आइए जानते है कौन सी है वह चने की टॉप 4 किस्में (Gram Varieties) एवं उनका उत्पादन खासियत क्या है…
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Gram Varieties | किसानों के लिए रबी सीजन में अपनी आय बढ़ाना एक प्रमुख लक्ष्य होता है, और दलहनी फसलों में चना (Chickpea) इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेहतर उत्पादन के लिए सही किस्म का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है।
चने की कुछ उन्नत किस्में ऐसी हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (45 quintals per hectare) तक या उसके आसपास पहुँच चुकी है। ये किस्में न केवल बंपर पैदावार देने की क्षमता रखती हैं, बल्कि कई रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी होती हैं।
इस वर्ष की रबी सीजन के लिए, हम आपको चने की टॉप 4 ऐसी उन्नत किस्मों (Gram Varieties) के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी शानदार उपज क्षमता और बेहतर कृषि गुणों के कारण किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। इन किस्मों का चयन करके आप अपनी खेती से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. चना पूसा समृद्धि (IPCMB-19-3)
Gram Varieties | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नई दिल्ली द्वारा सूखे एवं सिंचित दोनों स्थितियों के अनुकूल एक उन्नत किस्म समय पर बोने हेतु देश के मध्य क्षेत्र मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र , गुजरात व बुन्देलखंड क्षेत्र हेतु जारी की है इस किस्म में उच्च प्रतिरोधकता के कारण ऊकटा रोग (विल्ट) का प्रकोप नहीं देखा गया है जो की किसानों के लिए चने की खेती के लिए एक बहुत बड़ी समस्या व चुनौती बन गई है जिसका निदान करने में यह किस्म काफी हद तक सफल होगी।
इस किस्म (Gram Varieties) की उत्पादन क्षमता अधिकतम 9 से 11 क्विंटल एकड़ तक अधिकतम देखी गई है। इस किस्म की अवधि 100 से 110 दिन है इसका दाना पीला, चमकदार बोल्ड, एवं आकर्षक होने से बाजार भाव अच्छे मिलते है। इसके 100 दानों का वजन 24.10 ग्राम है। चने की यह नवीनतम उन्नत किस्म अपने असाधारण गुणों के कारण चने की खेती में नए आयाम बना कर अतिशीघ्र किसानों की एक लोकप्रिय किस्म बन जाएगी।
2. चना – फूले विक्रांत किस्म
चने की यह किस्म (Gram Varieties) एक अत्यंत उन्नत नवीनतम किस्म महात्मा फूले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी से हाल ही में जारी की गई है। फूले विश्वविद्यालय से पूर्व में चने की अत्यंत लोकप्रिय किस्में विजय, विशाल एवं दिग्विजय पूर्व में प्रसारित की जा चूकि है।
किन्तु यह किस्में (Gram Varieties) बहुत पुरानी हो चुकी थी अतः नई परिस्थिति एवं वातावरण के अनुरूप एक नवीन किस्म जो कि बीमारियों एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधकता के साथ किसानों को अधिकतम उत्पादन के साथ अधिकतम लाभ प्रदान कर सकें ऐसी एक आवश्यकता थी। इसी बात को ध्यान रखते हुए मध्यम एवं गहरी जमीनों हेतु 20 अक्टूबर से रबी की बीजाई हेतु बीज दर 30 कि.ग्रा. एकड़ रखने एवं 1 से 2 सिंचाई देने पर आदर्श परिणाम।
असिंचित स्थितियों के लिए भी उपयुक्त किस्म (Gram Varieties) । इस किस्म का दाना आकर्षक, रंग पीला-ब्राउन, आकार मध्यम व विल्ट (उक्टा) के लिए प्रतिरोधकता वाली किस्म सिंचित स्थितियों में अधिकतम उत्पादन क्षमता 42 क्विंटल हेक्टेयर एवं व्यवहारिक परिस्थितियों में किसानों द्वारा इससे भी अधिक उत्पादन लेकर चने की खेती को लाभ की खेती बनाने का कार्य इस किस्म का उत्पादन लेकर किसान प्राप्त कर सकेगें। इस किस्म की अवधि 105 से 110 दिवस है।
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Gram Varieties | चने की यह अत्यंत उन्नत किस्म पूसा एव (IARI) नई दिल्ली द्वारा हाल ही में मध्य क्षेत्र हेतु जारी की है जो कि म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, विदर्भ क्षेत्र के लिए अनुशंसित है। चने की यह एक चमत्कारी एडवांस जनरेशन की जिनोमिक्स तकनीक से बनी एक उन्नत किस्म है।
