमी आती है। संक्रमित भाग काले चूर्ण की तरह दिखाई देते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक स्मट रोग का कारण नमी और क्लैविसेप्स नामक फफूंद होता है, जो बालियों को संक्रमित करता है। यह रोग हवा या संक्रमित बीजों के माध्यम से फैलता है। अधिक नमी वाली स्थितियाँ इस रोग के विकास के लिए आदर्श होती हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए स्वस्थ बीजों का चयन करें। बीज को गर्म पानी द्वारा साफ किया जा सकता है। : Top Millet Varieties

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