धान, सोयाबीन, मूंग, ग्वार, मूंगफली एवं बाजरा सहित अन्य खरीफ फसलों में बीज उपचार (Seed Treatment) के लिए कौन सी दवाई का उपयोग करें? जानें.
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Seed Treatment | खरीफ के मौसम में बोई जाने वाली फसलों में धान, बाजरा, मक्का, ग्वार, मूंग, उड़द, लोबिया, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, तिल एवं अरण्ड सम्मिलित हैं। फसलों में अधिक पैदावार लेने के लिए उन्नत किस्म के बीजों के साथ-साथ बीज का स्वस्थ होना भी अत्यंत आवश्यक है। इनमें से कुछ फसलों में कुछ ऐसी बीमारियां आती हैं जो रोगग्रस्त बीजों द्वारा फसलों में फैलती हैं और काफी नुकसान पहुंचाती हैं।
इसके इलावा फसल की गुणवता पर भी इन बीमारियों का विपरीत असर पड़ता है। अतः अच्छी पैदावार हेतु अच्छी किस्मों के साथ-साथ रोग-रहित बीज का प्रयोग अति आवश्यक है।
बीज का उपचार / Seed Treatment करने में बिल्कुल ही कम लागत आती है। अधिक से अधिक 50-70 रुपये में एक एकड़ बिजाई के लिए प्रयोग किये जाने वाले बीज का उपचार किया जा सकता है। आइए आपको बताते है धान, सोयाबीन, मूंग, ग्वार, मूंगफली एवं बाजरा सहित अन्य खरीफ फसलों में बीज उपचार (Seed Treatment) के लिए कौन सी दवाई का उपयोग करें…
बीजों के लिए क्यों जरूरी है बीज उपचार?
- मिट्टी की संरचना को अंधाधुंध रसायनों के प्रकोप से बचाने के लिए बीज उपचार (Seed Treatment) जरूरी है।
- बीज व भूमि जनित बीमारियों तथा दीमक के रोकथाम के लिए बीज उपचार जरूरी है।
- थोड़ी मात्रा में दवाई का प्रयोग करके अंधाधुंध रसायनों के इस्तेमाल को कम करने के लिए।
- कुछ भयंकर बीमारियां ऐसी हैं, जो केवल बीज उपचार के द्वारा ही रोकी जा सकती हैं, जिनका बाद में कोई ईलाज नहीं जैसे- धान में पौध गलन, आभासी कंडुआ, जड़-गलन, जीवाणु पत्ता अंगमारी, पदगलन व बकानी, जीवाणु पत्ता रेखा इत्यादि तथा कपास में पौध रोग, झुलसा रोग एवं जड – गलन आदि।
- बढ़ती हुई महंगाई के दौर में थोडे खर्च में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बीज उपचार (Seed Treatment) करना जरूरी।
- फसलों में दीमक, सफेद लट तथा बीमारियां पौधों को बिजाई के तुरन्त बाद से ही हानि पहुंचाने लगते हैं। जिसके कारण पैदावार में भारी कमी आ जाती है। उपचारित बीज बोने से यह प्रकोप कम किया जा सकता है। अतः फसल की शुरू की अवस्था में कीड़ों व बीमारियों से बचाव के लिए बीज का उपचार (Seed Treatment) करना जरूरी है।
खरीफ फसलों में बीज उपचार की विधियां
धान के लिए बीजोपचार :- सबसे पहले स्वस्थ बीज का चुनाव करें। इसके लिए 10 लीटर पानी में एक किलोग्राम साधारण नमक घोलकर अच्छी तरह हिला कर मिलाएं। उसके बाद 2-3 किलोग्राम बीज बारी- बारी से इस नमक वाले पानी में डालें और हिलायें। ऊपर तैरते अस्वस्थ बीज व हल्के बीज को अलग करके नष्ट कर दें। इसी तरह सारा बीज नमक के घोल में से निकालें।
उसके बाद नीचे बैठे भारी बीज को चलते या बहते पानी से 2-3 बार धोएं ताकि बीजों पर नमक का असर ना रह पाए क्योंकि बीजों पर नमक रहने से अंकुरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उसके बाद 10 लीटर पानी में 10 ग्राम ऐमिसान या 10 ग्राम कार्बेन्डाजिम, बाविस्टीन व 2.5 ग्राम पौसामाईसिन या 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन घोल लें और इस घोल में 10-12 किलो बीज 24 घंटे तक भिगोकर बीज को उपचारित (Seed Treatment) करें। बीज को छाया में सुखाकर बिजाई करें।
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बाजरा के लिए बीजोपचार :- 10 प्रतिशत नमक के घोल में बीज को डालकर 10 मिनट तक चलाएं और ऊपर तैरते हुए अरगट पिंडों को निकाल दें और बाद में जलाकर नष्ट कर दें। घोल में नीचे बैठे भारी स्वस्थ बीज को बाहर निकाल लें और साफ पानी से अच्छी तरह धो लें जिससे कि बीज की सतह पर नमक का कोई अंश न रहने पाये।
