जड़ों के खराब होने से बर्बाद हो सकती है पूरी फसल, जानें क्या है इसका कारण और प्रबंधन के उपाय

जड़ों के खराब (Root disease) होने के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय क्या है, जानें आर्टिकल में।

Root disease | फसल की बुवाई के बाद सर्वप्रथम कर्तव्य फसल सुरक्षा का होता है। यदि फसल में कोई तरह की बीमारी पनप रही है, तो उसकी जांच कर उचित प्रबंधन करना चाहिए। यदि उचित ध्यान नहीं दिया जाए तो पैदावार पर असर देखने को मिलता है। ऐसे में समय समय पर फसल को देखना जरूरी हो जाता है।

आपको बता दें की, फसल में अधिकतर बीमारियां जड़ों से शुरू होती है। पौधों में खराब विकास, पत्तियों का मुरझाना, पत्तियों का जल्दी गिरना, शाखा का मरना और पौधे को पूरी तरह नष्ट कर देना केवल पौधे के ऊपरी भाग में होने वाले रोगों के कारण ही नहीं, बल्कि जड़ों Root disease में होने वाले रोगों के कारण भी हो सकते हैं। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे जड़ सड़न बीमारी के होने के कारण और उसका प्रबंधन..

जड़ सड़न (Root disease) के लक्षण

Root disease : फसलों में जड़ों का सड़ना एक ऐसी बीमारी का लक्षण है जो एक पौधे से कई पौधों में फ़ैल जाती है। यह बीमारी फसलों की मिट्टी में ज्यादा पानी होने की वजह से होती है। फसलों में ज्यादा पानी की मिट्टी के होने की वजह से उनके द्वारा अवशोषित की जाने वाली ऑक्सीजन में अवरोध उत्पन्न होता है। जिसके प्रभाव से पूरा पौधा खराब होने लगता है। इसके ख़राब होने के लक्षण भी अन्य रोगों के भांति ही होते हैं, जैसे खराब विकास, पत्तियों का मुरझाना, पत्तियों का जल्दी गिरना,शाखा का मरना और पौधे को पूरी तरह नष्ट कर देना।

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जड़ सड़न के कारण

जड़ सड़न के दो कारण हैं, लेकिन मुख्य कारण खराब जल निकासी या अधिक पानी वाली मिट्टी है। ये गीली स्थितियां जड़ों को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन Root disease को अवशोषित करने से रोकती हैं। जैसे-जैसे ऑक्सीजन की कमी वाली जड़ें मरती हैं और सड़ती हैं, उनकी सड़ांध स्वस्थ जड़ों तक फैल जाती हैं, भले ही गीली स्थितियों से वह जड़ें पूरी तरह से स्वास्थ हों।

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कवक करते है जड़ों को ख़राब

कमजोर जड़ें Root disease मिट्टी में कवक के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जो जड़ के सड़ने का एक अन्य कारण भी है। ये कवक मिट्टी में पहले से ही निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं; जब मिट्टी जलमग्न हो जाती है, तो यह जीवित हो जाते हैं और जड़ों को खराब करना शुरू कर देते हैं, अब वे जड़ें सड़ कर नष्ट होना शुरू हो जाती हैं।

कवक की कुछ किस्में जो जड़ों को खराब करती हैं उनमें प्रमुख पाइथियम, फाइटोफ्थोरा, राइजोक्टोनिया और फ्यूसेरियम हैं। इसके अलावा एक और खतरनाक कवक आर्मिलारिया है, जिसे शूस्ट्रिंग रूट के रूप में भी जाना जाता है, जो दृढ़ लकड़ी और शंकुधारी पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है।

जड़ सड़न की पहचान कैसे करें?

जड़ के सड़ने के कई लक्षण Root disease किसी कीट के संक्रमण के लक्षण दर्शाते हैं, जिससे इसका उचित निदान करना अधिक कठिन हो जाता है। जड़ सड़न के लक्षणों को जमीन के ऊपर पहचानना स्पष्ट रूप से आसान होता है। जड़ सड़न के कारण बिना किसी स्पष्ट कारण के धीरे-धीरे या वृद्धि में गिरावट, रुका हुआ या ख़राब विकास, पौधे के छोटे, पीले पत्ते, मुरझाई हुई, पीली या भूरी पत्तियां, शाखा का मरना, छत्र का पतला होना इत्यादि है।

जड़ सड़न की रोकथाम एवं नियंत्रण

जड़ सड़न Root disease की रोकथाम के निम्न उपाय अपना सकते है। जैसे की –

  • रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में ही पौधे लगाएं
  • अधिक पानी देने से बचे।
  • पानी को पेड़ के तनों पर जमा होने के प्रबंध करें।
  • मध्यम रूप से प्रभावित पौधों की संक्रमित जड़ों को काटकर अन्य पौधों को बचाया जा सकता है।
  • ज्यादा संक्रमित पेड़ को हटा देना चाहिए।
  • जिन भी उपकरणों के साथ आप काम करते हैं उन्हें दोबारा उपयोग करने से पहले साफ़ करने के बाद ही प्रयोग करें।
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