सोयाबीन की फसल में अब पीला मोजेक का संक्रमण (Pila Mojak Attack) फैलने लगा है, बचाव के लिए क्या करना होगा जानिए..
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Pila Mojak Attack | सोयाबीन की फसल इस समय लगभग 65 से 75 दिन की हो गई है। फलियां में दाने आ चुके हैं। लेकिन इसी दौरान सोयाबीन की फसल पर अब पीला मोजेक वायरस का अटैक हुआ है।।
इस वायरस के संक्रमण के कारण सोयाबीन की फसल समय के पहले ही पीली पढ़कर सूखने की कगार पर दिखाई देने लगी है। इस संक्रमण का फैलाव ऐसा ही रहा तो सोयाबीन की फसल अगले 10 से 12 दिनों में सूख जाएगी।
जबकि सोयाबीन के पकने की सामान्य अवस्था 90 से 100 दिन के बीच है। पीला मोजेक वायरस के अटैक के कारण फलियां में सोयाबीन का दाना पर्याप्त जाकर नहीं ले पाएगा जिसके कारण पैदावार पर गहरा असर पड़ेगा।
पीला मोजेक वायरस Pila Mojak Attack क्या है एवं इस वायरस से बचाव के अब कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं आईए जानते हैं..
क्या है पीला मोजेक रोग
पीला मोजेक रोग (वायरस) एक प्रकार का वायरस है यह अधिकांशतः सोयाबीन की फसल में फैलता है। इस वायरस के संक्रमण के कारण अचानक फसल के पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं।
भारी बरसात के पश्चात अब अचानक से इंदौर उज्जैन भोपाल संभाग में यह रोग अधिक फेल रहा है। लगातार पानी गिरने की दशा में यह रोग अधिक फैलता है, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोग Pila Mojak Attack फैलने की शुरुआत फसल के निचले पत्तों से होती है
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पीला मोजेक रोग के लक्षण
पीला मोजेक रोग Pila Mojak Attack में सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं यह संक्रमण एक पौधे से दूसरे पौधे तक आसानी से फैलता है इससे पूरे खेत के खेत तबाह हो जाते हैं।
सफेद मक्खियां खुले खेतों और ग्रीन हाउस की कई फसलों में आम हैं। लार्वा और वयस्क पौधे के रस का सेवन करते हैं और पत्ती की सतह, तने और फलों पर मधुरस या हनीड्यू छोड़ते हैं।
सफेद मक्खी से सोयाबीन की पत्तियों पर पीले धब्बे व राख जैसी फफूंद प्रभावित ऊतकों पर बन जाती है। यह रोग फैलने से पत्तियां विकृत हो सकती हैं, घुमावदार हो सकती हैं या प्याले का आकार ले सकती हैं। यह काली, मोटी फफूँदी विकसित हो जाती है।
कैसे फैलता है पीला मोजेक रोग
पीला मोजेक रोग Pila Mojak Attack फैलाने के लिए प्रमुख रूप से सफेद मक्खी जिम्मेदार रहती है। वर्षा एवं जल जमाव की स्थिति के पश्चात मौसम खुलने पर हल्की सी गर्माहट से यह मक्खी तेजी से विकसित होती है।
सफेद मक्खी फसल के पत्तों पर लार्वा देती है, इससे भारी मात्रा में सफेद मक्खियां पनप जाती है। यह वायरस किसानों की मेहनत पर पानी फेर देता है, क्योंकि इसका संक्रमण तेज गति से फैलता है इससे किसान को सोयाबीन की फसल बचाने का मौका ही नहीं मिल पाता है।
पुरानी वैरायटियों पर अधिक असर
पीला मोजेक वायरस का संक्रमण Pila Mojak Attack सोयाबीन की पुरानी वैरायटियों में अधिक हो रहा है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं की सोयाबीन की पुरानी वैरायटियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है जिसके कारण इस संक्रमण का उन पर तेजी से असर हो रहा है। यही कारण है कि सोयाबीन की अर्ली वैरायटी 9560 एवं 2034 में पीला मोजेक Pila Mojak Attack रोग दिखाई देने लगा है।
पीला मोजेक रोग पर नियंत्रण कैसे करें
पीला मोजेक रोग Pila Mojak Attack फैलाने वाली सफेद मक्खी एक विनाशकारी कीट है, इसके एक बार फसल में लगने से यह पूरे खेत में फैल जाता है। यह बहुभोजी कीट पत्तियों का रस चूसते है।
जिससे की पत्तियां प्याले के आकार में मुड़ जाती है और पीली पड़ जाती है। यह कीट ही पीला मोजेक रोग को पूरे खेत में फैलाता है। इस रोग की रोकथाम जल्दी करनी चाहिए।
पीला मोजेक रोग पर नियंत्रण के रासायनिक उपाय
पीला मोजेक / सोयाबीन मोज़ेक रोग Pila Mojak Attack के लक्षण दिखने पर प्रारंभिक अवस्था में ही रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़ कर निष्कासित करें। इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी/एफिड की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड 25 % + बायफेंथ्रिन 25% WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें।
इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड ( 350 मिली/हे) का भी छिड़काव किया जा सकता हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषक अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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