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Late Sowing Wheat Varieties | प्रदेश के किसानों के लिए गेहूं की पछेती किस्म की बिजाई करने का एक और मौका है। किसान मौसम व अन्य कारणों से गेहं की अगेती बिजाई नहीं कर पाते तो ऐसे में उन्हें गेहं की पछेती बिजाई करनी पड़ती है।
दिसम्बर के तीसरे सप्ताह तक किसान गेहूं की पछेती किस्म डब्ल्यूएच 1021, 1124 डीबीडब्ल्यू 107 की बिजाई कर सकते हैं। यह किस्में 125 दिन में पककर तैयार हो जाएगी।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज के अनुसार, अगर किसान गेहूं की पछेती बिजाई के समय कुछ विशेष सावधानियां रखें तो बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं। : Late Sowing Wheat Varieties
उन्होंने बताया कि गेहूं की पछेती बिजाई के लिए किसानों को शीघ्र पकने वाली व रोग अवरोधक किस्मों का चुनाव करना चाहिए, जो लगभग 122 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाए।
एचएयू के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं व जौ अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार के अनुसार गेहूं की पछेती बिजाई के लिए गेंहू की HI 1634, CG 1029, HI 1674 किस्म के साथ साथ डब्ल्यूएच 1021, डब्ल्यूएच 1124, राज 3765 की सिफारिश की है। : Late Sowing Wheat Varieties
इसके अतिरिक्त डीबीडब्लयू 107, डीबीडब्ल्यू 173 व एचडी 3059 किस्मों का भी चयन कर सकते है। गेंहू की पछेती बुवाई का समय दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक है। इसके बाद गेंहू की बिजाई करने से किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता।
बीज की मात्रा व बीजोपचार का ऐसे रखें ध्यान
पछेती बिजाई में गेहूं की अधिक पैदावार लेने के लिए बीज की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। इसलिए किसान पछेती बिजाई में 50 किलो प्रति एकड़ बीज डालें। जल्द अधिक जमाव व फुटाव तथा अधिक उत्पादन के लिए बीज को रातभर पानी में भिगोएं। : Late Sowing Wheat Varieties
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भिगोने वाले बर्तन में पानी का स्तर बीज से दो सेंटीमीटर ऊपर रखें। बीज को पानी से निकालने के बाद दो घंटे चटाई या फर्श पर छाया में सुखाएं। दीमक के नियंत्रण के लिए एक एकड़ के बीज को 60 मिलीलीटर क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी से उपचारित करें।
खुली कंगियारी व पत्तियों की कंगियारी से बचाव के लिए गेहूं के बीज को कार्बनडेजियम या कार्बोक्सिन 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज या टेबुकोनाजोल 1.0 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से बिजाई से पहले उपचार करें। बायोफर्टिलाईजर उपचार के लिए 250 मिली एजोटोबैक्टर व 250 मिली पीएसबी प्रति 50 किलोग्राम बीज का प्रयोग करें। : Late Sowing Wheat Varieties
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दो कतारों के बीच हो कम से कम 18 सेंटीमीटर का अंतर
गेहूं की बिजाई हमेशा कतारों में करें। सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन से बिजाई करें और पछेती बिजाई में दो कतारों का अंतर 18 सेमी रखें। धान-गेहूं फसल चक्रवाले क्षेत्रों में धान की कटाई के बाद गेहूं की बिजाई बिना जुताई किए जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन से करें।
इससे समय की बचत होती है व जुताई का खर्च भी कम होता है। जिन क्षेत्रों में मंडूसी के प्रति प्रतिरोधकता आ गई है वहां पर दो लीटर पैंडीमैथालिन के साथ पायरोक्सा सल्फोन 60 ग्राम, 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के तुरंत बाद प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। : Late Sowing Wheat Varieties
मिट्टी की जांच के आधार पर ही डालें फर्टिलाइजर
Late Sowing Wheat Varieties | मिट्टी की जांच के आधार पर ही खेत में खाद डालनी चाहिए। अधिक पैदावार के लिए सिंचित दशा में क्रमशः शुद्ध नत्रजन, फास्फोरस व पोटास की मात्रा 60, 24 व 12 किलोग्राम प्रति एकड़ डालें।
इसके लिए 50 किलो डीएपी तथा 110 किलो यूरिया या 150 किलो सिंगल सुपरफास्फेट तथा 130 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ डालें। : Late Sowing Wheat Varieties
नत्रजन की आधी मात्रा व अन्य खादों की पूरी मात्रा तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें और नत्रजन का शेष भाग पहली सिंचाई के बाद डालें।
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