सोयाबीन के स्थान पर यह फसल किसानों को मालामाल कर देगी, कृषि वैज्ञानिकों के पास बीज उपलब्ध, पढ़ें पूरी जानकारी..

कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार किया सोयाबीन की फसल का विकल्प जानिए इस नई किस्म Jowar ki kheti के बारे में..

Jowar ki kheti : किसानों के लिए सोयाबीन की खेती अब फायदेमंद नहीं रही है। इसका प्रमुख कारण है लागत अधिक होना एवं भाव में लगातार गिरावट होना। किसानों को अब सोयाबीन की खेती के अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार करना होगा, क्योंकि भारत के मुकाबले विदेशों में सोयाबीन की भरपूर उपज होती है।

Jowar ki kheti विदेश में लागत कम होने एवं उपज अच्छी होने के कारण भाव कम रहते हैं। भारतीय बाजारों में विदेशों से सोयाबीन का आयात होता है। जिसके चलते भारतीय बाजारों में भी सोयाबीन के भाव कम ही बोले जाते हैं।

इधर देश के कुछ राज्यों में खरीफ फसल के दौरान सोयाबीन की खेती वर्षों से की जा रही है। जिसके कारण एक मोनोकल्चर बन गया है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी कम हो रही है एवं सोयाबीन की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी लगातार काम हो गई है। यही कारण है की खरीफ में सोयाबीन की फसल के दौरान लागत अधिक होती है।

अब कृषि वैज्ञानिकों Jowar ki kheti ने इस समस्या का निदान निकाल लिया है। सोयाबीन की खेती के स्थान पर अच्छा मुनाफा देने वाली ज्वार की किस्म को कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। आईए जानते हैं इस नई किस्म के बारे में सब कुछ..

कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की ज्वार की नई किस्म

मध्य प्रदेश में खरीफ सीजन Jowar ki kheti में सोयाबीन की खेती बहुतायत होती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एमपी के अधिकांश जिलों में लगातार एक ही फसल की खेती प्रति सीजन में की जाती है। वैज्ञानिकों ने इसी समस्या का निदान निकलते हुए ज्वार की अधिक उपज वाली किस्म RVJ -2357 विकसित की है। ज्वार की इस किस्म की प्रमुख विशेषताएं क्या है एवं बीज कहां से मिलेगा आइए जानते हैं।

कम पानी में अच्छा उत्पादन देती है ज्वार की फसल

ज्वार की फसल Jowar ki kheti कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है । एक ओर जहां ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है । वही कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता भी सहन कर सकती है । ज्वार का पौधा अन्य अनाज वाली फसलों की अपेक्षा कम प्रकाश सष्लेषन एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है।

ज्वार की एक नई किस्म RVJ -2357 की विशेषताएं

कृषि वैज्ञानिको द्वारा तैयार की गई Jowar ki kheti  की एक नई किस्म RVJ -2357 की बुवाई करके किसान एक हेक्टर में 18 से 20 क्विंटल ज्वार का उत्पादन कर सकता है। ज्वार के भाव आजकल मंडी में 3000 रूपये क्विंटल से ज्यादा चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए ज्वार की यह किस्म अत्यंत लाभकारी रहेगी। 1 हैकटेयर में ज्वार की यह किस्म बोने पर किसानों को 55000 रुपए तक की आमदनी हो सकती है।

ज्वार की किस्म RVJ -2357 का बीज कहां मिलेगा

Jowar ki kheti कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन में इस किस्म का तीन क्विंटल बीज उपलब्ध है जो किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर वितरित किया जाएगा। किसानों को थोड़ी मात्रा में इस बीज से नया बीज तैयार करके अपने खेतों में ज्वार की बुवाई का रकबा धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए। जिससे मोनो क्रॉप पैटर्न से छुटकारा तो मिले ही और सोयाबीन के स्थान पर एक ऐसी फसल की किस्म विकसित हो जो अधिक लाभदायक सिद्ध हो।

बीज के प्रति किसान सतर्क रहे

Jowar ki kheti कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ आर पी शर्मा के मुताबिक किसानों को बीज के प्रति जागरूक रहना होगा। जागरूकता के अभाव के कारण किसानों को कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। हाल ही में काले गेहूं को लेकर इसी तरह की घटनाएं हुई है।

Jowar ki kheti शुरुआत में किसानों ने फायदा लिया लेकिन बाद में इसका खामियाजा भी किसानों को भुगतना पड़ा। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आर के शर्मा ने किसानों से अपील की है कि वे नई किस्म के बारे में नवाचार करने के पहले कृषि वैज्ञानिकों या कृषि अधिकारियों से संपर्क अवश्य करें, ताकि किसी तरह का नुकसान ना हो।

बीज को लगातार बदलते रहे

Jowar ki kheti कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर शर्मा ने कहा कि मालवा क्षेत्र में किसानों की जागरूकता के कारण ही बीज प्रतिस्थापन seed replacement rate की दर 34 प्रतिशत के लगभग चल रही है जो कि संतोषजनक है। डॉ शर्मा ने कहा कि किसान वर्तमान मे कीटनाशकों pesticides का अतिशय प्रयोग कर रहे हैं, साथ ही खरपतवार नाशक दवा का भी जमकर उपयोग किया जा रहा है।

इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को घर पर ही गोबर से बने खाद का उपयोग करना चाहिए साथ ही नीम आदि से बनी हुई कीटनाशकों का उपयोग करके वे अपनी भूमि की उर्वरता बढ़ा सकते है।

किसान प्रमाणित बीज ही खरीदे

Jowar ki kheti बोवनी के समय किसानों को बीज अत्यधिक महंगा मिलता है वहीं बीज की प्रमाणिकता पर भी कई सवाल उठाते हैं। इससे बचने के उपाय के विषय में बताते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ शर्मा ने कहा कि शासकीय बीज उत्पादन केन्द्रों द्वारा किसानों को पर्याप्त मात्रा में प्रमाणिक बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। इस बीज को वे अपने यहां शुरुआत में एक बीघा में बोकर आने वाली फसल के लिए बीज का उत्पादन कर सकते हैं।

यह क्रम निरन्तर रखते हुए महंगे बीज की खरीद से बच सकते हैं व खुद ही बीज का उत्पादन कर सकते हैं। अच्छे बीज और बीज उपचार का महत्व बताते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि अच्छे बीज Jowar ki kheti का उपयोग करने व बीज उपचार culture करने से उत्पादन का 35 प्रतिशत हिस्सा सुरक्षित हो जाता है। यदि अच्छा बीज व बीज उपचार नहीं होगा तो जहां 100 किलो उत्पादन होना चाहिए वँहा 65 किलो ही उपज होगी।

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