किसानों के विरोध का हुआ असर। बढ़ने लगे सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate), आगे क्या स्थिति रहेगी विशेषज्ञों से जानिए..
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Soyabean Rate | सोयाबीन की खेती करने वाले किसान पिछले कई वर्षों से लगातार घाटा उठा रहे थे। लेकिन किसानों के सब्र का बांध इस वर्ष टूट गया और किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन का असर यह हुआ कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी के लिए तत्काल राजी हो गई।
वहीं केंद्र सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर आयात ड्यूटी बढ़ाने का फैसला किया यह केंद्र सरकार का यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
सरकार के इस फैसले का असर सोयाबीन के मंडी भाव एवं प्लांट भाव पर देखने को मिल रहा है पिछले दो दिनों के दौरान लगातार सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) में तेजी आई। आने वाले सीजन के दौरान सोयाबीन के भाव क्या रहने की संभावना है आईए जानते हैं..
5000 के करीब पहुंचे सोयाबीन भाव
केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी करने एवं खाद्य तेलों पर जैसे ही आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया, वैसे ही सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) में तेजी आना शुरू हो गई।
शनिवार 14 सितंबर को सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) 5000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गए, जबकि अगस्त माह की शुरुआत के दौरान सोयाबीन के भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल थे।
प्रदेश की प्रमुख कृषि उपज मंडी उज्जैन में शनिवार सुबह को सोयाबीन प्लांट की बिल्टी 4975 रुपए प्रति क्विंटल रही। हालांकि दोपहर पश्चात इसमें हल्की गिरावट दर्ज हुई दोपहर बाद 75 रुपए की गिरावट रही। शनिवार को उज्जैन मंडी में 4900 प्रति क्विंटल के बिल्टी भाव पर सोयाबीन के सौदे हुए।
सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) मंडी में 4800 रुपए के हो गए। मंडी नीलाम बंद होने के बाद प्रायवेट में सौदे अधिक हो गए। सरकार द्वारा 4892 रुपए समर्थन दाम की घोषणा के बाद मंडी में सोयाबीन महंगा हो गया। हालांकि अभी भी नमी युक्त नई सोयाबीन के भाव कम है, किंतु एक बात स्पष्ट है कि आगामी समय में सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) में ओर अधिक उछाल देखने को मिलेगी।
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खाद्य तेल आयात फ्री होने से भाव में आई थी गिरावट
सोयाबीन के भाव में गिरावट की वजह देश में सोयाबीन व अन्य खाद्य तेलों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। देश में सोयाबीन तेल का भरपूर स्टॉक है, वहीं विदेशों में सोयाबीन का भाव (Soyabean Rate) कम होने के कारण स्थानीय बाजार में सोयाबीन का भाव नहीं बढ़ पा रहा है। डीओसी की कमजोर बिक्री, विदेश से भारी मात्रा में तेल का आना, इससे लोकल में सोयाबीन सालभर से भाव में पिटती रही।
इसके अलावा सोयाबीन के भाव विदेशी बाजार पर निर्भर हैं। विदेश में सोयाबीन के भाव में उतार-चढ़ाव होने पर देश में सोयाबीन के भाव घटते बढ़ते हैं। विदेश में सोयाबीन के भाव कम होने एवं तेल का पर्याप्त विस्तार होने के कारण भारतीय बाजारों में सोयाबीन के भाव नहीं बढ़ पा रहे हैं।
देश में सोयाबीन के भाव (Soyabean Rate) इसलिए नहीं बढ़ पा रहे थे, क्योंकि सरकार ने सोया तेल एवं सोया उत्पादों को आयात फ्री कर रखा था। वहीं सोयाबीन के वायदा कारोबार भी प्रतिबंधित है। जिसके कारण भारतीय किसानों को सोयाबीन का पर्याप्त भाव (Soyabean Rate) नहीं मिल पा रहा था। लेकिन अब सरकारी निर्णय के पश्चात फिर से सोयाबीन के भाव में तेजी आएगी।
खाद्य तेलों पर टैक्स लगाने से होगी भाव में वृद्धि
