कृषि वैज्ञानिकों ने कहा – धान की फसल में लग रहे किट रोगों से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान दें किसान..

धान की फसल के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है इस समय किन बातों का ध्यान रखना है आइए Paddy Cultivation Advice जानें..

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Paddy Cultivation Advice | देश में खरीफ सीजन के दौरान धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। धान की फसल के लिए वर्तमान समय पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय फूल एवं बाली निकल रहे हैं।

वर्तमान समय में धान की बालियां भी निकल रही है। इसलिए यह आवश्यक है कि इस दौरान फसल में लगने वाले कीट रोगों से फसल को बचाया जाए। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि इन कीट रोग की पहचान करते हुए इनसे होने वाली क्षति से बचाव हेतु निम्नलिखित सुझाव एवं संस्तुतियो पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

इस समय फसल के लिए क्या करना आवश्यक रहेगा आइए Paddy Cultivation Advice जानते हैं..

धान में रोग किट की पहचान कैसे करें

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि शीथ ब्लाइट रोग धान Paddy Cultivation Advice की पत्ती एवं शीथ पर 13 सेमी0 लम्बे अण्डकार हरे धूसर रंग के धब्बे दिखाई पडते है, जिसके किनारे कत्थई रंग के हो जाते है।

इस रोग के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा कार्यण्डाजिम 12 प्रति0 मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्लू.पी. 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।

कण्डुआ रोग की दशा में धान की बाली के दाने नीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते है, इनको हाथ से छूने पर पीले एवं काले अथवा हरे रंग के पाउडर जैसे रोग के स्पोर लग जाते है। Paddy Cultivation Advice

इस रोग के नियंत्रण हेतु कार्यण्डाजिम 50 प्रतिशत डबलू.पी. 500 ग्राम प्रति हेक्टर अथवा कॉपर हाइड्रॉक्साइड 77 प्रतिशत डबलू.पी. 2.0 कि०ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए।

जीवाणु पत्ती झुलसा रोग

इस रोग Paddy Cultivation Advice के लगने पर पत्तियाँ सिरे या किनारे से होकर मध्य भागतक सूखने लगती है। सूखे किनोर अनियमित व टेढ़े-मेढे या झुलसे हुए दिखायी देते है।

संक्रमण की गम्भीर अवस्था में पत्तियां सूख जाती है एवं बालियों में दाना नहीं बनता है। इसके उपचार हेतु स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट 90 फीसदी टैट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 की 15 ग्राम मात्रा को 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 फीसदी हढ के साथ मिलाकर 500-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति शुरू हे० की दर से छिड़काव करें।

भूरा फुदका कीट

Paddy Cultivation Advice इस कीट के प्रौढ भूरे रंग के पंखयुक्त तथा शिशु पंखहीन होते है। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ दोनो ही पत्तियो एवं कल्लो के मध्य रस चूस कर हानि पहुंचाते है।

इस के प्रकोप की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रति० एस० एल० की 250-350 मिली० / हे० मात्रा को 800-1000 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करें अथवा फिप्रोनिल 0.3 जी 20 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी ० स्थिर पानी में बुरकाव करें।

गन्धी बग कीट

इस कीट के शिशु एवं पौढ लम्बी टांगो वाले भूरे रंग के विशेष गंध वाले होते है। जो बालियो की दुग्धावस्था में दोनो में बन रहे को चूस कर क्षति पहुँचाते है। Paddy Cultivation Advice

इस कीट के प्रकोप की दशा में एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिο ई०सी० की 2.5 ली० मात्रा को प्रति हे० 800-1000 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करें अथवा मैलाथियान 5 प्रति धूल प्रति हेक्टेयर 20-25 किग्रा० सुबह के समय बुरकाव करें।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि किसानों की सुविधा के लिए शासकीय स्तर पर कृषि विभाग में दवाइयां उपलब्ध है, जिनका इस्तेमाल करके किस अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

किसान साथी इन बातों का भी ध्यान रखें

आगे से रोपाई से पूर्व बीज शोधन अवश्य करें अगेती फसल में यह रोग पिछेती फसल की तुलना में कम लगता है। फसल की कटाई के समय प्रभावित दानों के अलग कर नष्ट कर देना चाहिए पत्ती लपेटक इस कीट की सूडियाँ प्रारम्भ में पीले रंग की तथा बाद में हरे रंग की होती है, जो पत्तियो को लम्बाई में मोड़कर अन्दर से उसके हरे भाग को खुरच कर खा जाते है। Paddy Cultivation Advice

इस कीट के प्रकोप की दशा में क्यूनालफॉस 25 प्रतिशत ई०सी० 1.25 ली०/ हे० की दर से छिडकाव करें। तनो में घूस कर मुख्य शूट को क्षति पहुंचाती है जिससे बढ़वार की स्थिति में मृतगोभ दिखाई देता है।

इस कीट के प्रकोप की दशा में कार्बोफ्यूरॉन 3 प्रति० 20 किग्रा० अथवा कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रति。 की 25 किग्रा० मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी० पानी में बुरकाव करें तना वेधक इस कीट की मादा पत्तियों पर समूह में अण्डा देती है। Paddy Cultivation Advice 

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