MSP wheat purchase सरकार के एक आदेश से राहत, लेकिन इस नई परेशानी से किसान फिर मुसीबत में, यह है पूरा मामला..
MSP wheat purchase | न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन का कार्य चल रहा है। सरकार ने किसानों की सुविधा अनुसार प्लांट बुकिंग की प्रक्रिया अपनाकर किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है। गेहूं विक्रय के लिए किसान अब प्लांट बुकिंग करके खरीदी केदो पर पहुंच रहे हैं।
इसके साथ ही हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को चमक विहीन गेहूं खरीदेने के निर्देश दिए हैं। लेकिन इन आदेशों के बावजूद किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी स्तर पर गेहूं विक्रय MSP wheat purchase के संबंध में किसानों को एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। आईए जानते हैं पूरा मामला..
सरकार के इस आदेश से किसानों को राहत मिली
MSP wheat purchase | पिछले दिनों से गेहूं की खरीदी शुरू होने के बाद किसानों का दागी गेहूं खरीदने से समितियां इनकार कर रही थी। कुछ सोसाइटियों ने दागी गेहूं खरीद लिया था। उसको भारतीय खाद्य निगम ने वापस कर दिया था। इसको लेकर किसान परेशान हो रहे थे। किसने की मांग थी कि दागी गेहूं भी खरीदा जाए। किसानों की इस परेशानी का कुछ हद तक हल निकल आया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों को को पत्र द्वारा निर्देशित किया है कि अब बगैर किसी भावों की कटौती के किसानों का बारिश के कारण खराब हुआ गेहूं भी खरीदा जाए।
हालांकि उस पर 30 प्रतिशत तक का बंधन जरूर लगाया है । केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि दागी गेहूं में किसानों के कोई नुकसान नहीं हो, ऐसी व्यवस्था करें, और जितना भी गेहूं खरीदा MSP wheat purchase जाए उसको अलग रखकर जल्द से जल्द उसका वितरण में निपटारा किया जाए। केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के उपयुक्त विश्वजीत हलदर ने मध्य प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि किसान यदि 30 प्रतिशत तक दागी गेहूं लेकर आता है तो उसको बगैर किसी भाव की कटौती के खरीदा जाए।
इस मामले को लेकर किसानों की मुसीबत बड़ी
MSP wheat purchase | एक दिन पहले आदेश आया था कि 30 फीसदी चमकविहीन गेहूं सरकार खरीद सकती है। हालांकि, इसमें भी काला दाना पर छूट नहीं दी गई है। यानी यदि किसी भी सेंपल में 2% से ज्यादा डेमेज यानी काले दाने पाए गए तो वह नहीं लिया जा सकता। इस मामले को लेकर अब किसानों की मुसीबत बढ़ गई है।
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किसानों ने बताया कि खेत पर गेहूं छानने और उसे साफ करने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। खेत में से जैसा गेहूं हार्वेस्टर के जरिए साफ होकर निकलता है, वहीं गेहूं बेचने MSP wheat purchase के लिए किसान मंडी में या समिति के गोदाम पर पहुंचाता है। इस बार सरकारी खरीदी का लक्ष्य कम निर्धारित किया है, इसके चलते क्वालिटी वाइस गेहूं रिजेक्ट किया जा रहा है। कुछ सोसाइटियों ने निम्न क्वालिटी का गेहूं खरीद भी लिया तो उन्हें एफसीआई द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया।
यह है कालेदाने का मापदंड
MSP wheat purchase | फेयर एवरेज क्वालिटी के अनुसार, यदि किसी गेहूं सेंपल में 2 प्रतिशत से अधिक दाने काले पाए जाते हैं, तो उसे खरीदी योग्य नहीं माना जाता है। यह मानक स्टैंडर्ड है। उपार्जन केंद्रों पर गेहूं की गुणवत्ता की जांच करने वाले सर्वेयर, समिति मैनेजर व स्टाफ का कहना है कि मालवा में कोहरे के कारण सैकड़ों किसानों का गेहूं प्रभावित हुआ है। इस कारण दाना काला पड़कर सिकुड़ गया है। साथ ही बड़ी तादाद में चमकविहीन हो गया है।
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खरीदी केदो पर रहने वाले सर्वेयर बताते हैं कि भारतीय खाद्य निगम के जो पैरामीटर्स हैं उसमें गेहूं अमानक बताया गया। इसके तहत गेहूं MSP wheat purchase में काले गेहूं, डैमेज आदि 2% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके पूर्व गेहूं तुलाई के दौरान सर्वेयर, मप्र वेयर हॉउस के प्रतिनिधि, पंचायत सचिव, ग्रामीण विस्तार अधिकारी, दो पटवारी, सोसायटी प्रबंधक आदि होते हैं। ये जांच कर तय करते हैं गेहूं खरीदी योग्य है या नहीं। इसके बाद एफसीआई के सर्वेयर उसकी क्वालिटी देखकर तय करते हैं।
इंदौर में सरकारी एजेंसी ने लौटाया हजारों क्विंटल गेहूं
MSP wheat purchase | चमक विहीन गेहूं एवं काले दाने युक्त गेहूं की खरीदी को लेकर किसानों को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इसकी बानगी इंदौर में देखने को मिली। यहां पर कोहरे के कारण काले पड़े गेहूं के कारण 30 हजार क्विंटल से ज्यादा गेहूं सरकारी एजेंसी ने रिजेक्ट कर दिया है। सरकारी समिति ने इसकी खरीदी कर ली लेकिन केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम ने इसे अमानक माना है। भुगतान की स्वीकृति निगम ही देता है, ऐसे में खरीदी के बावजूद किसानों का पैसा फंस गया है।
किसान भुगतान के इंतजार में
MSP wheat purchase | इंदौर जिले के इस मामले में खास बात यह है कि किसान सोसायटी में अपना माल बेचकर जा चुके हैं। अब उन्हें भुगतान का इंतजार है। इसी बीच निरीक्षण करते हुए भारतीय खाद्य निगम के अफसरों ने खरीदा हुआ माल यह कहकर जमा करने से मना कर दिया कि यह फेयर एवरेज क्वालिटी का नहीं है, हम पेमेंट नहीं करेंगे।
किसानों को अभी पता नहीं चल पा रहा है कि किस-किस माल रिजेक्ट हुआ है, किसका नहीं। उनके पास सोसायटी को सौंपे गए माल की रसीद है और वे बैंक खातों में पेमेंट आने का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि औसतन भुगतान 8 से 12 दिन में होता है।
राज्य शासन को पत्र लिखा
MSP wheat purchase | इधर बताया जा रहा है कि एफसीआई द्वारा जो गेहूं रिजेक्ट किया गया है वह गेहूं खराब नहीं हुआ है। जनवरी में बारिश और कोहरे के कारण इस पर हल्का असर पड़ा। इससे कुछ गेहूं हल्के काले हुए और धुंधल दाने है।
जबकि दूसरी ओर इस बार गेहूं में काले दाने 2 से 6% होना इसका खास कारण है। चूंकि जिला समिति को छूट देने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए इंदौर जिला प्रशासन में इस मामले को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस तरह के गेहूं को लेकर छूट की मांग की है।
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