मध्य प्रदेश में पिछले लंबे समय से किसान सोयाबीन के भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल करने को लेकर आंदोलन कर रहे थे। नीमच, मंदसौर, हरदा, इंदौर, उज्जैन, देवास सहित कई स्थानों पर जोरदार तरीके से किसानों ने सोयाबीन के भाव बढ़ाने को लेकर सड़कों पर उतरकर अपनी मांगे रखी। इसी का नतीजा रहा की केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 0% से बढ़ाकर 20% कर दिया है। अन्य उपकरणों को जोड़ने पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5% हो जाएगा।
आयात शुल्क बढ़ाने से सोयाबीन के फसल की कीमतों (Soyabean Rate) में वृद्धि होगी और खाद्य तेल निर्माता भी घरेलू किसानों से फसल खरीदने के लिए प्रेरित होंगे। जिससे किसान भाइयों-बहनों को उनकी फसल के ठीक दाम मिल सकेंगे।
केंद्र सरकार के इस निर्णय से सोया खली का उत्पादन बढ़ेगा, और उसका निर्यात हो सकेगा। साथ ही सोया से जुड़े अन्य सेक्टर्स को भी लाभ मिलेगा।
सोयाबीन के भाव की आगे क्या संभावनाएं
भारत खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है सबसे अधिक खाद्य तेल भारत आयात करता है खाद्य तेलों के आयात पर अभी तक कोई भी ट्रैक नहीं लिया जा रहा था यह टैक्स फ्री था टैक्स फ्री होने की दशा में स्थानीय स्तर पर तिलानी फसलों के दाम कम बने हुए थे।
अब जबकि टैक्स की राशि जीरो से बढ़कर 27.5% तक हो गई है ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों का कहना है कि भाव में भी तेजी देखने को मिलेगी।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सोयाबीन सहित अन्य तिलानी फसलों के दाम में लगभग 500 से 800 प्रति क्विंटल के बढ़ोतरी हो सकती है।
एक उदाहरण के रूप में टैक्स लगाए जाने के पहले ब्राजील से सोयाबीन का आयात 4400 से 4800 डॉलर प्रति टन अर्थात 3690 से 4,026 रुपए प्रति क्विंटल के मान हो रहा था। इसमें अगर ट्रांसपोर्ट खर्च जोड़ा जाए तो यह भाव भी 4500 रुपए प्रति क्विंटल से कम आ रहे थे।
लेकिन अब खाद्य तेलों पर 27.5% का टैक्स लगाए जाने से यह बढ़कर 5500 से 6000 डॉलर प्रति टन अर्थात 5033 रुपए प्रति क्विंटल होने की संभावना है। वहीं इसमें ट्रांसपोर्ट खर्च अतिरिक्त रहने से यह (Soyabean Rate) भाव 5500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में व्यापारी स्थानीय कृषकों से ही सोयाबीन की खरीदी करेगा।
सोया प्लांटों में सोयाबीन खरीदी के भाव में तेजी
सांवरिया इटारसी 4960 सोनिका बायोकेम, मंडीदीप 4900 सूर्या फूड मंदसौर 4910 वर्धमान साल्वेंट अंबिका कालापीपल 4850 अंबिका जावरा 4900 अवी एग्रो उज्जैन 4800 बंसल मंडीदीप 4800 बैतूल सतना 4975 धानुका नीमच 4950 धीरेंद्र सोया 4960 दिव्य ज्योति 4850 रुपए
हरिओम रिफानरी मंदसौर 4940 आइडिया लक्ष्मी देवास 4800 खंडवा ऑयल 4800 मित्तल 48925 एमएस साल्वेक्स नीमच 4900 नीमच प्रोटीन 4925 पतंजलि फूड 4850 प्रेस्टीज 4850 रामा फास्फेट, धरमपुर 4850 राम जानकी एग्री ट्रेड, देवास 4800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव रहे। (Soyabean Rate)
एमपी के किसानों को मिलेगा फायदा
भारत सरकार के जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश 5.47 मिलियन टन सोयाबीन उत्पादन के साथ पहले नंबर पर आ गया है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 41.92 प्रतिशत है। सोयाबीन का भाव बढ़ने से एमपी के कृषकों को अच्छा फायदा होगा। (Soyabean Rate)
गौरतलब है कि सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है।
मध्य प्रदेश के पश्चात महाराष्ट्र 5.23 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर है। देश के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 40.01 प्रतिशत है, जबकि राजस्थान 1.17 मिलियन टन उत्पादन के साथ तीसरे नंबर पर है और देश के कुल सोया उत्पादन में राजस्थान का योगदान 8.96% है।
पिछले दो सालों में मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में कमी आने से मध्य प्रदेश पिछड़ गया था। वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर था और देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 42.12% का योगदान था और जबकि मध्य प्रदेश 5.39 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर था। (Soyabean Rate)
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