सरसों की फसल में आ रही फुटाव की समस्या, फटाफट करें यह आसान उपाय, नहीं होगा नुकसान

सरसों (Mustard Crop) में क्यों होती है फुटाव की समस्या और इससे निपटने के लिए क्या करें उपाय? जानें…

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Mustard Crop | सर्दियों का मौसम चल रहा है। सुबह–शाम की सर्दी होने लगी है, लेकिन दोपहर में तेज धूप का सीधा असर सरसों की खेती पर दिखाई दे रहा है।

इन दिनों सर्दी के मौसम में अधिक तापमान सरसों की फसल को प्रभावित कर रहा है। यदि बात करें राजस्थान की तो यहां इस बार अधिक तापमान के कारण सरसों की खेती कम हुई है।

जहां पर बुवाई हुई है वहां पर अधिक तापमान का असर सरसों Mustard Crop के अंकुरण पर देखा जा रहा है। अधिक तापमान से सरसों के पौधों में बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है।

बताया जा रहा है कि इस बार यूपी, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी सरसों की बुवाई प्रभावित हुई है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार कुल क्षेत्रफल में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

अक्टूबर व नवंबर में तापमान अधिक होना रहा मुख्य कारण

राजस्थान में इस बार अक्टूबर और नवंबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा जो सरसों की फसल Mustard Crop के लिए अच्छा नहीं था। कई स्थानों पर जल्दी बोई गई फसलें अंकुरित नहीं हो पाईं। ऐसे में किसानों को दूसरी फसलें उगाने पर मजबूर होना पड़ा।

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में पिछले कुछ हफ्तों में प्रमुख सरसों उत्पादक जिलों में अधिकतम तापमान में सामान्य से 2 से 7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई। वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 21 नवंबर तक 30 लाख हैक्टेयर भूमि पर सरसों की बुवाई की गई है जो पिछले साल की तुलना में 7.2 प्रतिशत कम है।

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अधिक तापमान से सरसों पर क्या पड़ रहा है असर

सरसों की फसल Mustard Crop पर तापमान का असर सीधा दिखाई दे रहा है। तापमान की अधिकता से बोई गई सरसों की फसल में समस्याएं दिखाई दे रही हैं। अधिक तापमान से सरसों की फसल में अंकुरण नहीं हो पा रहा है या फिर अकुंरण होने के तुरंत बाद फसल मुरझा रही है।

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सरसों की फसल (Mustard Crop) को अधिक तापमान से कैसे बचाएं

जिन किसानों ने इस साल सरसों की देरी से बुवाई की है। उन किसानों को सरसों की फसल को बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नुकसान में कमी की जा सके।

सरसों को अधिक तापमान से बचाने के लिए खेती के जानकारों के अनुसार जो उपाय किए जा सकते हैं, उनमें से प्रमुख उपाय अपनाकर किसान अपनी सरसों की फसलों को संभावित नुकसान से बचा सकते हैं :- 

इस समय रात में तापमान कम और दिन में तापमान अधिक होने से सरसों में गलन की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए पेंटोनाइड सल्फर का डेढ से दो किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से खेत में भुकराव करना चाहिए। : Mustard Crop

सरसों के पौधों की जड़ में गलन की समस्या होने पर मेटालैक्सिल का आधा ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

यदि रोग शुरुआती अवस्था में है तो ऐसी स्थिति में कार्बेंडाजिम दवा का 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

इस बीमारी के साथ बैक्टीरिया संक्रमण की समस्या हो तो ऐसे में 15 लीटर पानी में 3 ग्राम स्टेप्टोसाइक्लीन और 30 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। : Mustard Crop

सरसों की फसल में तना सड़न रोग की समस्या हो तो इसके उपचार के लिए रोगग्रसित फसल अवशेषों को जलाकर गाड़ देना चाहिए, इससे बीमारी फैलने का खतरा कम होता है।

खेत को खरतपवार से मुक्त रखना चाहिए और फसल की आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचना चाहिए। इसके अलावा कार्बेन्डाजिम (बविस्टीन) दवा की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। : Mustard Crop

नोट : किसी भी दवा का इस्तेमाल करने से पहले किसान को अपने जिले के कृषि विभाग से सलाह अवश्य लेनी चाहिए, उसके बाद ही फसल पर दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।

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