हरे सोने की खेती करेगी किसानों को मालामाल, जानिए इस खेती के बारे में..

अब हरे सोने की खेती Green gold farming किसानों को मालामाल बनाएगी। जानें डिटेल..

Green gold farming | किसान साथियों अब तक आपने पीले एवं ब्लैक (काले) सोने की खेती के बारे में सुना होगा। पीले सोने की खेती सोयाबीन को कहा जाता है वही ब्लैक गोल्ड की खेती अफीम की खेती को कहा जाता है।

लेकिन अब अरे सोने की खेती भी होने लगी है। किसान इसकी खेती करके मालामाल बन रहे हैं, इसका मार्केट करोड़ों में है। क्या है एवं किसे कहा जाता है हरे सोने की खेती को Green gold farming इसकी पूरी जानकारी के बारे में सब कुछ जानिए..

धीरे-धीरे देश में खेती का तरीका बदला

Green gold farming | भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां प्रमुख रूप से खरीफ एवं रबी सीजन में कई प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। किसान सीजन के अनुसार फसल लगाते हैं और फिर उसकी कटाई कर मुनाफ़ा कमाते हैं। पहले पारंपरिक तरीके से खेती की जाती थी।

इसमें बीज से लेकर उर्वरक तक नेचुरल होते थे। इसमें उत्पादन कम होता था, इसके बाद अब हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल होने लगा। अब किसान ऐसी चीजों की खेती करने लगे हैं, जिसके बारे में कुछ साल तक किसी ने सोचा भी नहीं था। ऐसी ही एक खेती है हर सोने की खेती आइए इस बारे में जानते हैं।

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क्या होता है हरा सोना (Green gold farming)

दरअसल हरा सोना शैवाल को कहा जाता है। शैवाल का उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में तैयार होने वाली औषधि के रूप में होता है। शैवाल कई तरह की बीमारियों का रामबाण इलाज बन रहा है। इसलिए इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि अब इसकी व्यावसायिक रूप से खेती होने लगी है।

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पहले के समय में जिस शैवाल या काई को नदी-तालब से निकाल कर फेंक दिया जाता था। उसकी अब खेती की जा रही है। इस खेती से किसानों को काफी मुनाफ़ा हो रहा है। विदेशों में इस Green gold farming शैवाल की काफी डिमांड है। इससे कई तरह के प्रॉडक्ट्स बनाए जाते हैं, जो हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं।

काफी चर्चा में है हरे सोने की खेती 

शैवाल अर्थात जिसे काई भी कहा जाता है। इसकी खेती को हरे सोने की खेती कहा जाता है। सेवाल शैवाल से होने वाली कमाई के कारण इसको हरे सोने की खेती कहा जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शैवाल या काई की खेती से किसानों को काफी प्रॉफिट होता है। काई की हाल के दिनों में डिमांड काफी बढ़ गई है।

इसका इस्तेमाल कई चीजों में होता है। दवाइयों से लेकर कई तरह के हेल्थ बेनिफिट्स टेबलेट्स में इस शैवाल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है। किसानों ने भी जरुरत के मुताबिक़ इसकी Green gold farming खेती करनी शुरू कर दी है और अब जमकर मुनाफा कमा रहे हैं।

हरे शैवाल की खेती से कैसे कमाएं 

किसान इसे उगाकर इसका पाउडर या टेबलेट बनाकर मार्केट में बेच रहे हैं। कई किसान इसके पाउडर को बारह से पंद्रह सौ रुपए प्रति किलो बेच रहे हैं। कुछ सालों पहले तक इस शैवाल को तालाब या नदियों से फेंक दिया जाता था, लेकिन अचानक ही कई शोध में सामने आया कि ये शैवाल काफी काम की चीज है। इससे कई तरह के हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं। वेट लॉस में भी शैवाल Green gold farming काफी हेल्प करता है। 

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