नौतपा चल रहा है यह Nautapa for agriculture खेती किसानी के लिए किस प्रकार लाभदायक है, आईए जानते हैं..
Nautapa for agriculture | सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा की शुरुआत हो जाती है। यह 9 दिन तक रहता है, इसलिए इसे नौतपा कहते हैं। इस वर्ष नौतपा 25 मई से शुरू हो गया है और यह 2 जून को खत्म होगा। नौतपा के दौरान भीषण गर्मी पड़ती है, इस वर्ष भी ऐसा ही हो रहा है।
देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं दूसरी और नौतपा के संबंध में कहा जाता है कि यह खेती किसानी के लिए लाभदायक रहता है। इस Nautapa for agriculture विषय में कृषि वैज्ञानिक क्या कहते हैं एवं क्या है इसकी वैज्ञानिक धारणा आइए जानते हैं..
खेती किसानी के लिए नौतपा की गर्मी वरदान
Nautapa for agriculture नौतपा के समय लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। नौतपा की भीषण गर्मी से एक ओर जहां आम लोग परेशान हैं वहीं खेती के लिए नौतपा की प्रचंड ग्रमी वरदान साबित होती है। पिछले एक पखवाड़े से सूर्य अपना प्रचंड रूप दिखा रहा है, धरती आग उगल रही है इससे आम आदमी की पेशानी बढ़ गई है।
लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त है वहीं पशु-पक्षियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोग एसी, कूलर, पंखा लगाकर गर्मी से बचाव का प्रयास कर रहे हैं। दूसरी ओर नौतपा की गर्मी किसानों के लिए हितैषी है, क्योंकि इस दौरान किसान खेती की मिट्टी पलट कर खेत को उपज देने के लिए तैयार करते हैं।
नौतपा की गर्मी को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने यह कहा
Nautapa for agriculture कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो सूर्य जितना तपेगा, लू चलेगी, वर्षा काल उतना ही अच्छा होगा। नौतपा में जब भीषण गर्मी पड़ती है तो खेतों की जमीन रोगाणुओं से मुक्त हो जाती है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि नौतपा की गर्मी खेती किसानी के लिए कुदरत का दिया हुआ वरदान से कम नहीं है। नौतपा में यदि वर्षा हो जाए तो नौतपा खंडित हो जाते हैं।
बरसात कल के दौरान मघा नक्षत्र जिसमें सबसे ज्यादा वर्षा होती है। माना जाता है कि नौतपा में वर्षा होने के बाद मघा नक्षत्र कमजोर हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी किसान नौतपा से ही वर्षा और फसलों के उत्पादन का अनुमान लगा लेते हैं। वह पुरानी कहावतों और मान्यताओं पर आज भी पूरा विश्वास करते हैं। उनका कहना है कि नौतपा में हर दिन धरती तपने का अपना अलग महत्व है। पिछले तीन दिन से नौतपा में दिन का तापमान 43 से 46 डिग्री के बीच चल रहा है। Nautapa for agriculture
खरीफ फसलों की पैदावार पर पड़ता है असर
Nautapa for agriculture नौतपा के दौरान पढ़ने वाली भीषण गर्मी से फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों सहित अन्य कीटाणुओं के अंडे खत्म हो जाते हैं, क्योंकि यह समय उनके प्रजनन काल का होता है ऐसे में फसलों के रोगजनक कीड़े जमीन में ही खत्म हो जाते हैं और जमीन अधिक तपने से किसानों की फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है। वहीं यदि नौतपा के दौरान पानी गिर जाता है तो खेती को नुकसान देने वाले कीटाणुओं के अंडे खत्म नहीं हो पाए जिसके कारण खेती में नुकसान होता है। नौतपा में पानी गिरने को रोहिणी का गलना भी कहा जाता है।
नौतपा की भीषण गर्मी खेती के लिए बहुत फायदेमंद
Nautapa for agriculture नौतपा में जब भीषण गर्मी पड़ती है तो इस दौरान खेतों की गहरी जुताई करने से खेत बिना रासायनिक दवाओं के ही रोगजनक कीटाणु और खरपतवार से मुक्ति मिलती है। तेज गर्मी से फसलों के दुश्मन कीड़े, मकोड़े, गोजा-लट, कातरा, टिड्डी के अंडे और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। इस कारण यह नौतपा की गर्मी खेती किसानी के लिए बेहतर साबित होती है। नौतपा की प्रचंड गर्मी से भले ही जनजीवन अस्त-व्यस्त है लेकिन इस गर्मी का फसल चक्र को पूरा करने में अहम योगदान है।
नौतपा को लेकर यह कहावत प्रचलित
सूर्य रोहिणी नक्षत्र में वैसे तो 15 दिन के लिए रहता है, लेकिन शुरुआत के नौ दिनों को नौतपा कहा जाता है इसी दौरान भीषण गर्मी रहती है। मान्यताओं के अनुसार Nautapa for agriculture नौतपा के पहले दो दिन लू नहीं चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन नहीं चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट) बहुत हो जाएंगे।
तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू नहीं चली तो विश्वर यानि सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी लू नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी जो फसलें चौपट कर देंगी। यानि नौतपा में हर दिन लू चलने का अपना महत्व है। इसलिए नौपता में गर्मी पड़ना भी जरूरी है। Nautapa for agriculture
खरीफ की इन फसलों के लिए फायदेमंद नौतपा
Nautapa for agriculture किसानों का कहना है कि तपा 15 दिन के रहते हैं, लेकिन शुरूआती नौ दिन अधिक तपते हैं। उनके तपने की भी अलग-अलग मान्यताएं हैं। किसानों के कहना है कि पिछले कुछ सालों से नौतपा में वर्षा होने के कारण मानसून कमजोर रहा है। पिछले साल ही औसत वर्षा नहीं हुई थी। मिट्टी अधिक तपने से खरीफ फसलों खासकर बाजरा, ग्वार, मूंग-मोठ, तिल, मूंगफली सहित चौमासा की सभी फसलें अच्छी होती है।
यही कारण है कि भले यह नौतपा की गर्मी शहर वासियों के लिए मुसीबत का सबब है लेकिन खेती किसानी के लिए अच्छी कारगर साबित होती है। नौतपा को लेकर कहा जाता है कि “दो मूसा दो कातरा, दो तोड़ी, दो ताय दो की बादी जल हरे,दो विश्वर दो वाय।” नौतपा में जिस तरह की भीषण गर्मी पड़ने की संभावनाएं जताई जा रही थीं फिलहाल उन्हीं के अनुरूप तापमान चल रहा है। किसानों का कहना है कि यदि इसी तरह गर्मी पड़ती रही तो इस साल जमकर वर्षा होगी. Nautapa for agriculture ।
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