युवा किसान ने सोयाबीन की फसल को गर्मी में उगाया, प्रति एकड़ मिला 12 क्विंटल उत्पादन, मिला डबल मुनाफा

Soybean cultivation in summer: किसान ने पहली बार सोयाबीन का किया उत्पादन, 17 हजार की लागत और मुनाफा 33 हजार तक, जानें उनकी कहानी उन्ही की जुबानी..

Soybean cultivation in summer | सोयाबीन की खेती मुख्यतः बारिश के मौसम में की जाती है क्योंकि सोयाबीन की फसल में पानी की अधिक आवश्यकता रहती है। लेकिन एमपी के रहने वाले एक किसान ने सोयाबीन की फसल को प्रयोग के तौर पर गर्मी में उगाया। यही नहीं उन्हे गर्मी में खेती करने से बारिश की तुलना में अच्छा रिजल्ट देखने को भी मिला। सागर जिले के रहने इस किसान Soybean cultivation in summer ने गर्मी में सोयाबीन की अच्छी खासी पैदावार करके आसपास के सभी किसानों को हैरान कर दिया है।

इस किस्म को प्रयोग के तौर पर अपनाया – Soybean cultivation in summer 

किसान ने यह प्रयोग सोयाबीन की नई किस्म JS-2218 पर किया है। यह वैरायटी हाल ही में 2023 में लांच की गई है। सोयाबीन की इस किस्म की अच्छी खासी पैदावार हुई है। इसमें एक एकड़ खेत में 17 हजार रुपए की लागत से 33 हजार रुपए का मुनाफा कमाया है।

सागर जिले में देवरी ब्लाॅक के सोनपुर गांव के युवा किसान खुमान सिंह लोधी ने बताया- मैं वर्षों से आधुनिक तरीके से खेती करता रहा हूं। खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में लगातार नए-नए प्रयोग करता रहता हूं। वैसे में मुझे एक एकड़ में 17 हजार की लागत पर 33 हजार रुपए का मुनाफा Soybean cultivation in summer मिला है, लेकिन इस मुनाफे से अधिक महत्वपूर्ण नए प्रयोग का सफल होना है।

प्रति एकड़ 11-12 क्विंटल का उत्पादन हुआ

साथ ही उन्होंने बताया की, सागर जिले में पहली बार गर्मी के मौसम में सोयाबीन की नई किस्म जेएस-2218 Soybean cultivation in summer खेत में बोई थी। इसका उत्पादन उन्हें सोयाबीन की अन्य वैरायटियों की अपेक्षा ज्यादा मिला है। 4 एकड़ में सोयाबीन लगाया था, जिसमें से प्रति एकड़ 11-12 क्विंटल का उत्पादन हुआ है। बारिश में सोयाबीन का प्रति एकड़ 7-8 क्विंटल उत्पादन होता है। मेरे पिता किसान हैं।

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जानें उनकी कहानी, उन्ही की जुबानी…

मैंने भी बीटेक एग्रीकल्चर की पढ़ाई की। बचपन से ही घर में खेती होते देखता आया हूं। परिवार के लोग पारंपरिक खेती करते थे। बारिश में सोयाबीन Soybean cultivation in summer और सर्दियों के मौसम में गेहूं, चना की बुआई करते हैं। मुझे शुरू से ही खेती करना अच्छा लगता था, इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी न करके खेती करने का निर्णय लिया। निजी कंपनियों से जॉब के ऑफर आए, लेकिन मैं गया नहीं।

घर पर रहकर खेती करने की तैयारी की। जबलपुर कृषि महाविद्यालय से फसलों की वैरायटी देखी और उनकी जानकारी ली। इसके बाद घर लौटा और खेती शुरू की। मेरे खेत में पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। पानी होने के कारण मैंने गर्मी में सोयाबीन की फसल लगाने का निर्णय लिया। सोयाबीन की फसल में पानी की आवश्यकता अधिक होती है।

बुआई करने के लिए नई किस्म जेएस-2218 का बीज जबलपुर से लेकर आए। बोवनी Soybean cultivation in summer करने के 90 से 92 दिन बाद फसल पककर तैयार हुई। गर्मी के मौसम में यदि अन्य किसान सोयाबीन की फसल लगाना चाहते हैं तो पहले पानी की व्यवस्था कर लें। पर्याप्त पानी होने पर ही सोयाबीन की खेती करें, क्योंकि फसल को 8 से 10 बार पानी देना होता है, तब जाकर यह तैयार होती है।

