मानसून को लेकर किसानों के लिए अच्छी खबर, पढ़िए पूरी जानकारी..

इस वर्ष देश में मानसून Monsoon कैसा रहेगा, वैज्ञानिकों ने क्या अनुमान जताया है, आइए जानते है डिटेल..

Monsoon | पिछले दो वर्ष से देश में मानसून की अनियमितता के कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। पिछले वर्ष तो आलम यह था एक माह तक बारिश की लंबी खिंच से देश के कई हिस्सों में फासले बर्बाद हुई। इसके बाद मानसून में जाते-जाते बारिश की।

जिसके चलते पिछले वर्ष खरीफ सीजन में किसानों को घाटा उठाना पड़ा। पिछला वर्ष काफी गर्म और शुष्क रहा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो के असर के चलते ऐसा देखने को मिला। इस वर्ष मानसून Monsoon की क्या स्थिति रहेगी, आईए जानते हैं..

इस वर्ष अल नीनो पड़ा कमजोर

मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि जून से अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब ये हो सकता है कि इस साल मॉनसून Monsoon की बारिश पिछले साल की तुलना में बेहतर होगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने बताया कि जून-जुलाई तक ला नीना विकसित होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि अगर अल नीनो ईएनएसओ न्यूट्रल स्थितियों में परिवर्तित हो गया तो भी इस साल मॉनसून पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर होने की उम्मीद है।बता दें कि भारत में वार्षिक बारिश का 70 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण-पश्चिम मॉनसून Monsoon से हुई बारिश का होता है, जो कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है और सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14 प्रतिशत है और देश की 1.4 अरब आबादी में से आधे से ज्यादा को रोजगार देता है।

जून तक अल नीनो खत्म हो जाएगा

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने पिछले सप्ताह कहा था कि 79 प्रतिशत संभावना है कि अल नीनो अप्रैल-जून तक ईएनएसओ-न्यूट्रल में बदल जाएगा और जून-अगस्त में ला नीना विकसित होने की 55 प्रतिशत संभावना है।

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आगामी जून तक अल नीनो खत्म हो जाएगा, जिसके चलते इस साल मॉनसून Monsoon में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई गई है। दो ग्लोबल क्लाइमेट एजेंसियों ने पिछले हफ्ते इस बात की जानकारी दी थी कि दुनियाभर को प्रभावित करने वाला अल नीनो कमजोर होना शुरू हो गया है और अगस्त के महीने में ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है।

2023 के मुकाबले 2024 कैसा रहेगा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डी शिवानंद पई ने बताया कि वर्तमान में हम निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह सकते हैं। कुछ मॉडल ला नीना का संकेत देते हैं, जबकि कुछ ईएनएसओ-न्यूट्रल स्थितियों की भविष्यवाणी करते हैं. हालांकि, सभी मॉडल अल नीनो के खत्म होने का संकेत दे रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रीय भविष्यवक्ता एनओएए ने कहा कि मजबूत अल नीनो घटनाओं के बाद ला नीना की प्रवृत्ति रही है। उन्होंने बताया कि अल नीनो 2024 की पहली छमाही तक जारी रहेगा। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने पहले बताया था कि यह वर्ष 2023 से अधिक गर्म रहेगा। अगर ला नीनो विकसित होता है तो ये साल 2023 से ज्यादा गर्म नहीं होगा। : Monsoon

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने बताया कि ताजा पूर्वानुमान जून तक ला नीना के संकेत दे रहा है, जिसके परिणामस्वरूप समय पर मॉनसून में अच्छी बारिश हो सकती है।

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समय पर और भरपूर बारिश की उम्मीद

इस वर्ष आने वाले मानसून सीजन में ‘समय पर और भरपूर बारिश’ की उम्मीद बढ़ गई है। अल नीनो और जलवायु Monsoon परिवर्तन के चलते पड़ रही भीषण गर्मी से भी निजात मिलने की संभावना है। दो वैश्विक मौसम एजेंसियों की स्टडी के निचोड़ से भारतीय वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।

एजेंसियों के मुताबिक अलनीनो कमजोर पड़ना शुरू हो गया है। जून तक प्रभाव खत्म हो जाएगा। यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि 79% संभावना है कि अल नीनो जून तक कम जाएगा। जून-अगस्त में ला नीना विकसित होने की संभावना 55% है।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन कहते हैं कि जून-अगस्त में ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। इसका अर्थ यह है कि बीते साल से अच्छी बारिश होगी। हालांकि बसंत से पहले सटीक भविष्यवाणी करना मौसम मॉडल के लिए मुश्किल है।

वहीं, भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. डी एस पई कहते हैं कि अभी हम पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते। हालांकि सभी मॉडल अल नीनो के जाने का संकेत दे रहे हैं। ऐसा होता है तो बीते Monsoon सीजन से बेहतर बारिश होगी। वैसी गर्मी भी नहीं पड़ेगी, जिसकी आशंका है।

मानसून के दौरान अत्यधिक बारिश का अनुमान

Monsoon | भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू का कहना है कि पूर्वानुमान बता रहे हैं कि समय पर और भरपूर बारिश होगी। यदि जून के बाद भी उच्च तापमान बना रहता है तो तीव्र चक्रवात व एक जगह पर अत्यधिक बारिश के लिए तैयार रहना होगा।

बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून कृषि के लिए बेहद अहम है। इस दौरान सालाना बारिश की 70% बारिश होती है। कृषि की जीडीपी में हिस्सेदारी 14% है। 2023 में 820 मिमी बारिश हुई थी, जो औसतन 868.6 मिमी बारिश से कम थी।

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