कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की बंपर उत्पादन देने वाली गेहूं की HD-3385 किस्म, विशेषताएं जानिए

New Wheat HD-3385 Variety: आईसीएआर ने हाल ही में गेहूं की नई किस्म HD-3385 विकसित की, देखे इसकी खासियत..

New Wheat HD-3385 Variety | किसानों की आय बड़ाने एवं उनका काम आसान बनाने के लिए कृषि वैज्ञानिक विभिन्न तरह के प्रयास कर रहे। इसी कड़ी में बदलते मौसम के मद्देनज़र कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में गेंहू की नई किस्म HD-3385 विकसित की है। जिसकी बुवाई से किसान गर्मियों में भी बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसकी अन्य खासियत जानने के लिए choupalsamachar.in के इस लेख को अंत तक पढ़े….

गेहूं की नई किस्म HD-3385 की जानकारी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-आईसीएआर ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है जो मौसम में बदलाव और बढ़ती गर्मी को चुनौती का सामना कर बंपर उत्पादन देगी। कृषि वैज्ञानिकों ने गेंहू की तैयार की है। यह गर्मी के प्रकोप से बची रह सकती है और इसकी फसल को मार्च खत्‍म होने से पहले काटा जा सकता है।

आईसीएआर के प्रधान वैज्ञानिक ने नई किस्म (New Wheat HD-3385 Variety) की खूबियों के बारे में बताते हुए यह जानकारी दी कि किसान इस किस्म के गेहूं की बुवाई करके अच्छी फसल कैसे प्राप्त कर सकते हैं। केंद्र ने तापमान में वृद्धि से उत्पन्न स्थिति और वर्तमान गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव की निगरानी के लिए हाल ही में एक समिति गठित करने की घोषणा थी।

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गेहूं की HD-3385 किस्म की उत्पादन क्षमता

आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने इस बार गेहूं की New Wheat HD-3385 Variety विकसित की है, जो अधिक गर्मी में भी आशाजनक उत्पादन देगी। इस किस्म का नाम है HD-3385। द इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो इस किस्म की पैदावार HD-3410 किस्म के समान है, जो कि बीते वर्ष 7.5 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई थी। नई किस्म की पौधे की ऊंचाई 95 सेमी है तथा इसके तने काफी मजबूत हैं।

गेहूं की HD-3385 किस्म की खासियत

गेंहू की यह HD-3385 किस्म कम से कम लॉजिंग-प्रोन है और जल्दी बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है। बता दें कि, 22 अक्टूबर को IARI के परीक्षण क्षेत्रों में इस बार बोई गई यह किस्म परागण अवस्था में पहुंच गई है, जबकि सामान्य समय में लगाए गए गेहूं के लिए बालियों का उभरना अभी शुरू होना बाकी है।

गर्मियों में भी मिलेगा बड़िया उत्पादन

(New Wheat HD-3385 Variety)

फरवरी महीने में मौसम में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसका कारण जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा है. फरवरी माह में ही गर्मी का आना आम जन से लेकर किसानों तक के लिए काफी नुकसान देह साबित हो रहा है।

बीते साल मार्च के तापमान में वृद्धि से किसानों की फसल उस समय झुलस गई थी जब अनाज स्टार्च और प्रोटीन जमा कर रहे थे।इस बार भी गेहूं की फसल खेतों में ही है, तो कहीं इस बार भी किसानों (New Wheat HD-3385 Variety) को नुकसान ना झेलना पड़े। लेकिन वहीं अब वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है। इस जलवायु परिवर्तन के दौर में भी किसान गेहूं का उच्छा उत्पादन पा सकेंगे।

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