पोटाश उर्वरक (Potash Fertilizer) का फसलों के उत्पादन में योगदान। जानिए पोटाश का महत्व और इसे कब छिड़कना चाहिए।
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Potash Fertilizer | पौधा अपना भोजन पोषक तत्व के रूप में लेता है। फसल द्वारा ग्रहण किए गए पोषक तत्वों की क्षतिपूर्ति उर्वरक और खाद द्वारा ना होने पर भूमि में तत्व की विशेष कमी हो जाती है और पौधा मरने लगता है। इसलिए फसलों को इन तत्वों को देने की आवश्यकता होती है।
फसल के सभी क्षेत्रों की वृद्धि के लिए कम से कम 17 तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पानी और हवा से प्राप्त होते हैं। अन्य 14 तत्व भूमि, उर्वरक और खादों से मिलते हैं। विभिन्न फसलें एक उचित परन्तु भिन्न-भिन्न मात्रा में पोषक तत्वों (Potash Fertilizer) को ग्रहण करते हैं।
मिट्टी में किसी भी पोषक तत्व की कमी हो जाने से पौधों का सही विकास नहीं हो पाता। इसलिए खाद व उर्वरक का उपयोग इस प्रकार से सन्तुलित होना चाहिए ताकि फसल को पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। इस प्रकार का सुनियोजित उर्वरक इस्तेमाल, संतुलित उर्वरक प्रयोग कहलाता है।
पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व | Potash Fertilizer
पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए पोटाश आवश्यक है।
पोटाश फसलों को मौसम की प्रतिकूलता जैसे सूखा, ओला पाला, बीमारी तथा कीड़े-मकौड़े से बचाने में मदद करता है।
पोटाश जड़ों की समुचित वृद्धि करके फसलों को उखड़ने से बचाता है। पोटाश के प्रयोग से पौधों की कोशिका दीवारें मोटी होती हैं ओर तने को कोष्ठ की परतों में वृद्धि होती रहती है, जिसके फलस्वरूप फसल (Potash Fertilizer) की गिरने में रक्षा होती है।
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जिन फसलों को पोटाशियम की पूरी मात्रा मिलती है, उन्हें वांछित उपज देने के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है, इस प्रकार पोटाशियम के प्रयोग से फसल की जल उपयोग क्षमता बेहतर होती है।
पोटाश फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। : Potash Fertilizer
पौधों में पोटाशियम की कमी के लक्षण
पौधों की वृद्धि एवं विकास कमी हो जाना।
पत्तियों का रंग गहरा हो जाना।
पुरानी पत्तियों का नोकों या किनारे से पीला पड़ना, बाद में ऊतकों का मरना और पत्तियों का सूखना।
यदि फसल में एक बार तत्व विशेष की कमी के लक्षण दिखाई दे जाएं, तो आप समझ लीजिए कि फसल की क्षति हो चुकी है, जिसका पूरी तरह उपचार संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में पोटाश के प्रयोग से पूरा लाभ नहीं मिलेगा। : Potash Fertilizer
पौधों में पोटाश की छिपी हुई कमी की दशा में हम देखते हैं कि पोटाश के प्रयोग से स्वस्थ पौधे अपेक्षाकृत बहुत अधिक उपज देते हैं। इसलिए यदि फसल में पोटाश की कमी के लक्षण प्रकट होने तक इंतजार करेंगे, तब तक काफी देरी हो चुकी होगी और फसल की रक्षा आप नहीं कर सकेंगे।
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हरियाणा की मिट्टियों में पोटाश पर्याप्त मात्रा में है, परन्तु यह सच नहीं है। फसलो की अधिक उपज देने वाली किस्में और कृषि की नई और उन्नत तकनीक अपनाने से भूमि में पोटाश की कमी हो गई है। चूंकि पोटाश की पूर्ति इस अनुपात में नहीं हो पाई, जिस अनुपात में अधिक उत्पादन तथा पोटाश का निष्कासन हुआ है। इसलिए अब हरियाणा की मिट्टियों में पोटाश (Potash Fertilizer) का अभाव स्पष्ट होने लगा है।
पोटाश का प्रयोग नाइट्रोजन और फॉस्फोरसधारी उर्वरकों के साथ उचित मात्रा में किया जाना चाहिए। पोटाश पौधों के पोषण में नाइट्रोजन और फास्फोरस के प्रभाव को बढ़ा देता है। इस प्रकार पोटाश के प्रयोग से अधिकतम पैदावार, अधिक उत्पाद, गुणवत्ता और अधिकतम लाभ मिलता है। : Potash Fertilizer
आमतौर पर पोटाश पोटाशियम क्लोराइड के रूप में मिलता है। इसे खान से निकाल कर साफ किया जाता है और परिशुद्ध लवण उर्वरक के रूप में म्यूरेट ऑफ पोटाश के नाम से बाज़ार में उपलब्ध है। इसके अलावा पोटाशियम सल्फेट ओर सल्पोमैग से भी पोटाश की पूर्ति होती है। पोटाश खाद का प्रयोग रोपाई व बुवाई के समय करना चाहिए, परन्तु हल्की व बालू मिट्टी में पोटाश का निराई व गुड़ाई के समय प्रयोग किया जा सकता है। : Potash Fertilizer
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