एमपी के 8 लाख हेक्टेयर में होगी सिंचाई, 44 लाख लोगों को मिलेगा पेयजल, पीकेसी प्रोजेक्ट के बारे में सब कुछ जानिए..

पीकेसी प्रोजेक्ट (Pkc Link Project) से मध्य प्रदेश के किन-किन जिलों को लाभ मिलेगा आइए जानते हैं..

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Pkc Link Project | मध्य प्रदेश में जल संसाधन प्रबंधन की दिशा में बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

यह दोनों परियोजनाएं बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्रों के लिए जल संकट से राहत देने वाली साबित हो सकती हैं। खास बात यह है कि इन परियोजनाओं से एमपी की लाखों हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हो पाएगी। किसानों के जीवन स्तर में सुधार होगा, आप के संसाधन बढ़ेंगे।

इन परियोजनाओं से बुंदेलखंड की तस्वीर बदलेगी। मध्य प्रदेश के 11 जिलों को लाभ मिलेगा। सीएम ने कहा- इसके साथ ही पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना का काम शीघ्र शुरू होगा। Pkc Link Project

श्योपुर से आगर तक 11 जिलों का लाभ इसको मिलेगा। तीनों नदियों के जुड़ने से इन जिलों की तकदीर बदलने वाली है। इन योजनाओं से जुड़ी पूरी जानकारी आइए जानते हैं..

इन परियोजनाओं से यह बदलाव होगा

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मालवा और चंबल क्षेत्र के 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा।

इसके अलावा, 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर और वितरण-तंत्र प्रणाली का आधुनिकीकरण भी किया जाएगा, जिससे भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के 1205 ग्रामों में 3 लाख 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को उनकी मांग के अनुसार पानी उपलब्ध होगा। इस परियोजना का लाभ गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3217 गांवों को मिलेगा। Pkc Link Project

वरदान साबित होगी केन-बेतवा लिंक परियोजना

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत दौधन गांव में बांध का निर्माण किया जाएगा। केन नदी के जल को 221 किलोमीटर लंबी लिंक कैनाल के माध्यम से मार्ग में दोनों ओर सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी। अतिरिक्त जल को बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। Pkc Link Project

इस परियोजना से प्रदेश के 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, शिवपुरी, निवाड़ी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर जिलों के 2013 गांवों को लाभ मिलेगा। परियोजना से 44 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा भी मिलेगी। जल विद्युत उत्पादन के रूप में 103 मेगावाट और सोलर ऊर्जा के रूप में 27 मेगावाट का उत्पादन भी किया जाएगा।

हर खेत तक सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाया जाएगा

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय परियोजनाओं के साथ ही प्रदेश के भीतर भी नदियों को जोड़ने का काम किया जा रहा है। उज्जैन में कान्ह नदी को गंभीर नदी से जोड़ने के लिए 20 किलोमीटर लंबी डक्ट बनाई जा रही है। इसी तरह सीवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना भी प्रारंभ की जा रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य हर खेत तक सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना है। Pkc Link Project

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17 के बजाए मप्र में बनेंगे 21 बांध व बैराज

मप्र और राजस्थान की साझेदारी में आकार लेने वाली देश की दूसरी नदी पार्वती – कालीसिंध – चंबल नदी जोड़ो राष्ट्रीय

परियोजना (पीकेसी – ईआरसीपी) के तहत अब मप्र में 17 के बजाए 21 बांध व बैराज का निर्माण होगा। इनमें 17 बांध और 4 बैराज शामिल हैं। जबकि पिछले साल हुए एमओयू में कुल बांधों की संख्या 15 और बैराज की संख्या 2 थी। Pkc Link Project

यह अतिरिक्त 2 बांध और 2 बैराज पार्वती नदी पर सीहोर जिले में बनेंगे। इसके अलावा मप्र की चंबल नहर प्रणाली का 1800 करोड़ से आधुनिकीकरण भी पीकेसी राष्ट्रीय परियोजना के तहत ही किया जाएगा।

