सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर : कृषि विभाग का कहना- अच्छी फसल के लिए जुलाई माह में करें ये काम

सोयाबीन की फसल की अच्छी पैदावार (Soybean ki kheti) के लिए कृषि विभाग ने किसानों को दिए सुझाव, जानें डिटेल..

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Soybean ki kheti | मध्यप्रदेश सहित पूरे देशभर में सोयाबीन की बोवनी हो चुकी है। वही, कई इलाकों में सोयाबीन की फसल 15 से 20 दिनों की हो गई हैं। सभी किसान सोयाबीन की फसल से अच्छी पैदावार लेना चाहते है। ऐसे में सोयाबीन के पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए उसमें लगने वाले खरपतवार, किट एवं रोगों के निदान पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।

अभी Soybean ki kheti सोयाबीन के पौधों की हाइट नही है और फुल भी नहीं आए है तो इस समय पत्ते खाने वाले कीटो एवं खरपतवार की सबसे ज्यादा दिक्कत देखने को मिलती है। इसी बीच भारतीय कृषि अनुसंधान ने किसानों के लिए जरूरी सलाह जारी की है। जानें, जुलाई-अगस्त के दौरान किसान को कौन-कौन से काम करने हैं और पत्ती खाने वाले कीटों से कैसे बचें…

जुलाई महीने में यह काम करें किसान

Soybean ki kheti ; जुलाई महीने में किसान भाइयों को समय पर खाद की व्यवस्था, निंदाई-गुड़ाई और खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। कृषि विभाग ने सलाह दी है कि जहां पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है, वहां किसान शीघ्र पकने वाली सोयाबीन की किस्मों का चयन करें।

असिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ अरहर और सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार, कपास, बाजरा जैसी अंतरवर्तीय फसलों का चयन करें। विपरीत मौसम से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सोयाबीन की बुआई बीबीएफ पद्धति या रिज और फरो पद्धति से करें।

इस समय खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान दें

खरपतवार नियंत्रण के लिए सोयाबीन Soybean ki kheti की खड़ी फसल में डोरा / कुलपा चलाएं या अनुशंसित रासायनिक खरपतवारनाशक का छिड़काव करें। ध्यान रखें, जिन रसायनों के मिश्रण के संबंध में कोई वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, उनका उपयोग न करें। यदि आपके क्षेत्र में बारिश नही हो रही है तो, वहां की खड़ी फसल में कीटनाशक का उपयोग न करें। इसके अतिरिक्त जलभराव से बचने के लिए अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।

पत्ती खाने वाले कीटों से नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन की फसल Soybean ki kheti में यदि आपको पत्ती खाने वाले कीटो का प्रकोप दिख रहा है तो, इसके नियंत्रण के लिए उचित कीटनाशक का उपयोग करें। विभिन्न 4 स्थितियों में किसान यहां नीचे दिए गए कीटनाशकों का उपयोग कर सकते है :-

1. पत्ती खाने वाले किट के लिए दवाई : फसल के 15-20 दिन की होने पर पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे.) (हे. = हेक्टेयर) का छिड़काव करें।

2. चक्र भृंग नियंत्रण के लिए दवाई : चक्र भृंग के नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में किसान टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एससी (750 मिली/हे.) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/हे.) दवाई का ही छिड़काव करें। Soybean ki kheti

3. बिहार हेयरी कैटरपिलर नियंत्रण हेतु दवाई : बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर प्रारंभिक अवस्था में झुंड में रहने वाली इल्लियों को फसल से निकालें और लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 प्रतिशत सी.एस. (300 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.80 EC (333 मिली/हे) दवाई का छिड़काव करें।

4. तना मक्खी और पीले मोज़ेक वायरस के लिए दवाई : सोयाबीन में तना मक्खी और पीले मोज़ेक वायरस रोग की प्रारंभिक अवस्था में नियंत्रण के लिए पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50 प्रतिशत जेडसी (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

पत्ती खाने वाली इल्ली, रस चूसने वाले कीटों के लिए मिश्रित कीटनाशक : जहां पत्ती खाने वाली इल्लियों और रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप हो, वहां क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन या थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन जेडसी (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुप्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें। इसके अलावा खेतों में चूहों के नियंत्रण के लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट प्रति हेक्टेयर गोले बनाकर चूहों के छेदों के पास रखें। Soybean ki kheti 

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