सोयाबीन की बिजाई करीब 26 प्रतिशत पिछड़ी, मूंगफली की बढ़ी तो कपास की घटी

गुजरात में खरीफ फसलों की बुवाई (Kharif Crops Sowing) के आंकड़े। भाव की वजह से सोयाबीन की बिजाई कम कर रहे किसान। देखें डिटेल…

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Kharif Crops Sowing | कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण चालू सीजन की अभी तक की अवधि में गुजरात में प्रमुख खरीफ तिलहन, सोयाबीन, की बिजाई तुलनात्मक रूप से करीब 26 प्रतिशत पिछड़ी हुई है। यह जानकारी राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों से मिली। इतना ही नहीं, पिछले तीन वर्षों के औसत की तुलना में इस प्रमुख तिलहन फसल की नवीनतम बिजाई (Kharif Crops Sowing) करीब 28 प्रतिशत पिछड़ी हुई है।

अपने नवीनतम आंकड़ों में राज्य कृषि विभाग ने बताया है कि चालू सीजन की 14 जुलाई तक की अवधि में गुजरात में सोयाबीन की कुल 1,90,200 हेक्टेयर में बिजाई (Kharif Crops Sowing) हुई है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 2.55.909 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। इससे पता चलता है कि बीते सीजन की समीक्षागत अवधि की तुलना में इस बार अभी तक इसकी बिजाई 65,702 हेक्टेयर या 25.67 प्रतिशत पिछड़ी हुई है। गुजरात में पिछले तीन वर्षों के दौरान सोयाबीन की बिजाई का औसत 2,62,687 हेक्टेयर रहा है।

इस आधार पर भी देखें तो इसकी नवीनतम बिजाई (Kharif Crops Sowing) अभी तक केवल 72.41 प्रतिशत ही हुई है। दूसरे शब्दों में यह करीब 28 प्रतिशत पिछड़ी हुई है। सौराष्ट्र गुजरात में सोयाबीन का सबसे बड़ा बिजाई करने वाला क्षेत्र बना हुआ है।

राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान सीजन की 14 जुलाई तक की अवधि में राज्य में क्षेत्र में इसकी कुल 1,28,000 हेक्टेयर में बिजाई हुई है। इसमें से सबसे अधिक जूनागढ़ जिले में 53,500 हेक्टेयर में बिजाई हुई है। गिर सोमनाथ जिले में 27,400 हेकटेयर ता रजकोट में 24,600 हेक्टेयर में सोयाबीन की बिजाई हुई है।

इन जिलों के अतिरिक्त क्षेत्र के अमरेली जिले में इस प्रमुख खरीफ तिलहन की 53,500 हेक्टेयर जामनगर जिले में 7900 हेक्टेयर, मोरबी में 900 हेक्टेयर, सुरेन्द्रनगर तथा देवभूमि द्वारका जिलों में 700-700 हेक्टेयर और भावनगर जिले में 200 हेक्टेयर में बिजाई (Kharif Crops Sowing) होने के आंकड़े आए हैं।

दूसरे स्थान पर मध्य गुजरात रहा है। अपने नवीनतम आंकड़ों में राज्य कृषि विभाग ने आगे बताया है कि क्षेत्र में चालू सीजन की 14 जुलाई तक की अवधि में सोयाबीन की कुल 38,400 हेक्टेयर में बुआई हुई है। क्षेत्र के दाहोद जिले में

इसकी सबसे अधिक 24 हजार हेक्टेयर में बिजाई हुई है। छोटा उदयपुर जिले में 8400 हेक्टेयर तथा महीसागर जिले में 3700 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है।

इसके अलावा वड़ोदरा जिले में एक हजार हेक्टेयर, पंचमहल जिले में 900 हेक्टेयर तथा खेड़ा जिले में 400 हेक्टेयर में सोयाबीन की बिजाई (Kharif Crops Sowing) होने के आंकड़े आए हैं। राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू सीजन की 14 जुलाई तक की अवधि में दक्षिणी गुजरात में 4100 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। क्षेत्र के भडूच में सबसे अधिक 2800 हेक्टेयर, वलसाड़ जिले में 900 हेक्टेयर में बिजाई हुई है।

इनके अलावा सूरत तथा नर्मदा जिलों में इसकी 200-200 हेक्टेयर में बिजाई (Kharif Crops Sowing) होने के आंकड़े आए हैं। अपने नवीनतम आंकड़ों में राज्य कृषि विभाग ने आगे बताया है कि वर्तमान सीजन की 14 जुलाई तक की अवधि में उत्तरी गुजरात में सोयाबीन की कुल 19,700 हेक्टेयर में बुआई हुई है। क्षेत्र के अरावली जिले में इसकी सबसे अधिक 15,600 हेक्टेयर तथा साबरकांठा जिले में 4100 हेक्टेयर में इस प्रमुख तिलहन फसल की बिजाई होने की आंकड़ों में जानकारी दी गई है।

