पूसा बासमती 1718 सहित उच्चतम विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली बासमती धान की 3 किस्मों के बारे में जानें..

टॉप बासमती चावल की तीन वैरायटियों Pusa Basmati Variety एवं धान की नर्सरी के बारे में जानिए..

Pusa Basmati Variety | धान की खेती करने वाले ज्यादातर किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिलेगा। मई का अंतिम सप्ताह आते-आते कई राज्यों के किसान धान की बिजाई यानी नर्सरी लगना भी शुरू कर देते हैं। किसान ये भी चाहते हैं कि वे ऐसी किस्मों की खेती करें जिससे उनकी फसल जल्दी तैयार हो जाए और बढ़िया उत्पादन भी मिले। धान की कई वैराइटियां प्रचलन में है इनमें से धान की टॉप 3 वैरायटियों Pusa Basmati Variety एवं धान की नर्सरी के बारे में आइए जानते हैं..

पूसा बासमती 1718 (Pusa Basmati 1718)

  • Pusa Basmati Variety देश के बासमती उगाने वाले (जीआई क्षेत्र) क्षेत्रों के लिए अनुशंसित है। औसत अनाज की उपज 135 दिनों की परिपक्वता के साथ 46.4 क्विंटल/ हैक्टर है।
  • यह पूसा बासमती 1121 का एक एमएएस व्युत्पन्न बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी संस्करण है, जिसे विशेष रूप से विकसित किया गया है।
  • यह देश में, बासमती चावल की तीन शीर्ष, विदेशी मुद्रा अर्जक किस्मों Pusa Basmati Variety में से एक है।

पूसा बासमती 1509 (Pusa Basmati 1509)

  • Pusa Basmati Variety जल्दी पकने वाली, कम ऊँचाई वाली, जमीन न गिरने वाली और न टूटने वाली किस्म औसत बीज उपज 41.4 क्विंटल/ हैक्टर है।
  • यह 115 दिनों में परिपक्व होती है जो Pusa Basmati Variety पूसा बासमती 1121 से 30 दिन पहले है।
  • यह 3-4 सिंचाई बचाता है और जल्दी पकने के कारण किसानों को गेहूं के खेत की तैयारी के लिए पर्याप्त समय देता है जिससे अवशेषों को जलाने में कमी आती है, 33% पानी बचाता है।

जया- भारत की शान (Jaya – Bharat ki Shan)

  • Pusa Basmati Variety चावल की चमत्कारी किस्म जारी की गई जिसने हरित क्रांति की शुरुआत की।
  • 130 दिनों की अवधि वाली अर्ध-बौनी चावल की Pusa Basmati Variety किस्म जिसकी उपज क्षमता <5 टन/ हैक्टर है।
  • उपज की सारी बाधाओं को तोड़कर, 60 के दशक के अंत से 70 के दशक के प्रारंभ में देश को आत्मनिर्भरता की स्थिति में लाकर खरा किया।

धान की नर्सरी के बारे में जानिए

किसान बीज Pusa Basmati Variety का चयन सावधानीपूर्वक करें। इसके लिए आधार व प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें। इसमें पूर्ण जमाव, किस्म की शुद्धता एवं स्वस्थ होने की प्रमाणिकता होती है।

धान की पौध तैयार करने के लिए 8 मीटर लम्बी एवं 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बना लेते हैं। जब तक नवपौध हरी न हो जाए, पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरती जाए तथा शुरू के 2-3 दिनों तक अंकुरित बीजों को पुआल से ढके रहें। इसके बाद पानी की पतली सतह के साथ संतृप्त से गारे वाली स्थिति बनाए रखने के लिए नर्सरी क्यारियों के ऊपर अंकुरित बीजों को समान रूप से छिड़काव करें।

धान की नर्सरी के लिए मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 कि.ग्रा., मोटे धान के लिए 45 कि.ग्रा. तथा बासमती प्रजातियों के लिए 20-25 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होता है।

धान के बीज को बोने से पूर्व 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम या थीरम से बीजोपचार कर लेना चाहिए। जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 कि.ग्रा. बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भिगो दें तथा 24-36 घंटे तक जमाव होने दें। बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें तथा दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डाल दें।

स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौध तैयार करने के लिए उचित जल निकास एवं उच्च पोषक तत्वों से मुक्त दोमट मृदा का सिंचाई के स्रोत के पास पौधशाला का चयन करें।

बुआई से एक महीने पहले नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी क्षेत्र में 15 दिनों के अंतराल पर पानी देकर खरपतवारों को उगने दिया जाए तथा हल चलाकर या अवरणात्मक (नॉन सेलेक्टिव) खरपतवारनाशी जैसे कि पैराक्वाट या ग्लाइफोसेट का एक कि.ग्रा./हैक्टर छिड़काव करके खरपतवारों को नष्ट कर दें।

ऐसा करने से धान की मुख्य फसल में भी खरपतवारों की कमी आयेगी। नर्सरी क्षेत्र को गर्मियों में (मई-जून) अच्छी तरह 3-4 बार हल से जुताई करके खेत को खाली छोड़ने से मृदा सम्बन्धित रोगों में काफी कमी आती है।

अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए संतुलित पोषक तत्वों के उपयोग से नवपौध की अच्छी बढ़वार, स्वस्थ एवं ओजपूर्ण / पर्याप्त पोषण मिलना जरूरी है। 1000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 10 कि.ग्रा. डाई – अमोनियम फॉस्फेट तथा 2.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट जुताई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने के बाद में बुआई करें। 10-12 दिनों बाद यदि पौधों का रंग हल्का पीला हो जाए, तो एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार 10 कि.ग्रा. यूरिया / 1000 मीटर की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला दें, जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होगी ।

बुआई के 1-2 दिनों बाद पायराजोसल्फ्यूरॉन 250 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से पौध निकलने के पूर्व छिड़काव करें। इसके लिए शाकनाशी को रेत में ( 10-15 कि.ग्रा. /1000 मीटर) मिलाकर उसे नर्सरी क्यारियों पर एक समान रूप से फैला दें तथा हल्का पानी (1-2 सें.मी.) क्यारियों में भरा रहने दें, जिससे खरपतवारनाशी एक समान क्यारियों में फैल जायें।

धान बुवाई की विधियाँ

कतारो में बोनी : अच्छी तरह से तैयार खेत में Pusa Basmati Variety निर्धारित बीज की मात्रा नारी हल या दुफन या सीडड्रील द्वारा 20 सें.मी. की दूरी की कतारों में बोनी करना चाहिए।

रोपा विधि से धान की बुवाई : सामान्य तौर पर 2-3 सप्ताह के पौध रोपाई के लिये उपयुक्त होते हैं तथा एक जगह पर 2-3 पौध लगाना पर्याप्त होता है रोपाई में विलम्ब होने पर एक जगह पर 4-5 पौध लगाना उचित होगा। Pusa Basmati Variety 

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