सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के लिए जिप्सम का उपयोग करें, जानिए खेत में कब और कितना जिप्सम डालें

Soybean fertilizer : सोयाबीन की बुवाई शुरू हो चुकी है। किसान बंधु यहां जानें जिप्सम के क्या लाभ है एवं इसका उपयोग कब व क्यों करें…

Soybean fertilizer | सोयाबीन की बोवनी लगभग शुरू हो चुकी है। ऐसे में सभी किसान बंधु तेजी से कृषि कार्यों में व्यस्त हो गए है। खरीफ की प्रमुख सोयाबीन की खेती के समय उपज बड़ाने के लिए किसानों द्वारा निम्न प्रकार की खाद उर्वरक का उपयोग किया जाता है। आज हम यहां चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से जानेंगे की जिप्सम Soybean fertilizer क्यों उपयोग में लेंवे एवं इसका मुख्य कार्य क्या रहता है।

जिप्सम एक महत्वपूर्ण उर्वरक, उपज बड़ाने में करेगा मदद

किसान फसल उगाने के लिए सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम का उपयोग करते है। कैल्शियम और सलफर का उपयोग कुछ जागरूक किसान ही करते है। इसके ‘चलते भूमि में कैल्शियम सल्फर की कमी धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है। इनकी कमी सघन खेती वाली भूमि, हल्की भूमि और अपक्षरणीय भूमि में अधिक होती है। कैल्शियम और सल्फर संतुलित पोषक तत्व प्रबन्धन के मुख्य अवयव में शामिल है। जिनकी पूर्ति के अनेक स्त्रोत है इनमें से जिप्सम Soybean fertilizer एक महत्वपूर्ण उर्वरक है।

Soybean fertilizer क्या है जिप्सम ?

रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है, जिसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। जब यह पानी में घुलता है। तो कैल्शियम और सट आयन प्रदान करता है। तुलनात्मक रूप से कुछ अधिक धनात्मक होने के कारण कैल्शियम के आयन मृदा में विद्यमान विनिमय सोडियम के आयनों को हटाकर उनका स्थान ग्रहण कर लेते है। आयनों का मटियार कणों पर यह परिर्वतन मृदा की रासायनिक और भौतिक अवस्था में सुधार कर देता है। मृदा फसलोत्पादन के लिए उपयुक्त हो जाती हैं। साथ ही, जिप्सम भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों का अनुपात बनाने में सहायता करता है।

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सबसे पहले यह जानें.. खेतों में जिप्सम क्यों डालें?

  • कैल्शियम और सल्फर की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए।
  • फसलों में जड़ों की सामान्य वृद्धि विकास के लिए जिप्सम Soybean fertilizer का उपयोग फसल संरक्षण में भी किया जा सकता है। क्योंकि इसमें सल्फर उचित मात्रा में होता है।
  • तिलहनी फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है, जो बीज उत्पादन पौधे और तेल से आने वाली विशेष गन्ध के लिए मुख्यतयाः उत्तरदायी होता है।
  • जिप्सम देने से मृदा में पोषक तत्वों सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम और सल्फर की उपलब्धता में वृद्धि होती है।
  • जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्त्रोत है जो कार्बनिक पदार्थों को मृदा के क्ले कणों से बाँधता है। जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है। मृदा मे वायु का आवागमन सुगम बना रहता है।
  • जिप्सम मृदा में कठोर परत बनने को रोकता है। मृदा में जल प्रवेश को बढ़ाता है।
  • कैल्शियम की कमी के कारण ऊपरी बढ़ती पत्तियों के अग्रभाग का सफेद होना, लिपटना और संकुचित होना होता है। अत्यधिक कमी की स्थिति में पौधों की वृद्धि रूक जाती है। वर्धन शिखा भी सूख जाती है जो कि जिप्सम डालने से पूरी की जा सकती है।
  • जिप्सम Soybean fertilizer एक अच्छा भू सुधारक है। यह क्षारीय भूमि को सुधारने का कार्य करता है।
  • जिप्सम अम्लीय मृदा में एल्युमिनियम के हानिकारक प्रभाव को कम करता है।
  • जिप्सम का उपयोग फसलों में अधिक उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
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कब और कितना उपयोग करें जिप्सम
(Soybean fertilizer) का..

Soybean fertilizer जिप्सम को मृदा में फसल बुवाई से पहले डालते हैं। जिप्सम डालने से पहले खेत को पूर्ण रूप से तैयार करके (2-3 गहरी जुताई और पाटा लगाकर) जिप्सम का भुरकाव करें। इसके पश्चात, एक हल्की जुताई करके जिप्सम को मिट्टी में मिला दें। इसका उपयोग क्षारीय भूमि सुधार हेतु मृदा सुधारक के रूप में खेत की मिट्टी की जॉच रिपोर्ट में जिप्सम की आवश्यक मात्रा (जीआर. वैल्यू) के आधार पर किया जाता है।

पोषक तत्व के रूप में तिलहनी, दलहनी फसलों में पोषक तत्व के रूप में 250 किलो प्रति हैक्टयर की दर से जिप्सम का उपयोग किया जाता है। जिससे 10 से 15 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है। क्षारीय भूमि सुधार के कार्यों को प्रारम्भ करने का सबसे उत्तम समय गर्मी के महीनों में होता है। जिप्सम Soybean fertilizer फैलाने के तुरन्त बाद कल्टीवेटर अथवा देशी हल से भूमि की ऊपरी 8-12 सेमी की सतह में मिलाकर और खेती को समतल करके मेडबन्दी करना जरूरी है। ताकि, खेत में पानी सब जगह बराबर लग सके। जिप्सम को मृदा में अधिक गहराई तक नहीं मिलाना चाहिए।

जिप्सम के उपयोग में रखें यह सावधानियां

  • जिप्सम Soybean fertilizer को अधिक नमी वाले स्थान पर नहीं रखें।
  • मृदा परीक्षण के उपरान्त जिप्सम की उचित मात्रा डालें।
  • तेज हवा बहने पर जिप्सम का भुरकाव न करें।
  • जिप्सम डालने से पहले अगर इसमें ढेले हैं तो इन्हे महीन कर लें।
  • जिप्सम का भुरकाव करते समय हाथ सूखे होने चाहिए।
  • जिप्सम का भुरकाव पूरे खेत में समान रूप से करें।
  • जिप्सम डालने के पश्चात उसको मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला दें।
  • जिप्सम को बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

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