यदि नमक का कोई अंश बीज की सतह पर किसी कारणवश रह जाता है तो उससे बीज Seed Treatment के अंकुरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अंत में घुले हुए सारे बीज को छाया मे सुखा लें। ऐसे बीज को बोने से पहले 2 ग्राम एमीसान तथा 4 ग्राम थाईरम प्रति किलोग्राम बीज से सुखा उपचार करें। बीज की सिफारिश की गई मात्रा (1.5-2 किलोग्राम प्रति एकड़) प्रयोग करें।
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मक्का के लिए बीजोपचार :- देसी मक्का के लिए 6 कि.ग्रा. व साठी मक्का के लिए 8 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। भूमि एवं बीज से लगने वाली बीमारियों से बचाव के लिए 4 ग्राम थाईरम प्रति किलो बीज से सूखा उपचारित करें। : Seed Treatment
तिल के लिए बीजोपचार :- दो किलोग्राम बीज प्रति एकड़ को 6 ग्राम थाईरम मिला कर सूखा उपचार करें।
मूंगफली के लिए बीजोपचार :- इस फसल में दीमक व सफेद लट की समस्या की रोकथाम के लिए 15 मि.ली. क्लोरोपायरीफास 20 ईसी या क्विनलफास 25 ईसी से प्रति किलोग्राम बीज का उपचार करें। उसके बाद 3 ग्राम थाईरम या एमिसान या कैप्टान से प्रति किलोग्राम बीज का सूखा उपचार करें। विभिन्न किस्मों के अनुसार 32-60 किलोग्राम बीज का प्रति एकड़ प्रयोग करें। : Seed Treatment
सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर एवं लोबिया के लिए बीजोपचार :- इन फसलों के लिए रिजोबियम फल्चर के अलग अलग टिके तैयार किए गए है। ये टिके चौ. च. सिंह हरियाणा विश्वविद्यालय, हिसार के किसान सेवा केंद्र व सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग से प्राप्त किए जा सकते है। टिके का एक पैकेट एक एकड़ बीज के लिए पर्याप्त है।
एक खाली बाल्टी में 2 कप 200 मिली पानी में 50 ग्राम गुड़ घोलिये। एक एकड़ के इस बीज पर गुड़ का घोल डालें और ऊपर से राईजोबियम का टीका छिड़कें। बीजों को हाथ से अच्छी तरह मिला लें तथा बिजाई से पहले बीज को छाया में सुखा लें। अब ये टीके तरल अवस्था में भी उपलब्ध हैं । उनको भी बीज पर छिड़क कर हाथ से अच्छी तरह मिलाकर बिजाई करें। जड़ गलन की रोकथाम के लिए 4 ग्राम थाईरम द्वारा प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। : Seed Treatment
ग्वार के लिए बीजोपचार :- बीज उपचार हेतु 6 लीटर पानी में 6 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन घोल लें और इस घोल में 5-6 किलोग्राम ग्वार बीज आधा घण्टा तक भिगोयें तथा बीज को इस घोल से निकाल कर छाया में सुखा लें। इसके बाद बीज को राइजोटीका व फास्फोटीका कल्चर से एक एकड़ बीज के लिए प्रति पैकेट के हिसाब से कल्चर के साथ दी गई विधि अनुसार उपचारित करके छाया में सुखाकर बिजाई करें।
अरण्ड के लिए बीजोपचार :- बीज जनित रोगों से बचाव के लिए थिरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचार / Seed Treatment करना लाभदायक है।
बीजोपचार करते समय यह सावधानियां बरते
- बीज का उपचार करते समय सबसे पहले बीज को कीटनाशक से उपचारित करें। उसके बाद फफूंदीनाशक से उपचारित करें और अंत में जीवाणु खाद लगाकर छाया में सुखाएं व बिजाई कर दें।
- उपचार करते समय दवाई व पानी की बताई गई मात्रा का ही प्रयोग करें।
- दवा डालने के बाद बीज को अच्छी तरह हिलाएं या मिलाएं ताकि दवा सभी दानों पर समान रूप से लग सके। : Seed Treatment
- हो सके तो बीज मिलाने के लिए उपचार करने वाले ड्रम का ही प्रयोग करें और यदि उपचार करने वाले ड्रम का प्रयोग संभव न हो तो छड़ या दस्ताने पहनकर ही हाथों से बीज को मिलाएं।
- बीज का उपचार बताये गये तरीकों व समयानुसार ही करें ताकि बीज का उपचार सही हो सके और बीज का भंडारण न करना पड़े तथा तुरंत बिजाई हो सके।
- बीज स्वस्थ व रोग रहित खेत से ही लें या हो सके तो प्रमाणित बीज ही खरीदें। : Seed Treatment
// डिसक्लेमर // यहां दी गई बीजोपचार की दवाई की जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी गई है। किसान साथी दवाई का चयन एवं उपयोग अपने अपने विवेक के अनुसार, नजदीकी एफपीओ या कृषि विभाग से अवश्य सलाह ले लेवे। किसी भी अप्रिय स्थिति में चौपाल समाचार इसका उत्तरदाई नहीं रहेगा।
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