मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट (Maize crop Kit) का प्रकोप बढ़ गया है। जानें इसके लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय।
Maize crop Kit | किसानों के लिए मक्का की खेती काफी लाभदायक साबित होती है। लेकिन मक्का की फसल में कई तरह के खतरनाक कीट व रोग लग जाते हैं, जिसके चलते मक्के की पैदावार पर काफी असर देखने को मिलता है।
बता दें कि मक्के की फसल में फॉल आर्मी कीट का प्रभाव काफी अधिक देखने को मिल रहा है। मक्का की अनुपलब्धता में यह कीट अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए कृषि विभाग ने मक्का की खेती करने किसानों के लिए जरूरी सलाह जारी की है। आइए जानते है इसके लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय.. Maize crop Kit
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मक्के की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है ये किट
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फॉल आर्मीवर्म कीट (Fall Armyworm Pest) के लार्वा हरे, जैतून, हल्के गुलाबी या भूरे रंगों में दिखाई देते हैं। इस कीट की चार अवस्थाएं पाई जाती है. जो कुछ इस प्रकार से हैं। अंडा, लार्वा, प्यूपा और प्रौढ़। मक्के की फसल को लार्वा ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने का काम करता है। इसमें काटने और चबाने वाले मुखांग पाए जाते हैं। Maize crop Kit
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क्या है आर्मीवर्म कीट के लक्षण?
मक्का की फसल में आर्मीवर्म कीट के लक्षण को पहचाने के लिए आपको फसल की पत्तियों पर ध्यान देना होगा। दरअसल, जब यह कीट फसल पर आक्रमण करता है, तो सबसे पहले मुलायम पत्तियों पर हमला करते हैं। आर्मीवर्म कीट के प्रभाव में आने के बाद मक्के की फसल की पत्तियां कैंची की तरह जैसे की पत्तियों को काटा गया हो इस तरह की दिखाई देती है। Maize crop Kit
आर्मीवर्म कीट के प्रिवेंटिव नियंत्रण
किसान को फसल में इस कीट के नियंत्रण के लिए फसल बुवाई के करीब 30 दिन पहले मेटाराईजियम एनीसोप्ली 2 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में डालें। फिर 25 दिन के बाद फसल में फेरोमोन ट्रैप एकड़ लगवाएं। Maize crop Kit
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मक्के की फसल में तना छेदक एवं कटुआ कीटों के लिए सलाह
तना छेदक किट :- यह कीट मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इस कीट की सुंडियाँ तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। Maize crop Kit
फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है। इसके नियंत्रण के लिए किसान मोनोप्रोटोफास दो एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। कार्टाफ 50 प्रतिशत एसपी पाउडर दो ग्राम प्रति लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करने से भी फायदा होगा।
मक्का का कटुआ कीट :- इस कीट की सूँडी काले रंग की होती है, जो दिन में मिट्टी में छुपती है। रात को नए पौधे मिट्टी के पास से काट देती है। ये कीट जमीन में छुपे रहते हैं और पौधा उगने के तुरन्त बाद नुकसान करते हैं। कटुआ कीट की गंदी भूरी सुण्डियां पौधे के कोमल तने को मिट्टी के धरातल के बराबर वाले स्थान से काट देती है और इस से फसल को भारी हानि पहुंचाती है। Maize crop Kit
सफेद गिडार पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए किसान इथोफेंप्रॉक्स 10 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टेयर 500 से 600 पानी में घोलकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर छिडक़ाव करें। इसके अलावा मक्का की फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें एवं मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें।
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