एमपी और राजस्थान में यह हुआ समझौता

संशोधित पीकेसी – ईआरसीपी परियोजना के ट्राई पार्ट एग्रीमेंट में मप्र के इन प्रस्तावों को जोड़ा गया है। राजस्थान कूनो नदी के पानी पर अपना दावा छोड़ देगा। इसके बदल में पार्वती बेसिन के पानी से मप्र राजस्थान को अतिरिक्त पानी देगा। चंबल बेसिन में उज्जैन, आगर मालवा और शाजापुर में 6 बांध बनने से राजस्थान को होने वाली पानी की कमी की भरपाई मन काली सिंध का पानी देकर करेगा। Pkc Link Project

5.98 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी

मप्र में बनने वाले 21 बांध बैराज में कुल जल भंडारण क्षमता 1908.83 एमसीएम (मिलीयन घन मीटर) तय की गई है। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। दोनों राज्य कुल पानी का कितना-कितना शेयर आपस में बाटेंगे। में लगभग 5.98 लाख हेक्टेयर में जमीन में सिंचाई हो सकेगी। Pkc Link Project

इसके अलावा पुरानी चंबल नहर प्रणाली के आधुनिकीकरण से भिंड मुरैना, श्योपुर के 3.36 लाख किसानों को फायदा होगा। इस नहर प्रणाली को अपग्रेड कर इससे शाखाओं को बढ़ाया जाएगा। नहरों को पक्का करने साथ ही पानी के पुख्ता हिसाब-किताब के लिए स्काड़ा सिस्टम भी लगाया जाएगा।

मप्र के जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट के मुताबिक कालीसिंध डायवर्सन सिस्टम को छोड़कर सभी बांध-बैराज की डीपीआर तैयार कर ली गई है। जिसकी कुल लागत 33 हजार 820 करोड़ से अधिक आकलित की गई है। Pkc Link Project

कालीसिंध डायवर्जन सिस्टम की डीपीआर नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी तैयार कर रहा है। इसकी लागत इसमें शामिल नहीं हैं। पूरी परियोजना की लागत की 90 फीसदी शेयर केंद्र सरकार और 10 फीसदी शेयर मप्र सरकार देगी।

वहीं भोपाल के नजदीक सीहोर के श्यामपुर और करैया में पार्वती नदी पर दो अलग अलग बैराज बनेगें। सीहोर के जैठला में ही पार्वती नदी पर एक माइक्रो सिंचाई परियोजना और पड़ोन में दो छोटे बांध बनाए जाएंगे। 45.3 हजार हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होगी। Pkc Link Project

इन परियोजनाओं पर शुरू हुआ काम

इन दोनों परियोजनाओं के लिए बीते 20 वर्षों से प्रयास जारी थे। अब 70 हजार करोड़ की इस परियोजना का काम भी शुरू हो चुका है। CM डॉ मोहन यादव ने कहा कि नदियों की जल का सही उपयोग कर ले इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। राज्य के अंदर की नदियों को जोड़ने के कार्य को अभियान के रूप में लिया है। Pkc Link Project

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5 वर्ष में पूरी होगी परियोजना

मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच हुए समझौते के अनुसार पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना में कुंभराज काम्प्लेक्स, सीएमआरएस काम्प्लेक्स, लखुंदर बैराज, रणजीत सागर परियोजना तथा ऊपरी चंबल कछार में सात सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण होगा। मध्य प्रदेश में इसके तहत गांधी सागर बांध की अपस्ट्रीम में चंबल, शिप्रा और गंभीर नदी पर प्रस्तावित छोटे बांधों का निर्माण किया जाएगा। Pkc Link Project

इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी और अपनी- अपनी सीमा में बनने वाले प्रोजेक्ट की लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत मप्र और राजस्थान देंगे। परियोजना पांच वर्ष के भीतर पूरी होगी। इसकी लागत लगभग 75 हजार करोड़ रुपये है। इसमें मप्र में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्माण कार्य करवाए जाएंगे।

एक नजर में पूरी योजना

योजना का नाम :– पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजना

योजना की टाइमलाइन :– 02 चरणों में होगा बांध निर्माण, मुख्यमंत्री जल्द करेंगे समीक्षा। Pkc Link Project

योजना की लागत :– 75 हजार करोड़ की रुपये की कुल लागत है एमपी को इसमें से 35 करोड़ रुपए मिलेंगे 40 करोड रुपए राजस्थान सरकार को मिलेंगे।

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