तगड़ा मुनाफा कमाने के लिए गर्मी में करें खीरे की खेती, कम लागत में बंपर फायदे का पूरा तरीका जानें..

रबी फसलों की कटाई के बाद खीरे की फसल kheere ki kheti देगी तगड़ा मुनाफा, जानिए खेती का पूरा गणित..

kheere ki kheti | मार्च महीने में लगभग रबी फसलों की कटाई हो जाती है। सभी फसलों की कटाई के बाद खरीफ फसलों के बीच में लगभग चार महीना तक खेत खाली रहते हैं। ऐसी अवस्था में किसान छोटी अवधि की फसल करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कम अवधि की ऐसी ही फसल खीरे की है।

kheere ki kheti गर्मी के सीजन में खीरे की फसल एक महत्तवपूर्ण फसल है। खीरे की खेती से किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। खीरे की खेती के बारे में विस्तार पूर्वक जानिए..

गर्मी में अच्छा मुनाफा देती है खीरे की खेती

kheere ki kheti रबी सीजन अब अपने अंतिम प्रड़ाव पर है। अगला सीजन जायद फसलों का है, जिसमें कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। अगर आप भी जायद सीजन में अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो खीरे की खेती कर सकते हैं। जिसकी बुवाई अब शुरू की जा सकती है। खीरे को गर्मी के सीजन का हीरा भी कहा जाता है और यह इस सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसकी खेती सिर्फ इसी सीजन में की जाती है।

खीरे की खेती के लिए यह मिट्टी उपयुक्त

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार kheere ki kheti हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। यही कारण है कि खीरे की खेती सब जगह होती है। इसकी खेती के लिए हर तरह की मिट्टी कारगर होती है। इसके बावजूद खीरे की फसल का सबसे अधिक उत्पादन बलुई दोमट तथा मटासी मृदा में होता है।

खीरे की उन्नत किस्में 

किसान kheere ki kheti अच्छी किस्मों की खेती करें तो वे अपना मुनाफा और बढ़ा सकते हैं। इसके लिए उन्हें खीरे की उन्नत किस्मों की जानकारी होनी आवश्यक है। खीरे की उन्नत किस्मों में पूसा संयोग, पाइनसेट, खीरा-90, टेस्टी, मालव-243, गरिमा सुपर, ग्रीन लॉंग, सदोना, एन.सी.एच.-2, रागिनी, संगिनी, मंदाकिनी, मनाली, य.एस.-6125, यू.एस.-6125, यू.एस.-249 शामिल हैं।

खीरे की बोवनी का समय 

kheere ki kheti खीरे के बीज बोने का समय विशेष स्थान और जलवायु पर निर्भर करता है। शीत रूपी फसल के लिए, बीज बोने का समय फरवरी के मध्य से मार्च के पहले सप्ताह तक होना चाहिए। एक हेक्टेयर खेत के लिए 2.5 से 3.0 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।

बीज को उपचारित करने के लिए बीज को चौड़े मुंह वाले मटके में डालें और 2.5 ग्राम थाइरम दवा प्रति किलोग्राम बीज के मूल्य से मिलाएं। दवा को बीज के अच्छे से मिश्रित करने के लिए मटका में दवा और बीज डालें और दोनों हाथों से कई बार ऊपर-नीचे करें ताकि दवा बीज के सभी ओर आच्छादित हो सके।

खीरे की बुवाई की विधि

kheere ki kheti खेत में बुवाई के लिए एक प्रमुख तकनीक है कि हम विश्वसनीय रूप से तैयार किए गए थालों को खेत में रख दें। थाले के चारों तरफ 2-4 बीज बोएं और बोने की गहराई 2-3 सेंटीमीटर रखें। ककड़ी की बुवाई नाली में भी की जाती है. यह फसल बोने के लिए, 60 सेंटीमीटर चौड़ी नालियों का निर्माण किया जाता है, जिन पर ककड़ी के बीज बोने जाते हैं। नालियों के बीच की दूरी 2.5 मीटर रखें।

kheere ki kheti इसके साथ ही, एक नक्काशी से दूसरी नक्काशी के नीचे 60 सेंटीमीटर का अंतर दें। चरणगत ऋतु के लिए, बीज बोने से पहले, 12-8 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें, जिससे बीज का अंकुरण बेहतर होता है। बीज बोने के लिए, एक पौधे के बीच की दूरी 1.0 मीटर रखें और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर रखें। ककड़ी के पौधों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इस फसल को सहारा देना आवश्यक है।

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खाद और उर्वरक प्रबंधन

kheere ki kheti खीरे की एक हेक्टेयर खेत में खेती करने के लिये 30 टन गोबर खाद का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम यूरिया, 125 किग्रा. एन.पी.के, 30 किग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग करें। फसल में फल लगने प्रारंभ हो जाये तो फसल पर एक या दो तुड़ाई के बाद एक प्रतिशत यूरिया के घोल का पौधों पर छिड़काव करने से पौधों की बढ़वार व फलत अधिक व लम्बे समय तक प्राप्त होती है।

kheere ki kheti खीरे के पौधे से अधिक फल प्राप्त करने के लिये वृद्धि नियामक हार्मोन के प्रयोग से मादा फूलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जिसके लिये इथरेल 250 पी.पी.एम सान्द्रता वाले मिश्रण का घोल बनाकर, जब पौधों में दो पत्तियां वाले पौधे हो जाये तब छिड़काना चाहिए, जिससे खीरे के पौधों में मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। तथा अधिक फल लगने के कारण उपज बढ़ जाती है।

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खीरे की फसल में सिंचाई

kheere ki kheti में सिंचाई काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे सिंचाई पर विषेश ध्यान दें। फसल में फूल आने के बाद हर पांच दिन के अन्तर पर सिंचाई करें। वहीं, जिन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की कमी है, वहां ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे खेत में पर्याप्त नमी बनी रहती है, साथ ही सिंचाई जल की आवश्यकता भी कम होती है।

कटाई और पैदावार

kheere ki kheti खीरे की फसल की अवधि 45 से 75 दिनों होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 150 क्विंटल उत्पादन होता है। खीरे की अप्रिय फसल को ग्लास हाउस में उगाकर अच्छी कमाई हासिल की जा सकती है। यह एक ऐसी फसल है, जिससे छोटे किसान भी लाखों की कमाई कर सकते हैं।­

गर्मी में खिरे की खेती क्यों फायदेमंद है जानें

सामान्यतः सलाद में उपयोग किए जाने वाले kheere ki kheti खीरों में एक जैविक कणामुद्रा नामक एंजाइम होता है, जो प्रोटीन को पचाने में सहायता करता है। इसके साथ ही, खीरा पानी का एक अच्छा स्रोत है, जिसमें लगभग 96 प्रतिशत पानी होता है। इसलिए, खीरा गर्मियों में एक महत्वपूर्ण शाकाहारी फसल है।

खीरा विटामिन ए, बी-1, बी-6, विटामिन-सी, विटामिन-डी के साथ-साथ पोटैशियम, फॉस्फोरस, और लोहा का एक उत्तम स्रोत है। नियमित खीरे के रस का सेवन से हमारे शरीर को बाहर और अंदर से मजबूती मिलती है। kheere ki kheti खीरे के कई सारे फायदें हैं और गर्मियों में इसकी डिमांड भी खूब रहती है। इसी वजह से इसकी खपत भी बढ़ जाती है।

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