मध्य क्षेत्र के लिए गेंहू की नई किस्म पूसा अनमोल HI 8737, उपज 78 क्विंटल, बुकिंग शुरू हुई

मध्यक्षेत्र में बंपर उत्पादन देने वाली गेंहू की नई किस्म पूसा अनमोल (HI 8737 Wheat Variety) की बुकिंग शुरू हुई। देखें इसकी विशेषताएं।

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HI 8737 Wheat Variety | देशभर में खरीफ फसलों (सोयाबीन, धान) की कटाई का कार्य शुरू हो गया है। इसके बाद ही किसान साथी रबी फसलों की बुवाई में जुट जाएंगे। खास कर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान रबी की मुख्य फसल गेहूं की सबसे अधिक खेती करते हैं। किसान कई बार गेहूं की उन्नत किस्मों को लेकर उलझन में पड़ जाते हैं। वे मिट्टी और जलवायु के हिसाब से सही गेहूं की किस्मों (HI 8737 Wheat Variety) का चयन नहीं कर पाते हैं, जिससे उपज प्रभावित होती है।

ऐसे में आज हम आपको यहां गेंहू की नई किस्म की जानकारी देने जा रहे है, इस नवीनतम किस्म का पूसा अनमोल HI 8737 है। यह किस्म खासकर मध्य क्षेत्र के लिए है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इसकी अधिकतम उपज 78 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली गई है और खास बात ये है कि, इसकी बुकिंग भी शुरू हो गई है। यह नई किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है। आइए इस नई किस्म पूसा अनमोल HI 8737 (HI 8737 Wheat Variety) की खासियत के बारे में विस्तार से चर्चा करते है…

मध्य क्षेत्रों के लिए अनुशंसित पूसा अनमोल HI 8737

बता दें कि, गेहूं की किस्म “पूसा अनमोल” दरअसल HI 8737 किस्म (HI 8737 Wheat Variety) है, जिसे ड्युरम गेहूं की एक उन्नत किस्म के रूप में विकसित किया गया है। यह खासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कोटा और राजस्थान के उदयपुर डिवीजन, और उत्तर प्रदेश के झांसी डिवीजन के लिए अनुशंसित की गई है। यह किस्म अधिक पैदावार देने वाली, सिंचित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त और रोग प्रतिरोधी है।

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पूसा अनमोल HI 8737 की खासियत | HI 8737 Wheat Variety

• लगातार पूसा तेजस, पूसा पोषण, पूसा मंगल जैसी ड्यूरम किस्मों को लगाने से जमीन के पोषक तत्वों में भारी कमी देखी गई जिस कारण से जमीन में सबसे ज्यादा जिंक की कमी पाई गई है पूसा अनमोल HI-8737 जिंक युक्त किस्म होने के कारण जमीन के पोषक तत्व संतुलित मात्रा में रहेंगे।

• दलिया, और सूजी बनाने के लिए उपयुक्त।

• इस HI 8737 Wheat Variety किस्म की ऊंचाई कम होने के कारण लॉजिंग (आड़े गिरने) की कोई समस्या नहीं होती है।

• 4 पानी सिंचाई में किस्म का सबसे ज्यादा उत्पादन..।

• दाना चमकदार, दाना पोटिया या धानिया पड़ने की कोई समस्या नहीं….।

• करनाल बंट, ओर माहू रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधी…।

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• फसल चक्रण के साथ साथ इस किस्म (HI 8737 Wheat Variety) का चक्रण भी करना चाहिए क्योंकि लगातार एक ही किस्म लगाने से जमीन के सभी पोषक तत्व कम हो जाते हैं।

• कवकनाशी से बीज का उपचार न करें, क्योंकि इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बुवाई के लिए प्रति बीघा 40 किलो बीज. या एकड़ में 75 से 80 किलोग्राम।

• औसत उपज : 53.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, अधिकतम उपज : 78.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, किसान फीडबैक :- 92 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।

• पकने की अवधि : 130 से 135 दिन।

• HI 8737 Wheat Variety बुवाई हेतु डबल सीडड्रिल का प्रयोग करें, जिसमे पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-22 से.मी. निर्धारित होना चाहिए। अच्छी अंकुरण एवं वृद्धि के लिए भूमि में 2.5 से 3.0 इंच गहराई में बीज की बुवाई आवश्यक है।

इस तरह ले सकते है बंपर उत्पादन

खेती का चयन एवं तैयारी : खेत के चयन हेतु मृदा परीक्षण करवाना साथ ही मृदा में उचित जल निकास का प्रबंध होना आवश्यक है, गेहूं फसल के लिए मध्यम से भारी मृदा उचित है। : HI 8737 Wheat Variety

उर्वरक की मात्रा एवं समय : फसलों से भरपूर उत्पादन के लिए संतुलित उर्वरकों का समय पर उपयोग करना आवश्यक है। गेहूं फसल के सम्पूर्ण जीवनकाल मे नत्रजन 120-140 किलो/हे. स्फुर 60-70 किलो एवं पोटेशियम 30-35 किलो गा्रम की आवश्यकता होती है।

मृदा की उर्वरता, मृदा के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणों के साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता बनाये रखने हेतु उपरोक्त रसायनों कि कुल मात्रा का आधा से अधिक मात्रा को जैविक खाद जैसे गोबर कि खाद, कम्पोष्ट, कैचुआ खाद आदि सें पूर्ति करें। खाद व बीज को कभी भी मिलाकर नहीं बोयें इससे अकुंरण क्षमता प्रभावित होती है। : HI 8737 Wheat Variety

नई किस्म की बुकिंग शुरू हुई

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