यदि चने की फसल (Gram Crop) में फली छेदक कीट, वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है, तो क्या प्रबंधन करना चाहिए। जानिए…
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Gram Crop | चना, रबी सीजन की प्रमुख फसल है, जिसे देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। महाराष्ट्र समेत भारत के विभिन्न राज्यों में किसान चने की खेती पर निर्भर हैं।
रबी सीजन के दौरान चने की फसल में फली छेदक कीट, वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है।
यदि सही समय पर इनका प्रबंधन नहीं किया जाए तो, यह कीट एवं रोग फसल की उपज को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकता है। : Gram Crop
ऐसे में, कृषि विभाग ने फली छेदक कीट के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक परामर्शिका जारी की है, जिससे किसानों को इस कीट एवं रोग के हमले से बचाव में मदद मिलेगी।
यदि आपकी चने की फसल (Gram Crop) में भी फली छेदक कीट, वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है, तो क्या प्रबंधन करना चाहिए। जानिए कृषि वैज्ञानिकों से…
चने की फसल (Gram Crop) में फली छेदक कीट
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा के अनुसार, फली छेदक कीट की लटें हरे रंग की होती हैं, जिनकी लंबाई लगभग 1.25 इंच और मोटाई 0.25 इंच होती है। समय के साथ ये लटें गहरे भूरे रंग में बदल जाती हैं।
शुरुआत में यह कीट पत्तियों को खाता है, लेकिन जैसे ही फली लगने लगती है, यह कीट इरागे के छेद करके अंदर के दानों को खाकर उन्हें खोखला कर देता है। इससे फसल की पैदावार पर गंभीर असर पड़ता है।
फली छेदक कीट के प्रबंधन के उपाय
चने की फसल (Gram Crop) कीट के प्रकोप से बचने के लिए कृषि विभाग ने कई उपाय सुझाए हैं:-
अंडे और सुण्डियों का नष्ट करना : फली छेदक कीट के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले उसके अंडे और सुण्डियों को इकट्ठा कर नष्ट करना चाहिए।
फेरोमोन ट्रैप का उपयोग : खेत में 4-5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हैक्टर का उपयोग करना चाहिए ताकि कीटों को आकर्षित किया जा सके और उनकी संख्या पर नियंत्रण पाया जा सके।
तम्बाकू की पत्तियों का घोल : चने की फसल (Gram Crop) में कीट के नियंत्रण के लिए तम्बाकु की सुखी पत्तियों का 3 प्रतिशत घोल तैयार कर फूल आने और फली बनने के समय छिड़काव करें।
एजाडिरेक्टिन का छिड़काव : कीट नियंत्रण के लिए फसल में एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम (0.15 प्रतिशत ईसी), 5 मिली लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
एन.पी.वी. और बेसिलस थुरिंजिनेसिस का उपयोग : 50 प्रतिशत फूल आने पर पहला छिड़काव एन.पी.वी. 250 एल.ई. प्रति हैक्टर की दर से करें और दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद बेसिलस थुरिंजिनेसिस के 1200 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से करें।
कीट के प्रकोप के बाद कीटनाशी रसायन का उपयोग : चने की फसल (Gram Crop) में यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (लट प्रति गीटर से अधिक) तक बढ़ जाए, तो विभागीय सिफारिशों के अनुसार कीटनाशी रसायनों का उपयोग करें। यह छिड़काव सुबह या शाम के समय खड़ी फसल में किया जाना चाहिए।
कृषि विभाग की यह परामर्शिका किसानों को फली छेदक कीट के प्रबंधन में मदद करने के लिए जारी की गई है, ताकि चने की फसल में नुकसान को कम किया जा सके और किसानों की मेहनत का सही मूल्य मिल सके।
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चने की फसल (Gram Crop) में वॉली बोरर और चने की इल्ली
सर्दियों के दौरान, मौसम में नमी और बदलते तापमान के कारण चने की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। तीन से चार सप्ताह पुरानी फसल पर छोटे कीड़े (लार्वा) पत्तियों, फूलों और नई शाखाओं को खाकर नुकसान पहुंचाने लगते हैं।
यह समस्या खासतौर पर तब और बढ़ जाती है जब खेत में जलजमाव हो या मौसम में लगातार बादल छाए रहें। वॉली बोरर और चने की इल्ली जैसे कीट इस समय सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
इस स्थिति में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और समय पर फसल (Gram Crop) की निगरानी करनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन कीटों का प्रकोप न केवल फसल की वृद्धि को बाधित करता है, बल्कि इससे उत्पादन क्षमता पर भी भारी असर पड़ सकता है।
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वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रबंधन
Gram Crop | सोलापुर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. लालासाहेब तांबडे ने वॉली बोरर और चने की इल्ली का समाधान देने के लिए किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए हैं। चना फसल पर कीटों एवं रोगों के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं।
यदि फसल पर लार्वा दिखाई दें और उनका असर बढ़ने लगे, तो तुरंत 5% निबोला का छिड़काव करें। यह जैविक उपाय कीटों को नियंत्रित करने में काफी कारगर है। रासायनिक उपायों में प्रति लीटर पानी में आधा ग्राम एमामेक्टिन बेंज़ोएट मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। : Gram Crop
इसके अलावा, खेत में 5 से 12 कामगंध ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। यह ट्रैप कीटों को आकर्षित करके उनकी संख्या कम करने में मदद करता है। साथ ही, खेत में पक्षियों को आमंत्रित करने के लिए बर्ड शेल्टर बनाना चाहिए, जिससे कीटों का प्राकृतिक नियंत्रण हो सके।
एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM): फसल बचाने का कारगर तरीका
डॉ. तांबडे का कहना है कि चना फसल में वॉली बोरर और अन्य हानिकारक कीटों का प्रभाव कम करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन अपनाना सबसे प्रभावी तरीका है। इसके तहत खेत में नियमित निगरानी जरूरी है ताकि कीटों और उनके अंडों की पहचान शुरुआती चरण में हो सके। : Gram Crop
जैविक और रासायनिक उपायों का संयोजन करते हुए कीटों का प्रबंधन किया जाना चाहिए। खेत में ट्राइकोडर्मा और वर्टिसिलियम लेकानी जैसे जैविक फफूंदनाशकों का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है। फसल की सुरक्षा के लिए खेत में जलजमाव न होने दें और बुवाई के समय संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें।
नियमित रूप से खरपतवार हटाएं और फसल की निगरानी करते रहें। प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों को अपनाते हुए फसल को स्वस्थ बनाए रखें। जैविक उपायों में नीम तेल का छिड़काव और जैविक खाद का उपयोग फसल को पोषण देने के साथ-साथ कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है। : Gram Crop
सही उपाय से बंपर उत्पादन
फसल को कीटों से बचाने के लिए सही समय पर उपाय करना बेहद जरूरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कीट नियंत्रण में जल्दबाजी न करें, लेकिन सही समय पर कदम उठाएं। जैविक और प्राकृतिक विधियों को प्राथमिकता दें, ताकि फसल पर रासायनिक दवाओं का नकारात्मक असर न पड़े।
सर्दियों में फसल की नियमित निगरानी, संतुलित पोषण और कीट नियंत्रण के ये उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं। : Gram Crop
डॉ. तांबडे का कहना है, “चना की फसल में कीट प्रबंधन का प्रभावी तरीका अपनाने से न केवल कीटों पर काबू पाया जा सकता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन भी बेहतर होता है। किसानों को जैविक और एकीकृत कीट प्रबंधन विधियों पर ध्यान देना चाहिए।”
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