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राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 7.74 फीसदी पिछड़ी

Kharif Crops Sowing | गुजरात में चालू सीजन में खरीफ फसलों की बुआई 7.74 फीसदी पीछे चल रही है। राज्य में जहां खरीफ की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास की बुआई पीछे चल रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 21 जुलाई तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 5,838,630 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान राज्य में 6,328,269 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। सामान्यतः खरीफ सीजन में राज्य में 8,557,510 हेक्टेयर में फसलों की बुआई होती है।

चालू खरीफ सीजन में तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई (Kharif Crops Sowing) 1,942,143 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 1,828,144 हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहन की कुल बुआई राज्य में बढ़कर 2,248,416 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2,162,488 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में सोयाबीन की 224,964 हेक्टेयर में तथा शीशम की 25,980 हेक्टेयर और कैस्टर सीड की 55,179 हेक्टेयर में हुई है। चालू खरीफ में कपास की बुआई राज्य में 1,962,033 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 2,234, 194 हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में ग्वार सीड की बुआई (Kharif Crops Sowing) 41,479 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल के 31,340 हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

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चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाजों की बुआई घटकर 687,767 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 834,550 हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की 123,522 हेक्टेयर में तथा मक्का की 219,016 हेक्टेयर में हुई है। इसके अलावा धान की रोपाई 341,785 हेक्टेयर और ज्वार की बुआई 2,88 हेक्टेयर में हो चुकी है।

दलहनी फसलों की बुआई (Kharif Crops Sowing) चालू खरीफ सीजन में 194,211 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 253,697 हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। खरीफ दलहन में अरहर की बुआई 16,901 हेक्टेयर में और मूंग की 32,990 हेक्टेयर में तथा उड़द की 39,031 हेक्टेयर तथा मोठ की 4,338 हेक्टेयर में हो चुकी है।

खरीफ फसलों की बुवाई में सक्रियता

मानसून की सक्रियता से धान व सोयाबीन की फसल (Kharif Crops Sowing) पर किसानों ने फोकस किया हुआ है। कृषि संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर व मध्य और पश्चिम भारत में मॉनसून सकारात्मक रहने के साथ हरियाणा, पंजाब, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश में धान पर किसानों ने फोकस किया हुआ है, उधर मोटे धान को लेकर बिहार, बंगाल में भी किसान सक्रिय हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में कपास और सोयाबीन की बुवाई बढ़ सकती है। कहा जा रहा है कि खरीफ फसलों की बिजाई में जुलाई प्रथम पखवाड़े के अंतराल तेजी की संभावना जताई गयी है।

उधर कहा जा रहा है कि सोयाबीन व कपास की पिछले सीजन की फसल के दाम में किसानों को पड़ता कम लगने की खबरों से चालू सीजन में शायद कुछ कमी का अंदेशा भी हो सकता है, इसलिए कहा गया कि किसान सक्रिय बने हुए हैं। हो सकता है कि दोनों फसलों की बिजाई (Kharif Crops Sowing) में कमी हो सकती है, लेकिन मानसून तय करेगा कि किसानों को उत्पादन कैसा दिखाई देगा।

जहां पिछले साल तिलहनों व खाद्य तेलों के भाव में कमी के अंदेशे के चलते घाटे का सामना करना बताया गया है, तथा इस बार 2025-26 खरीफ सीजन के लिए भी भारत सरकार ने चालू कलैण्डर वर्ष के प्रथम पांच-छह महीनों के दौरान कुछ खाद्य तेलों पर तो आयात टेरिफ घटाया भी गया है, जिससे आयात में वृद्धि के चांस बने हुए हैं, मगर अमेरिका सहित अन्य देशों के बीच टेरिफ समस्या के चलते एफटीए में परेशानी आने की धारणा व्यक्त की जा रही है। : Kharif Crops Sowing

हालांकि चालू 2025 में किसानों को खाद्य तेलों के बढ़ते आयात के कारण सहीं मूल्य मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। मीडिया सूत्रों का कहना है कि इंदौर में सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार बाजार में यदि कीमतें नीचे रहती हैं तो वर्ष 2025 की खरीफ फसल के रकबे में पांच प्रतिशत की गिरावट की आशंका है। : Kharif Crops Sowing

इसकी जगह किसान अन्य कृषि जिंसों की ओर रुख कर सकते हैं। खरीफ के अनाज एवं कोई दलहन की ओर रुख कर सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कारोबारियों को कपास के रकबे में इस वर्ष गिरावट की उम्मीद है। इसके उलट फसल संबंधी जानकारों का कहना है कि मध्य भारत और पश्चिमी भारत के गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान में मॉनसून रुख में तेजी से कपास और सोयाबीन की बोआई बढ सकती है।

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