गर्मी के मौसम में फसल में इल्ली लगने का खतरा

खुमान सिंह लोधी ने बताया कि गर्मी के मौसम में सोयाबीन की फसल में इल्ली लगने का खतरा बढ़ जाता है। इल्ली लगती है, तो समय से इल्ली मार दवा का उपयोग करें। इसके अलावा पर्याप्त पानी देते रहें। समय पर कीटनाशक फसल Soybean cultivation in summer को दिया जाए तो इल्ली लगने का खतरा कम हो जाता है। गर्मी में फसल के बीच खरपतवार होने की समस्या नहीं आती है, जबकि बारिश के मौसम में सोयाबीन की फसल में सबसे ज्यादा खरपतवार होता है।

ड्रोन से किया कीटनाशक का छिड़काव

गर्मी के मौसम में लगाई सोयाबीन की फसल में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। खुमान सिंह ने बताया कि 4 एकड़ में लगी सोयाबीन की फसल देखने के लिए कृषि विभाग के वैज्ञानिक आए। उन्होंने फसल में ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी।

इसके बाद ट्रायल के रूप में फसल Soybean cultivation in summer में ड्रोन से दवाइयों का छिड़काव कराया गया, जो सफल रहा। ड्रोन से कम समय में ज्यादा जगह में छिड़काव किया जा सका। इसके अलावा सभी पौधों में आसानी से कीटनाशक पहुंचा। इससे फसल में कोई रोग नहीं लगा और फसल की पैदावार अच्छी रही।

गर्मी में सोयाबीन लगाना फायदेमंद…

किसान खुमान लोधी ने बताया कि सोयाबीन की फसल बारिश की फसल है, जो परंपरागत तरीके से वर्षों से होती आ रही है, लेकिन बारिश के मौसम में सोयाबीन फसल लगाने पर किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बोवनी Soybean cultivation in summer करने का समय हो और बारिश हो जाए तो बोनी लेट हो जाती है।

इसके बाद बारिश के कारण समय पर फसल में कई बार कीटनाशक का छिड़काव नहीं हो पाता है। लगातार बारिश होने से खेत में जल-जमाव की स्थिति बनती है। इससे फसल नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। खरपतवार की समस्या भी बढ़ जाती है। इसके बाद फसल पककर तैयार हुई और बारिश हो गई तो फसल खराब होने की आशंका बनी रहती है।

पिछले कुछ वर्षों से बारिश के मौसम में सोयाबीन की पैदावार ठीक नहीं हो रही है, लेकिन गर्मी के मौसम में सोयाबीन की फसल लगाने के कई फायदे हैं। गर्मी में फसल Soybean cultivation in summer लगाने पर किसान समय से फसल की जरूरत के हिसाब से पानी दे सकता है। खरपतवार की समस्या नहीं होती है। इसके अलावा तय समय पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।

वहीं फसल पककर तैयार होने पर आसानी से कटाई करा सकते हैं। गर्मी के मौसम में सिर्फ इल्ली लगने का खतरा रहता है। नुकसान की आशंका बहुत कम होती है। गर्मी के मौसम में सोयाबीन की फसल लगाने से पहले किसान को पानी की पर्याप्त व्यवस्था कर लेना चाहिए, क्योंकि इस फसल में पानी ज्यादा लगता है। पानी नहीं होने पर किसान गर्मी के मौसम में सोयाबीन की फसल न लगाएं।

बोवनी से पहले मिट्‌टी का परीक्षण जरूरी

Soybean cultivation in summer सोयाबीन की खेती करने से पहले संतुलित उर्वरक प्रबंधन व मृदा स्वास्थ्य के लिए मिट्टी का परीक्षण कराना जरूरी है। मिट्‌टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश के अलावा सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जस्ता, तांबा, लोहा, मैगनीज़, मोलिब्डिनम, बोरॉन साथ ही पीएच, ईसी व कार्बनिक द्रव्य का परीक्षण कराना चाहिए।

मिट्‌टी के परीक्षण से खेत की कमियां पता चल जाती हैं, जिसको पूरा करने के बाद पैदावार अच्छी ली जा सकती है। इसके अलावा खेत की पहली जुताई के बाद खेत में 20 से 25 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें।

सोयाबीन में प्रोटीन की होती है अधिक मात्रा

सोयाबीन एक तिलहन फसल Soybean cultivation in summer के रूप में जानी जाती है। यह ऐसा खाद्य पदार्थ है जो लगभग गाय के दूध के समान पूर्ण आहार माना जाता है। इसके बीज में स्टार्च की कम मात्रा और प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है।

विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन में 42 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी व 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोयाबीन को प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। सोयाबीन Soybean cultivation in summer में अधिक मात्रा में विटामिन पाए जाने के कारण एंटीबायटिक दवा बनाने के लिए यह विशेष उपयुक्त है।

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