इस किस्म की अवधि काफी अर्ली लगभग 108 से 110 दिन, दाना पीला (गहरा भूरा), आकर्षक 100 दानों का वजन लगभग 20 ग्राम, बीज दर 25-30 किलो एकड़ यह विल्ट (उक्टा) के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी किस्म है यह शुष्क, जड़ गलन, कालर राट। एवं बोने पन के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है।
इस किस्म (Gram Varieties) की उत्पादन क्षमता परम्परागत किस्मों से लगभग दोगुनी है यानि लगभग 42 क्विंटल हेक्टेयर तक व्यवहारिक रूप से इस किस्म का उत्पादन किसानों द्वारा लिया गया है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 18.92% जो कि सर्वाधिक है। हर घेघरे में (पाड) में 2-3 दाने अत्याधिक शाखाओं वाला फैलावदार पौधा, बेड पद्धति, चुपाई (डिबलिंग) विधि, डिप पद्धति से भी इस किस्म का उत्पादन लिया जा सकता है।
चने की यह चमत्कारी किस्म (Gram Varieties) चने की खेती में एक मील का पत्थर साबित होगी तथा चने की पत्थर साबित होगी तथा चने की खेती को एक नई दिशा प्रदान करेगी।
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4. दफ्तरी 21 चना किस्म | Gram Varieties
चने की यह अत्यंत उन्नत किस्म दफ्तरी 21 चना से किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर बंपर मुनाफा कमा सकते है। चना की इस दफ्तरी 21 किस्म को महाराष्ट्र की एग्रो प्राइवेट लिमिटेड ने विकसित किया है। इस किस्म में अपने उत्पादन के दम पर किसानों के बीच जगा बना ली है। इस किस्म का दाना बड़ा और लाल रंग का है।
जिसका मार्केट में भाव अच्छा मिलता है। इस किस्म की वजह से पैदावार भी ज्यादा होती है। ये अलग बात है कि स्वास्थ्य के लिए अब ये पैदावार उतनी अच्छी नहीं मानी जाती।
बुवाई : दफ्तरी 21 किस्म (Gram Varieties) को अक्टूबर के अंत और नवंबर के पहले पखवाड़े में बो सकते है। इसके आगे या पीछे बोने पर उत्पादन पर असर देखने को मिलता है।
बीज दर : एग्रो प्राइवेट लिमिटेड की जाने तो, बीज दर प्रति एकड़ 25 से 30 किलो तक रखें, ताकि पौधे में फल अच्छा बने। इस किस्म की बुवाई में पौधे से पौधे की दूरी 6 से 8 इंच, लाइन से लाइन की दूरी 9 इंच से 18 इंच रख सकते है।
बीजोपचार : दफ्तरी 21 किस्म की बुवाई से किसान भाई ट्राइकोडरमा या अन्य बीजोपचार अवश्य करें। बीजोपचार करने से फसल में उक्ठा रोग, जड़ गलन रोग लगने का खतरा ना के बराबर देखने को मिलेगा और 50 किलो चने में 50 किलो डीएपी मिला सकते है।
रोगप्रतिरोधक क्षमता : एग्रो प्राइवेट लिमिटेड का कहना है की इस किस्म (Gram Varieties) की रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक है। लेकिन शुरुआत में उक्ठा रोग, जड़ गलन नही मिला लेकिन बीज उपचार करें और समय समय पर फंगीसाइड का उपयोग करें जिससे फसल में रोग न लगे।
दफ्तरी 21 चने में सिंचाई प्रबंधन : पानी में सावधानी बुवाई के 30 से 35 दिन बाद पौधे में फूल आने से पहले पहली सिंचाई, दूसरी सिंचाई फली में दाने बनते समय करें। ध्यान रखे फूल आने पर सिंचाई ना करें नही तो, फूल खिरने की समस्या होगी।
उत्पादन और अवधि : किसानों की में तो, दफ्तरी 21 चने से 1 एकड़ 15 से 17 क्विंटल और 1 हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक पैदावार ली गई है। हालांकि, उत्पादन मिट्टी और मौसम के आधार पर होता है।
इसका पौधा फैला हुआ होने के कारण इसमें दाने ज्यादा बनते है। बात करें इसकी पकने की अवधि तो यह 105 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
यहां से खरीद सकेंगे चना एवं गेहूं बीज | Gram Varieties
वसुंधरा सीड्स
ऑफिस : 51, राजस्व कॉलोनी, टंकी पथ, उज्जैन – 456010 (म.प्र.) फोन : 2530547
मो. नंबर – 9301606161, 94253-32517
गोडाउन का पता : बड़ी उद्योगपुरी, मक्सी रोड, महावीर तोल काँटे के पास गोल्डन टाईल्स के सामने, उज्जैन (म.प्र.),
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